हज 2025 : पूर्व मंत्री अनीस मंसूरी ने नई पॉलिसी पर खड़े किए सवाल, अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय से वापस लेने की मांग

UPT | पूर्व मंत्री अनीस मंसूरी

Sep 13, 2024 17:46

अनीस मंसूरी ने कहा कि इस नए फरमान की वजह से न सिर्फ उत्तर प्रदेश बल्कि देशभर में मात्र 10 से 15 प्रतिशत तक लोगों ने ही आवेदन फार्म भरे हैं। उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने हज के लिए आवेदन किया है वह भी इस तुगलकी फरमान की वजह से यात्रा का कार्यक्रम निरस्त करवा रहे हैं।

Lucknow News: पूर्व मंत्री और पसमांदा मुस्लिम समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनीस मंसूरी ने मुसलमानों के पाक और मुकद्दस हज के सफर को लेकर चिंता जताई है। मंसूरी ने अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय और हज कमेटी ऑफ इंडिया के कुप्रबंधन के साथ नई हज पॉलिसी को भी कटघरे में खड़ा कर दिया है।

नई हज पॉलिसी की गिनाई कमियां
अनीस मंसूरी ने शुक्रवार को कहा कि केंद्र सरकार की गलत नीतियों व नई हज पॉलिसी की कमियों की वजह से हज 2025 पिछले साल की अपेक्षा और भी मुश्किल भरा होने वाला है। अगर समय रहते सरकार नहीं चेती तो देश भर के लाखों हाजियों को तो दुश्वारी होगी ही भारत की साख को भी ठेस पहुंचेगी। उन्होंने कहा कि अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय ने हज 2025 की जो पॉलिसी बनाई है उसमें सबसे बड़ी विसंगति यह है कि एक ही परिवार के महिला और पुरुष हज यात्रियों को मक्का मुकर्रमा और मदीना मुनव्वरा में अलग-अलग होटल व भवनों में ठहराया जाएगा। भारतीय हज यात्रियों के लिए यह सबसे बड़ी कष्टदाई बात है कि उनके परिवार की महिलाओं को किसी और होटल या भवन में ठहराया जाए और पुरुष को किसी और होटल या भवन में ठहराया जाए। भारत से हज जाने वाले 90 प्रतिशत पुरुष और महिलाएं वृद्ध होती हैं। यह सभी बीमारी की वजह से दवाओं और देखरेख पर आश्रित होते हैं। अलग-अलग रहने की वजह से इनको बड़ी तकलीफ होगी। वैसे भी भारतीय लोग अपने परिवार के लोगों के साथ ही ज्यादा कंफर्ट महसूस करते हैं।

कम आवेदन की बताई वजह
अनीस मंसूरी ने कहा कि इस नए फरमान की वजह से न सिर्फ उत्तर प्रदेश बल्कि देशभर में मात्र 10 से 15 प्रतिशत तक लोगों ने ही आवेदन फार्म भरे हैं। उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने हज के लिए आवेदन किया है वह भी इस तुगलकी फरमान की वजह से यात्रा का कार्यक्रम निरस्त करवा रहे हैं। उन्होंने कहा कि दूसरी सरकारों में इसी प्रदेश के 65 हजार से 70 हजार तक लोग 200 रुपए फीस देकर आवेदन करते थे। वहीं फ्री में फॉर्म भरने की सुविधा होने के बवजूद अभी तक 10 हजार लोगों ने ही आवेदन किया है। उन्होंने कहा कि अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय को यह आदेश फौरन वापस लेना चाहिए।

हज कमेटी के पूर्व अधिकारी पर आरोप
अनीस मंसूरी ने कहा कि हमारी लंबे समय से मांग थी कि अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय के निदेशक व हज कमेटी ऑफ इंडिया के सीईओ लियाकत अली आफाकी को हटाया जाए और उनके पद पर किसी कर्मठ और ईमानदार अधिकारी की तैनाती की जाए। सरकार ने काफी हीलाहवाली के बाद हमारी बात मानी और लियाकत अली आफाकी को सीआईओ के पद से हटा दिया और उनके स्थान पर नए सीईओ की तैनाती की है लेकिन आफाकी अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय के निदेशक पद पर बने रहेंगे। क्योंकि हज कमेटी आफ इंडिया अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय के अधीन काम करती है इसलिए आफाकी का हज यात्रियों को तकलीफ पहुंचाने का मंसूबा पहले की तरह ही बना रहेगा।

हज कमेटी को विदेश मंत्रालय के अधीन करने की मांग
मंसूरी ने कहा कि हम लगातार पांच सालों से यह मांग करते आ रहे हैं कि हज कमेटी ऑफ इंडिया को पहले की तरह विदेश मंत्रालय के अधीन किया जाए। हज यात्रियों की परेशानी का सबसे बड़ा कारण यह है कि हज कमेटी ऑफ इंडिया को अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय के अधीन किया गया। पहले मुख्तार अब्बास नकवी ने हज यात्रियों को तमाम दिक्कतों में डाला, फिर स्मृति ईरानी ने भी हाजियों को तकलीफ देने की कोई कसर बाकी नहीं रखी। हम सरकार से दोबारा मांग करते हैं कि हज कमेटी ऑफ इंडिया विदेश मंत्रालय के अधीन किया जाए।

पूर्व मंत्री ने खड़े किए गंभीर सवाल
अनीस मंसूरी ने कहा कि हज कमेटी ऑफ इंडिया देश की सबसे बड़ी राज्य हज कमेटी की लगातार उपेक्षा करती है। उन्होंने कहा कि हज 2024 में मक्का मुकर्रमा और मदीना मुनव्वरा में यात्रियों के ठहरने के लिए बनी बिल्डिंग सिलेक्शन कमेटी में नहीं रखा गया। इसका नतीजा यह हुआ कि उत्तर प्रदेश के हजारों हज यात्रियों को थर्ड क्लास के होटलों व भवनों में ठहराया गया। उन्होंने कहा कि इसका मकसद सिर्फ कमीशन खोरी ही हो सकती है। हमारी सरकार से यह भी मांग है कि सरकार इस मामले की जांच करवाएं ताकि पता चल सके कि भवन सिलेक्शन कमेटी में उत्तर प्रदेश को क्यों प्रतिनिधित्व नहीं दिया जाता है।

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