नाराज अनुदेशकों ने कहा कि वे सरकार की तरफ से दिए गए हर काम को पूरी जिम्मेदारी से करते आए हैं। स्थायी शिक्षकों की तरह वह अपनी ड्यूटी पूरी जिम्मेदारी से निभा रहे हैं। लेकिन, वेतन के मामले में वह उनके आगे कहीं नहीं ठहरते हैं। उन्होंने समान काम के बदले समान वेतन की मांग की।