Asian King Vulture : उत्तर प्रदेश के महराजगंज में बनाया जा रहा दुनिया का पहला एशियाई राजा गिद्धों का संरक्षण केंद्र

UPT | Asian King Vulture

Jun 20, 2024 18:48

यह केंद्र "जटायु संरक्षण एवं प्रजनन केंद्र" के नाम से जाना जाएगा और इसकी स्थापना का मुख्य उद्देश्य गिद्धों की संख्या को बढ़ाना और इनकी संरक्षण की गंभीरता में सुधार...

Short Highlights
  • एशियाई राजा गिद्धों के लिए दुनिया का पहला संरक्षण और प्रजनन केंद्र खोला जाएगा
  • वर्तमान में केंद्र में एक नर और एक मादा गिद्ध का जोड़ा है
  • केंद्र में एक विशेष एवियरी बनाई गई है

 

Maharajganj News : उत्तर प्रदेश गोरखपुर के पास महाराजगंज में एक अत्यंत महत्वपूर्ण पहल की गई है। जहां एशियाई राजा गिद्धों के लिए दुनिया का पहला संरक्षण और प्रजनन केंद्र खोला जाएगा। यह केंद्र "जटायु संरक्षण एवं प्रजनन केंद्र" के नाम से जाना जाएगा और इसकी स्थापना का मुख्य उद्देश्य गिद्धों की संख्या को बढ़ाना और इनकी संरक्षण की गंभीरता में सुधार लाना है। दरअसल, 2007 से इन एशियाई राजा गिद्धों को अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ ने लाल सूची में लुप्तप्राय प्रजातियों के रूप में शामिल किया है, जिसकी वजह से इनकी संरक्षण की आवश्यकता बढ़ी है। 

वन प्रमुख संरक्षक ने दी जानकारी
इसी के मद्देनजर, उत्तर प्रदेश सरकार ने यह केंद्र स्थापित करके एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है जो इन गिद्धों के बचाव और संरक्षण में मानवीय प्रयासों को सशक्त बनाएगा। केंद्र के उद्घाटन से पहले, प्रमुख वन संरक्षक एसके शर्मा ने इसके बारे में बताया कि यह केंद्र दुनिया में पहला है जो एशियाई राजा गिद्धों, जिसे लाल सिर वाला गिद्ध भी कहा जाता है के प्रजनन और संरक्षण के लिए विशेषता से स्थापित किया गया है। इसके लिए उन्होंने कहा कि केंद्र अब तैयार है और इसका औपचारिक उद्घाटन जल्द ही होने वाला है।

वर्तमान में है एक नर-मादा गिद्ध का जोड़ा
वहीं इस केंद्र के वैज्ञानिक अधिकारियों ने बताया गया कि वर्तमान में केंद्र में एक नर और एक मादा गिद्ध का जोड़ा है। इनके लिए वैज्ञानिक अधिकारियों और जीवविज्ञानियों की निगरानी की जा रही है ताकि उनका प्रजनन और स्वास्थ्य सुनिश्चित किया जा सके। डॉ. दुर्गेश नंदन ने जानकारी देते हुए बताया कि वर्तमान में उनके पास एक नर और एक मादा गिद्ध का जोड़ा है और इसमें उनके अंडे देने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। उन्होंने बताया कि केंद्र में एक विशेष एवियरी बनाई गई है जिसमें गिद्धों के लिए उपयुक्त वातावरण उपलब्ध कराया गया है।

इस संरक्षण केंद्र में गिद्धों की पूरी देखभाल की जा रही है, जिसमें 24x7 उनकी निगरानी और उनके प्राकृतिक जीवन की सुरक्षा शामिल है। यहां के कर्मचारियों में एक वैज्ञानिक अधिकारी और एक जीवविज्ञानी शामिल हैं जो गिद्धों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को बढ़ाने में लगे हैं। डॉ. नंदन ने बताया कि इन गिद्धों का मौजूदा प्राकृतिक वातावरण उनकी सुरक्षा और प्रजनन के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है। उन्होंने इस बारे में भी चेतावनी दी कि डाइक्लोफेनाक जैसी दवाओं के अत्यधिक उपयोग से गिद्धों को खतरा है, जो इसे एक जानलेवा पदार्थ बना सकती है।

दो मादा गिद्ध लाने की योजना
इस केंद्र का उद्घाटन 30 दिसंबर, 2022 को किया गया था और इसके बाद ही पहला गिद्ध यहां लाया गया था। इसके बाद एक और गिद्ध भी इस केंद्र में लाया गया है। अब केंद्र में दो मादा गिद्ध भी लाने की योजना है। इस संरक्षण और प्रजनन केंद्र में देश के अन्य केंद्रों में लंबी चोंच वाले और सफेद पीठ वाले गिद्धों के बारे में भी बताया गया है, जिनके संरक्षण और प्रजनन की देखभाल अलग-अलग केंद्रों में की जाती है।  डॉ. नंदन ने बताया कि एक बार जब मादा गिद्ध अंडा दे देती है, तो उनके यहां प्राकृतिक वातावरण को दोहराया जाता है, ताकि जब उनके बच्चे बड़े होकर जंगल में जाएं, तो उन्हें कोई समस्या न हो। इस केंद्र में केवल कीपर को ही प्रवेश की अनुमति होती है और इसमें कड़ी सीसीटीवी निगरानी होती है जो सुरक्षा को सुनिश्चित करती है।

भोजन में दिया जाता है लगभग तीन किलो मांस
जानकारी के अनुसार, इस संरक्षण केंद्र में पक्षियों को सप्ताह में दो बार भोजन प्रदान किया जाता है, जिसमें हर बार लगभग तीन किलो मांस का आहार शामिल होता है। इसका मुख्य उद्देश्य बढ़ती हुई गिद्धों की संख्या को सुनिश्चित करना है और उन्हें प्राकृतिक तरीके से जीवन जीने के लिए एक स्थिर और सुरक्षित वातावरण प्रदान करना है। केंद्र के प्रमुख डॉ. नंदन ने इसे एक महत्वपूर्ण कदम माना है जो अत्यंत संकीर्ण संरक्षण आवश्यकताओं को पूरा करने में मदद करेगा। उन्होंने इस संरक्षण केंद्र की महत्वता पर जोर दिया और इसे उत्तर प्रदेश की सरकार द्वारा एक विशेष पहल के रूप में स्वागत किया।

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