ट्रांसपोर्ट नगर हादसा : नेशनल फॉरेंसिक यूनिवर्सिटी की टीम करेगी जांच, आईआईटी कानपुर सौंपेगा रिपोर्ट

UPT | ट्रांसपोर्ट नगर हादसा

Sep 09, 2024 11:14

अधिकारियों के मुताबिक शुरुआती तफ्तीश में सामने आया है कि इमारत का निर्माण जिन पिलर पर किया गया था, उनकी गुणवत्ता बेहद घटिया थी। बिल्डिंग किसी तरह उनके सहारे टिकी थी। इस वजह से पिलर के गिरते ही पूरी बिल्डिंग धराशायी हो गई।

Lucknow News : ट्रांसपोर्ट नगर में बिल्डिंग गिरने से आठ लोगों की मौत केे मामले में जांच पड़ताल शुरू हो गई है। अभी तक की जांच में जो बात सामने आई है, उसके मुताबिक इमारत का निर्माण घटिया साम्रगी से किया गया था। साथ ही मानकों की अनदेखी की गई। इसलिए वक्त से पहले ही ये जर्जर हो गई और अचानक ढह गई। पुलिस की एफआईआर में ये बिंदु शामिल किए गए हैं। वहीं लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) के अफसरों की तीन सदस्यीय टीम भी घटनास्थल से साक्ष्य जुटा रही है।    

आईआईटी कानपुर की टीम सौंपेगी अपनी रिपोर्ट 
प्रदेश सरकार ने इस हादसे को लेकर कड़ा रुख अपनाया है। इसलिए जांच में हर स्तर पर बेहद बारीकी से काम ​शुरू कर दिया गया है। आईआईटी कानपुर के विशेषज्ञ बिल्डिंग निर्माण में इस्तेमाल हुई सामग्री की जांच करेंगे। इसके आधार पर आईआईटी कानपुर के विशेषज्ञ अपनी रिपोर्ट तैयार करेंगे।

एनएफएसयू की टीम घटनास्थल का करेगी निरीक्षण
इस बीच गुजरात के अहमदाबाद से नेशनल फॉरेंसिक साइंसेज यूनिवर्सिटी (NFSU) की टीम भी बिल्डिंग के अचानक ढहने के कारणों की गहन पड़ताल करेगी। इसकी खामी की वजह तलाशेगी। इसके लिए उन्हें लखनऊ बुलाया गया है। लखनऊ विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष प्रथमेश कुमार ने बताया कि टीम सोमवार शाम तक पहुुंचकर अपनी जांच शुरू करेगी। इसके बाद उसकी रिपोर्ट के आधार पर आगे का कदम उठाया जाएगा। वहीं पीडब्ल्यू की टीम ने एलडीए से इमारत का नक्शा और स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग का प्रमाणपत्र मांगा है, जिससे पता चल सके कि खामी कहां हुई और बिल्डिंग का स्ट्रक्चर वाकई में मानचित्र के मुताबिक तैयार किया गया था या नहीं।

पिलर के निर्माण में घटिया सामग्री का इस्तेमाल
अधिकारियों के मुताबिक शुरुआती तफ्तीश में सामने आया है कि इमारत का निर्माण जिन पिलर पर किया गया था, उनकी गुणवत्ता बेहद घटिया थी। बिल्डिंग किसी तरह उनके सहारे टिकी थी। इस वजह से पिलर के गिरते ही पूरी बिल्डिंग धराशायी हो गई। अगर पिलर मजबूत होते तो इतना बड़ा नुकसान नहीं होता और पड़ोस की इमारत को भी नुकसान नहीं पहुंचता, इस वजह से उसे भी सील करना पड़ा है। पूरी जांच के बाद ही उसमें प्रवेश की इजाजत दी जाएगी।
 

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