उर्वरक वितरण में अनियमितता पर हरदोई प्रशासन का कड़ा रुख : कालाबाजारियों के खिलाफ होगी कार्रवाई

UPT | हरदोई में खाद के लिए लगी लाइन

Nov 08, 2024 20:46

जनपद में रबी सीजन के दौरान फास्फेटिक उर्वरक, डीएपी और एनपीके का वितरण सहकारी और निजी संस्थाओं के माध्यम से किया गया है। अब तक कुल 6221 मीट्रिक टन उर्वरक वितरित किया जा चुका है...

Short Highlights
  • उर्वरक वितरण पर हरदोई प्रशासन सख्त
  • कालाबाजारी कि शिकायत पर होगी कार्रवाई
  • निजी एवं सहकारी क्षेत्र के उर्वरक विक्रेताओं को आदेश
Hardoi News : उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले के जिला अधिकारी मंगला प्रसाद सिंह ने जानकारी दी कि रबी फसलों की बुवाई के लिए उर्वरक की समय पर आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए जिला प्रशासन पूरी तरह प्रतिबद्ध है। उन्होंने बताया कि जनपद में रबी सीजन के दौरान फास्फेटिक उर्वरक, डीएपी और एनपीके का वितरण सहकारी और निजी संस्थाओं के माध्यम से किया गया है। अब तक कुल 6221 मीट्रिक टन उर्वरक वितरित किया जा चुका है। डीएपी का कुल स्टॉक 5683 मीट्रिक टन और एनपीके का स्टॉक 5886 मीट्रिक टन है। यह उर्वरक कृषकों के बीच उनकी जोत और फसल की आवश्यकताओं के अनुसार वितरित किया जा रहा है।

कालाबाजारी कि शिकायत पर होगी कार्रवाई
मंगला प्रसाद सिंह ने बताया कि नवंबर 2024 में 11650 मीट्रिक टन डीएपी उर्वरक की मांग की गई है और उसकी आपूर्ति अगले सप्ताह से शुरू कर दी जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि सभी निजी और सहकारी उर्वरक विक्रेताओं को निर्देशित किया गया है कि वे उर्वरक वितरण को सुचारू रूप से सुनिश्चित करें। अगर किसी भी विक्रेता द्वारा ओवर रेटिंग या कालाबाजारी की शिकायत मिलती है, तो उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी और उन्हें सीधे जेल भेजने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।



पारदर्शिता और विधिक नियमों का पालन
इसके साथ ही, जिला प्रशासन ने यह भी सुनिश्चित किया है कि उर्वरक वितरण में किसी प्रकार की गड़बड़ी या व्यवधान न हो। प्रशासन ने सभी संबंधित विभागों को यह निर्देश दिया है कि वे नियमित निगरानी बनाए रखें और किसानों के बीच उर्वरकों की उपलब्धता में कोई कमी न हो। इसके अलावा, सरकार ने उर्वरक वितरण प्रक्रिया में पारदर्शिता और विधिक नियमों के पालन को सख्ती से लागू करने का निर्णय लिया है।   उर्वरक वितरण में अनियमितताएं बरते जाने की शिकायत 7 नवम्बर को बी पैक्स फतियापुर के सचिव सूरजबली द्वारा उर्वरक वितरण में अनियमितताएं बरते जाने की शिकायत प्राप्त हुई, जिसके बाद उनके खिलाफ आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 की धारा 3/7 और बीएनएस 316(5) के तहत अभियोग पंजीकृत किया गया। इसके अलावा, विकास खण्ड सण्डीला के ग्राम टिकरा दाउदपुर में तीन व्यक्तियों द्वारा नकली डीएपी उर्वरक का निर्माण और उसकी बिक्री की जा रही थी। इस मामले में संबंधित व्यक्तियों के खिलाफ सण्डीला कोतवाली में आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 की धारा 3/7, कापीराइट एक्ट और अन्य धाराओं में भी अभियोग दर्ज कराया गया है। 

यह कार्रवाई यह सुनिश्चित करने के लिए की गई है कि उर्वरक वितरण में कोई भी अनियमितता न हो और किसानों को केवल गुणवत्ता वाले उर्वरक की आपूर्ति हो। प्रशासन ने इस तरह की गतिविधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का निर्णय लिया है और इस मामले में पूरी कानूनी प्रक्रिया का पालन किया जाएगा।   निजी एवं सहकारी क्षेत्र के उर्वरक विक्रेताओं को  आदेश सभी निजी और सहकारी क्षेत्र के उर्वरक विक्रेताओं को यह निर्देश दिया गया है कि वे किसानों को उर्वरक का वितरण बिना किसी रुकावट के करें, ताकि किसी प्रकार की शिकायत का सामना न करना पड़े। पीओएस (प्वाइंट ऑफ सेल) मशीन पर उपलब्ध स्टॉक और वास्तविक स्टॉक में कोई अंतर नहीं होना चाहिए। अगर इस तरह की कोई अनियमितता पाई जाती है, तो संबंधित विक्रेता के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। साथ ही, उर्वरक वितरण व्यवस्था में कोई भी व्यवधान, जैसे जमाखोरी या कालाबाजारी, होने पर तुरंत सख्त कानूनी कदम उठाए जाएंगे।

जिला प्रशासन अधिकारी रोजाना कर रहे भ्रमण
कृषकों को उर्वरक का वितरण सही तरीके से हो, इसके लिए जिला प्रशासन के अधिकारी जैसे उप जिलाधिकारी, तहसीलदार, नायब तहसीलदार, खंड विकास अधिकारी और अन्य जिला स्तरीय अधिकारी प्रतिदिन भ्रमण कर रहे हैं। इस भ्रमण का उद्देश्य उर्वरक की मांग और आपूर्ति में कोई समस्या होने पर उसका समाधान करना है। इसके अलावा, कृषि और सहकारिता विभाग के अधिकारी भी संबंधित संस्थाओं का निरीक्षण कर रहे हैं, ताकि वितरण प्रक्रिया में कोई कमी न रहे और किसानों को समय पर उर्वरक मिल सके।   प्रशासन ने जारी किया हेल्पलाइन नंबर कृषकों की समस्याओं का समाधान और उर्वरक की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए प्रशासन ने एक डेडीकेटेड हेल्पलाइन नंबर जारी किया है। अब कृषक 9695588008 और 8960717008 पर संपर्क करके अपनी समस्याओं का त्वरित समाधान प्राप्त कर सकते हैं। इसके साथ ही, सभी पीसीएफ केंद्रों और सहकारी समितियों पर उर्वरक का वितरण सुचारू रूप से सुनिश्चित करने के लिए स्टेटिक अधिकारी, पर्यवेक्षणीय अधिकारी और नोडल अधिकारी नियुक्त किए गए हैं। इन अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं कि उर्वरक की मांग समाप्त होने से पहले ही पीसीएफ केंद्रों और सहकारी समितियों को समय पर उर्वरक उपलब्ध कराया जाए।

थोक विक्रेताओं के साथ बैठक का आयोजन
इसके अलावा, फास्फेटिक और नत्रजन उर्वरकों के अनावश्यक भंडारण और कृत्रिम कमी को रोकने के लिए संबंधित तहसील के उपजिलाधिकारियों की अध्यक्षता में एक सचल दल का गठन किया गया है। यह दल लगातार उर्वरक की उपलब्धता और भंडारण पर निगरानी रखेगा। निजी क्षेत्र में स्थित खुदरा उर्वरक विक्रेताओं के लिए भी क्षेत्रीय कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई गई है, ताकि वे उर्वरक वितरण को सही तरीके से संचालित कर सकें। जनपद के सभी थोक उर्वरक विक्रेताओं के साथ एक बैठक आयोजित की गई, जिसमें उन्हें विभिन्न कंपनियों से संपर्क करके फास्फेटिक उर्वरक की आपूर्ति सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं। साथ ही, खुदरा विक्रेताओं के स्तर पर उर्वरक के रियल-टाइम प्रेषण को सुनिश्चित किया जा रहा है, ताकि किसानों को समय पर और उनकी आवश्यकता के अनुसार उर्वरक मिल सके।   उर्वरक उपलब्ध कराने वाले प्रतिनिधियों को निर्देश हरदोई जनपद में उर्वरक की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए सभी उर्वरक प्रदायकर्ता कंपनियों के प्रतिनिधियों के साथ एक बैठक आयोजित की गई। बैठक में इन्हें निर्देशित किया गया कि कृषि निदेशालय उत्तर प्रदेश द्वारा जारी किए गए फास्फेटिक उर्वरक आवंटन योजना के तहत उर्वरकों की सही समय पर आपूर्ति की जाए। इसके अलावा, किसानों को यह भी जानकारी दी गई कि डीएपी उर्वरक के सभी ब्रांड्स में नाइट्रोजन की मात्रा 18 प्रतिशत और फास्फोरस की 46 प्रतिशत होती है, इसलिए यह सभी कंपनियां रबी फसलों के लिए उपयुक्त हैं, न कि केवल इफको की डीएपी। 

कृषकों को दी गई सलाह
कृषकों को यह सलाह दी गई कि डीएपी के साथ-साथ एनपीके उर्वरक का भी प्रयोग करें, ताकि फसलों को पूरी तरह से पोषण मिल सके। अधिकारियों ने यह भी सुनिश्चित किया कि किसानों को उनकी आवश्यकता के अनुसार उर्वरक की लगातार उपलब्धता बनी रहेगी। किसानों से यह आग्रह किया गया कि वे किसी भी अफवाह या भ्रामक सूचना पर ध्यान न दें और केवल फसल तथा जोत के हिसाब से उर्वरक की खरीदारी करें, ताकि वे अपनी फसलों के लिए उचित मात्रा में उर्वरक प्राप्त कर सकें।

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