Chhath Puja : आज अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देंगी व्रती महिलाएं, छठ पूजा के रंग में डूबा गोरखपुर, 1145 घाटों पर होगी पूजा

UPT | वेदियां बनकर तैयार

Nov 07, 2024 10:08

घरों में सुबह से ही पूजन की तैयारी चल रही है। महिलाएं पूजन में लगने वाले फल और सामानों को धुलकर दउरी में रख रही हैं। साथ ही प्रसाद के लिए घरों में ठेकुआ बन रहा है। दोपहर बाद महिलाएं मंगलगीत गाते हुए घाटों पर जाएंगी और पानी में खड़ी होकर भगवान सूर्य की उपासना करेंगी।

Gorakhpur News : भगवान सूर्य की उपासना का महापर्व छठ पूजा के आज तीसरे दिन काफी हर्षोहल्लास के मनाया जाएगा। हर तरफ छठ पूजा की धूम है। चार दिनों तक चलने वाला यह महापर्व सोमवार को नहाय-खाय के साथ शुरू हुआ। मंगलवार को खरना से व्रती महिलाओं ने निर्जल उपवास शुरू किया। जबकि, आज गुरुवार को अस्ताचलगामी और और कल शुक्रवार को उगते सूर्य को अर्घ्य के साथ महापर्व का समापन होगा।

घाटों की साफ- सफाई
ऐसे में इस पर्व को लेकर गोरखपुर में तैयारियां जोरों पर चल रही हैं। घाटों की साफ- सफाई के साथ ही पूजन की वेदियां बनकर तैयार हो गई हैं। शहर विभिन्न स्थानों पर बने कृत्रिम तालाबों पर भी पूजन की तैयारी चल रही है। आज भी महेवा थोक मंडी सहित फुटकर मंडियों में छठ के लिए खरीदारी करते नजर आ रहे हैं। राप्ती तट पर श्रीरामघाट, राजघाट और श्रीगोरक्षघाट छठ पूजा की तैयारियां अंतिम चरण में है।


पूजन की तैयारी
वहीं, घरों में सुबह से ही पूजन की तैयारी चल रही है। महिलाएं पूजन में लगने वाले फल और सामानों को धुलकर दउरी में रख रही हैं। साथ ही प्रसाद के लिए घरों में ठेकुआ बन रहा है। दोपहर बाद महिलाएं मंगलगीत गाते हुए घाटों पर जाएंगी और पानी में खड़ी होकर भगवान सूर्य की उपासना करेंगी। इसके बाद व्रती महिलाएं अस्ताचलगामी (डूबते हुए सूर्य) को अर्घ्य देकर घरों को लौट आएंगी। फिर तड़के भोर में 3 बजे महिलाएं दोबार पूजन के लिए घाटों पर जाएंगी और फिर उगते सूर्य को अर्घ्य के साथ महापर्व का समापन होगा।

कोसी भरने की भी तैयारी
जिनके घर में किसी मांगलिक आयोजन या किसी मन्नत के पूरा होने के बाद छठ पर कोसी भरी जाती है। महानगर के विभिन्न मोहल्लों के घरों में कोसी भरने की तैयारी है। इसके लिए कोसी भरने में उपयोग में लाया जाने वाला मिट्टी का हाथी, कलश, दीये, गन्ना, फल आदि सामान जुटाने में लोग लगे रहे।

बेटों की लंबी उम्र के लिए व्रत रहती माताएं 
माताएं छठ का कठोर व्रत पुत्र के लिए करती हैं। इस व्रत में शक्ति अर्थात माता षष्ठी एवं ब्रह्म अर्थात सूर्यदेव दोनों की उपासना होती है। इसलिए इसे सूर्यषष्ठी कहा जाता है। इस व्रत से जहां भगवान भास्कर समस्त वैभव प्रदान करते हैं, वहीं माता षष्ठी प्रसन्न होकर पुत्र देती हैं, साथ ही पुत्रों की रक्षा भी करती हैं।

गोरखपुर में 1145 स्थानों पर होगी छठ पूजा
गोरखपुर में कुल 1145 स्थानों पर प्रमुख रूप से छठ पूजा होगी, जहां पर बड़ी तादाद में श्रद्धालु और उनके परिवार के लोग जुटेंगे। शहरी इलाके में 181 घाटों और जलाशयों पर पूजा-अर्चना होगी। 136 छठ माता की प्रतिमाओं की स्थापना होगी। उत्तरी इलाके में 427 घाटों/जलाशयों पर पूजा होगी। 

कुल 56 छठ माता की प्रतिमाएं और दक्षिणी इलाके में 537 घाटों/जलाशयों पर पूजा-अर्चना के साथ ही 42 छठ माता की प्रतिमाओं की स्थापना की जाएगी। इसे देखते हुए सुरक्षा के कड़े प्रबंध करने के निर्देश SSP डॉ. गौरव ग्रोवर ने दिए। उन्होंने कहा कि सुरक्षा के साथ ही यातायात प्रबंधन का विशेष रुप से ध्यान रखा जाए।

ड्रोन कैमरे से देखी सुरक्षा व्यवस्था
SP सिटी अभिनव त्यागी ने बताया कि सबसे अधिक श्रद्धालु राजघाट में राप्ती नदी के गुरु गोरखनाथ घाट पर पहुंचेंगे। यहां 16 हजार से अधिक लोगों के पूजा करने के अनुमान हैं। AIIMS इलाके में सर्वाधिक पूजा स्थल हैं, जबकि सबसे कम कोतवाली इलाके महज दो पूजा स्थल कोतवाली इलाके में हैं। सुरक्षा के लिए 6 SP, 13 CO सहित सभी थानों के थानेदार, दरोगा और अन्य पुलिसकर्मियों की तैनाती की गई है। सुरक्षा के लिए लिहाज से पुलिस ने राजघाट में ड्रोन कैमरे से निगरानी की। 

घाटों पर NDRF, SDRF और PAC के गोताखोर तैनात
सभी प्रमुख घाट पर NDRF, SDRF और PAC के गोताखोर की ड्यूटी लगाई गई है। स्थानीय पुलिस नाव से गश्त करेगी। गोरखनाथ मंदिर, सूर्यकुंड, राजघाट, बड़हलगंज के मुक्तिपथ और गोलाघाट समेत कई स्थानों पर CCTV कैमरे लगाने के साथ ही ड्रोन से निगरानी की जाएगी। पूजा स्थलों पर पुलिस पिकेट लगाई गई है, जहां पर 24 घंटे पुलिसकर्मी मौजूद रहेंगे। घाट पर प्रकाश के साथ ही नाव, नाविक व गोताखोर की ड्यूटी लगाई गई है। 

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छठ महापर्व का दिनवार कार्यक्रम 
• पहला दिन (नहाय-खाय): 5 नवंबर - व्रती महिलाएं स्नान के बाद कद्दू-भात का भोजन करेंगी और संकल्प लेंगी।
• दूसरा दिन (खरना): 6 नवंबर - इस दिन महिलाएं शाम को प्रसाद ग्रहण करेंगी, पूरे दिन का उपवास होगा।
• तीसरा दिन (संध्या अर्घ्य): 7 नवंबर - व्रती महिलाएं निर्जल व्रत रखकर शाम 5:29 बजे अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य अर्पित करेंगी।
• चौथा दिन (उगते सूर्य को अर्घ्य): 8 नवंबर - सुबह 6:32 बजे उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के साथ महापर्व का समापन होगा।
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