बरेली में 57वां उर्स-ए-शाह शराफत मियां संपन्न : जायरीन को बच्चों की तालीम की दी सलाह, कुल शरीफ में उमड़ा हुजूम

UPT | कुल शरीफ में उमड़ा हुजूम

Sep 15, 2024 15:32

उत्तर प्रदेश के बरेली शहर में रविवार को 57वां उर्स-ए-शाह शराफत मियां का समापन कुल शरीफ की रस्म के साथ हुआ। इस वार्षिक समारोह में देश भर से हजारों जायरीन शामिल हुए, जिन्होंने हजरत शाह शराफत मियां की दरगाह पर चादरपोशी कर ...

Bareilly News : यूपी के बरेली में हजरत शाह शराफत मियां का उर्स रविवार को कुल शरीफ के साथ संपन्न हो गया। 57 वें उर्स-ए-शाह शराफत मियां में देश भर से जायरीन पहुंचे थे। उन्होंने दरगाह पर चादरपोशी कर दुआएं की। इसके साथ ही कुल शरीफ की रस्म में शामिल हुए। उर्स के अंतिम दिन की शुरुआत सुबह 8 बजे मेहमान ख़ाने में तकरीरी प्रोग्राम से हुई। बरेली और देश भर से आए उलमा-ए-किराम ने दीन पर रोशनी डाली। अल्लामा शाहिद शैख़, प्रोफेसर महमूद उल हसन, मौलाना मुफ्ती फहीम सकलैनी और मौलाना अबसार सक़लैनी ने जायरीन को बच्चों की तालीम (शिक्षा) दिलाने का पैगाम दिया। बोले, नई पीढ़ी के तालीमयाफ्ता (शिक्षित) होने के बाद ही समाज में आर्थिक और सामाजिक रूप से बदलाव होगा।

उलमा ने इत्तेहाद का दिया पैगाम
उर्स-ए-शाह शराफत में उलमा ने कौम को इत्तेहाद का पैगाम दिया। मौलाना नूर मुहम्मद ने क़ौम को आपस में इत्तिहाद, मोहब्बत और भाई-चारे के साथ रहने की हिदायत दी। हज़रत शाह शराफ़त मियां की जिंदगी और उनकी शिक्षाओं पर रोशनी डाली। कुल शरीफ के दौरान शहर की सड़कों पर बड़ी संख्या में जायरीन की भीड़ थी। जिसके चलते यातायात भी प्रभावित हुआ। 

3 अक्टूबर को इज्तिमाई निकाह
उर्स-ए-शाह शराफत मियां के कुल शरीफ़ की रस्म 11 बजे अदा की गई। सज्जादा नशीन हज़रत गाज़ी मियां ने मुल्क और शहर के अमन-चैन और तरक्की के लिए दुआएं की। इसके साथ ही उर्स-ए-सकलैनी का ऐलान किया। इस साल पहला उर्स 5 अक्टूबर से 9 अक्टूबर तक मनाया जायेगा। उर्स में अधिक से अधिक लोगों को आने की दावत दी। मंच से ऐलान बताया गया कि उर्स-ए-सकलैनी के मौके पर हज़रत शाह सकलैन एकेडमी की ओर से 3 अक्टूबर को बिशप मंडल इंटर कॉलेज के मैदान में इज्तिमाई निकाह (सामूहिक विवाह) का आयोजन किया जाएगा। इस दौरान हज़रत मुंतखब मियां, हज़रत सादकैन सकलैनी, हाफ़िज़ गुलाम गौस, हमज़ा सकलैनी, मुर्तुजा सकलैनी, मुंतसिब सकलैनी, इंतिखाब सकलैनी, सलमान सकलैनी, मुनीफ सकलैनी, फैजयाब सकलैनी, असदक सकलैनी, शाहिद शेख़, हाजी लतीफ़ आदि मौजूद थे।

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