Lucknow News : आरक्षण में क्रीमी लेयर पर मायावती बोलीं- ठगा महसूस कर रहा एससी-एसटी वर्ग, संसद में संशोधन विधेयक नहीं लाने पर उठाए सवाल

UPT | बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो मायावाती

Aug 10, 2024 22:16

मायावती ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के 1 अगस्त 2024 के निर्णय को संविधान संशोधन के जरिए जब तक निष्प्रभावी नहीं किया जाता, तब तक राज्य सरकारें एससी-एसटी वर्ग का उप-वर्गीकरण व क्रीमी लेयर को लागू कर सकती हैं।

Lucknow News : बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की सुप्रीमो मायावाती ने एससी-एसटी आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के आए फैसले को लेकर एक बार फिर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की। उन्होंने शनिवार को प्रेस कॉफ्रेंस में केंद्र सरकार की मंशा पर सवाल उठाए और सुप्रीम कोर्ट में ठीक से केस की पैरवी नहीं करने का आरोप लगाया।

सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने ठीक से नहीं की पैरवी
मायावती ने कहा कि केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में इस मामले को लेकर ठीक ढंग से पैरवी नहीं की है। इस वजह से एससी-एसटी वर्ग के लोग अपने आप को ठगा महसूस कर रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि एससी-एसटी में क्रीम लेयर के बहाने आरक्षण खत्म करने की साजिश हो रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सिर्फ हवा हवाई आश्वासन दे रहे हैं। आरक्षण को निष्प्रभावी किया जा रहा है। हालत ये है कि आरक्षण खत्म करने की नौबत आ गई है।

पीएम मोदी सांसदों को दे चुके हैं आश्वासन, फिर भी नहीं उठाया कदम
उन्होंने कहा कि इससे पहले प्रधानमंत्री ने शुक्रवार को उनसे भेंट करने गए भाजपा के एससी-एसटी सांसदों को यह आश्वासन दिया था कि उनके वर्ग में क्रीमी लेयर को लागू नहीं करने और एससी-एसटी के आरक्षण में कोई उप-वर्गीकरण भी नहीं करने की उनकी मांगों पर गौर किया जाएगा। तब बसपा ने इसे उचित बताते हुए स्वागत किया था। लेकिन, अच्छा होता कि सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के समक्ष बहस में केन्द्र सरकार की तरफ से एटार्नी जनरल आरक्षण को लेकर एससी व एसटी में क्रीमी लेयर लागू करने और इनका उप-वर्गीकरण किये जाने के पक्ष में दलील नहीं रखते गयी होती, तो शायद यह निर्णय नहीं आता।

सुप्रीम कोर्ट का फैसला निष्प्रभावी करना जरूरी
उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के 1 अगस्त 2024 के निर्णय को संविधान संशोधन के जरिए जब तक निष्प्रभावी नहीं किया जाता, तब तक राज्य सरकारें अपनी राजनीति के तहत वहां इस निर्णय का इस्तेमाल करके एससी-एसटी वर्ग का उप-वर्गीकरण व क्रीमी लेयर को लागू कर सकती हैं। इसीलिए हमनें संविधान संशोधन बिल इसी सत्र में लाने की मांग की।

संशोधन विधेयक नहीं लाने पर उठाए सवाल
बसपा सुप्रीमो ने कहा कि केंद्र को सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर संसद में संविधान संशोधन विधेयक लाना चाहिए था लेकिन ऐसा नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने सांसदों को क्रीमी लेयर लागू नहीं करने का आश्वासन दिया है। लेकिन, इसकी पुष्टि नहीं की गई। संसद का सत्र खत्म हुआ। लेकिन, विधेयक नहीं आया। ऐसा लगता है कि आरक्षण को निष्प्रभावी किया जा रहा है। हमारी मांग है कि संशोधन लाकर कोर्ट का फैसला पलटा जाए। उन्होंने कहा कि आरक्षण खत्म करने की नौबत आ गई है। बिना विधेयक लाए संसद सत्र खत्म किया गया है। 

संविदा पर कर्मचारियों की तैनाती आरक्षण खत्म करने की कोशिश
मायावती ने कहा कि नौकरियों को खत्म कर संविदा पर कर्मचारी रखना आरक्षण को खत्म करने का ही प्रयास है। उन्होंने कहा कि भाजपा व कांग्रेस आरक्षण के खिलाफ रही है। बसपा सुप्रीमो ने मांग की है कि अब समय की जरूरत है कि सुप्रीम कोर्ट व हाईकोर्ट के पदों पर भी एससी-एसटी आरक्षण लागू किया जाए। उन्होंने कहा​ कि लोकसभा चुनाव में कांग्रेस-सपा और आम आदमी पार्टी ने संविधान बचाने और आरक्षण बचाने की बात कहकर अपनी सीटें बढ़ा ली हैं। इन लोगों को भी अब अपनी स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए। मायावती ने जातीय जनगणना को लेकर कहा कि केंद्र इसकी जिम्मेदारी राज्यों को न देकर खुद जातीय जनगणना करवाए। बसपा सुप्रीमो ने कहा कि केन्द्र की सरकारों ने आरक्षण को खत्म करने के लिये समय-समय पर लगातार कई कोशिशें की हैं।

बसपा सुप्रीमो ने आरक्षण खत्म करने को लेकर लगाए आरोप
  • सरकारी नौकरियों को खत्म करके कान्ट्रेक्ट के माध्यम से काम कराना, जिनमें उनके द्वारा नियुक्त कर्मचारियों पर कोई आरक्षण लागू नहीं होता है।
  • सरकारी उपकर्मों को निजी हाथों में बेचकर उनमें मिल रही लाखों की संख्या में नौकरियां जिसमें एससी व एसटी वर्गों को भी आरक्षण उपलब्ध था वो भी खत्म कर देना।
  • लाखों की संख्या में पदों को खाली रखना।
  • देश में लाखों पद जो कि एससी व एसटी वर्गों के लिये आरक्षित थे उन्हें सालों से खाली रखना और बाद में उन्हें समाप्त करके सामान्य वर्ग को दे देना।
  • पदोन्नति में आरक्षण के लाभ से एससी व एसटी वर्गों के कर्मचारियों को पहले ही सुप्रीम कोर्ट के एक पूर्व निर्णय के तहत खत्म कर दिया गया था। इस निर्णय को निष्प्रभावी बनाने के लिये संसद में संवैधानिक संशोधन विधेयक बसपा के प्रयासों से राज्यसभा में तो पारित हो गया था। लेकिन, उसके बाद वह लोकसभा में आज तक भी पास करने के लिये नहीं लाया गया है। यह वही बिल है जिसको समाजवादी पार्टी ने अपने सांसदों के द्वारा कांग्रेस एवं भाजपा के साथ मिलकर संसद के अन्दर ही फाड़ दिया था।

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