AMU में मदरसों के लिए माडर्न पाठयक्रम पर कार्यशाला : शिक्षाविद् बोले-जब से मुसलमानों ने ज्ञान में भेद शुरू किया, उसी समय से पतन होने लगा 

UPT | एएमयू में मदरसों को आधुनिक बनाने के लिए कार्यशाला का आयोजन

Aug 12, 2024 02:13

अलीगढ मुस्लिम विश्वविद्यालय के विज्ञान संवर्धन केंद्र द्वारा ‘मदरसों के लिए आदर्श पाठयक्रम एवं राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020’ विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया गया है

Short Highlights
  • इस्लामिक स्कूलों की समस्याओं का होना चाहिए समाधान
  • शिक्षा का उद्देश्य रोजगार से जोड़ना है
  • नेशनल एजुकेशन पालिसी के तहत मदरसों का पाठ्यक्रम तय होगा
  • कुरान के साथ विज्ञान के द्वार भी खोले
Aligarh News : अलीगढ मुस्लिम विश्वविद्यालय के विज्ञान संवर्धन केंद्र द्वारा ‘मदरसों के लिए आदर्श पाठयक्रम एवं राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020’ विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया गया है । जेएन मेडिकल कालेज के सभागार में दूसरे दिन उद्घाटन सत्र में अपने अध्यक्षीय भाषण में विश्वविद्यालय के प्रोफेसर इश्तियाक अहमद जिल्ली ने कहा कि हमारे पुराने इतिहास में धार्मिक और आधुनिक शिक्षा के बीच कोई अंतर नहीं मिलता । उन्होंने कहा कि यूरोप की वर्तमान वैज्ञानिक प्रगति में प्राचीन काल के मुस्लिम विद्वानों की बड़ी भूमिका है। उन्होंने कहा कि बुनियादी विज्ञान का विकास मध्य युग के मुसलमानों द्वारा किया गया था और जब से मुसलमानों ने ज्ञान में भेद करना शुरू किया, तो उस समय से हमारा पतन शुरू हो गया।

इस्लामिक स्कूलों की समस्याओं का होना चाहिए समाधान
उन्होंने कहा कि मौजूदा दौर में खासकर इस्लामिक स्कूलों को लेकर जो समस्याएं खड़ी हो रही हैं, उनके समाधान के लिए सामूहिक और संगठित प्रयास होना चाहिए । प्रो. जिल्ली ने कहा कि आवश्यकता इस बात की है कि इस कार्यशाला में हम भावी पीढ़ियों के लिए ऐसी शिक्षा प्रणाली तैयार कर सकें, जो उनके लिए उपयोगी भी हो और वर्तमान समय के अनुकूल भी हो ।

शिक्षा का उद्देश्य रोजगार से जोड़ना है
कार्यशाला में मुख्य भाषण देते हुए जामिया हिदाया, जयपुर के मौलाना फजल-उर-रहीम मुज्जदी ने पाठ्यक्रम के संबंध में जामिया हिदाया के प्रयासों का विस्तृत परिचय दिया और कहा कि जामिया हिदाया का अनुसरण करते हुए, कुछ इस्लामी मदरसों ने इसके पाठक्रयम को आंशिक रूप से अपनाया है। उन्होंने कहा कि हमने गणित, विज्ञान, भूगोल और अंग्रेजी की बुनियादी शिक्षा के अलावा एक कंप्यूटर शिक्षा पाठ्यक्रम भी बनाया है, जो हिदाया विश्वविद्यालय में कई दशकों से चल रहा है। उन्होंने कहा कि शिक्षा का एक उद्देश्य विद्यार्थियों को रोजगार से जोड़ना भी है।

नेशनल एजुकेशन पालिसी के तहत मदरसों का पाठ्यक्रम तय होगा
सेंटर फॉर प्रमोशन ऑफ साइंस के निदेशक इंजीनियर नसीम अहमद खान ने अतिथियों का स्वागत करते हुए केंद्र का संक्षिप्त परिचय दिया। उन्होंने कहा कि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय ने मुसलमानों के विकास के लिए विभिन्न केंद्र और कार्यक्रम बनाए हैं। इस केंद्र की स्थापना मदरसों के छात्रों और शिक्षकों के बीच विज्ञान को बढ़ावा देने के लिए 1981 के संशोधन अधिनियम के बाद लागू की गई थी। उन्होंने कहा कि इस कार्यशाला में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के आलोक में मदरसों का पाठ्यक्रम तय किया जायेगा।

कुरान के साथ विज्ञान के द्वार भी खोले
कार्यशाला को सम्बोधित करते हुए धर्मशास्त्र विभाग के प्रोफेसर सऊद आलम कासमी ने कहा कि यह बहुत गंभीर और बड़ा विषय है। उन्होंने कहा कि सेंटर फॉर द प्रमोशन ऑफ साइंस का उद्देश्य मदरसों के छात्रों और शिक्षकों के बीच विज्ञान को बढ़ावा देने का प्रयास करना है, ताकि आज के समय में हमारा पाठ्यक्रम कैसा हो, इस पर विचार किया जा सके। प्रोफेसर कासमी ने कहा कि शाह वलीउल्लाह के समय तक मदरसों में गणित और चिकित्सा की पढ़ाई होती थी। चाणक्य लॉ यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रोफेसर फैजान मुस्तफा ने अपने संबोधन में कानूनी बिंदुओं का उल्लेख किया और अनुच्छेद 25, 28 और 30 के संबंध में उपयोगी जानकारी प्रदान की । उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के विभिन्न पहलुओं और अवसरों तथा कठिनाइयों का उल्लेख किया।

मदरसों में आधुनिक विज्ञान की शिक्षा होनी चाहिए
जामिया सलाफिया बनारस के मौलाना अब्दुल्लाह सऊद ने भी कहा कि आज के संदर्भ में पाठ्यक्रम पर विचार करें और नियोजित पाठ्यक्रम को लागू करें। उन्होंने कहा कि जामिया सलाफिया समसामयिक आवश्यकताओं के अनुरूप है, हर साल पाठ्यक्रम की समीक्षा की जाती है । जामिया अशरफिया मुबारकपुर के मुफ्ती बदर आलम मिस्बाही ने कहा कि मदरसों का मुख्य उद्देश्य इस्लामी अध्ययन में विशेषज्ञ तैयार करना है, लेकिन समय की आवश्यकता है कि मदरसों को आधुनिक विज्ञान के साथ सामंजस्य बनाने के लिये कार्य करना चाहिए । मुफ्ती अफ्फान मंसूर पुरी ने कहा कि शिक्षा चाहे धार्मिक हो या आधुनिक, दोनों ही उपयोगी ज्ञान है। दोनों का ज्ञान आवश्यक है। 

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