रामोत्सव में देश की अनेक भाषाओं, संस्कृतियों व जन के मन में अनेक रूपों में राम की उपस्थिति रही है, जो उभर कर आई। 22 जनवरी को प्रभु श्री राम जन्मभूमि मंदिर के भव्य निर्माण व बाल रूप में अत्यंत मोहक दिख रहे रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा समारोह के बाद से चरम पर पहुंचा।