आजम खान को केस में बचाना पड़ा भारी : डीआईजी अशोक कुमार के खिलाफ उच्च स्तरीय जांच के आदेश

UPT | IPS Ashok Kumar Shukla

Sep 13, 2024 11:08

रामपुर के पुलिस अधीक्षक रहते हुए अशोक कुमार शुक्ला ने आजम खान को एक केस में बचाने की कोशिश की। ये बात मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक पहुंचने के बाद अब मामले की जांच की गई। शुरुआती जांच में आरोपों की पुष्टि के बाद अब उच्च स्तरीय जांच के आदेश दिए गए हैं।

Lucknow News : प्रदेश सरकार ने सीबीसीआईडी में डीआईजी के पद पर तैनात और रामपुर के पुलिस अधीक्षक रहे अशोक कुमार शुक्ला के खिलाफ उच्च स्तरीय जांच के आदेश दिए हैं। वरिष्ठ आईपीएस अफसर पर आरोप है कि शत्रु संपत्ति के मामले में इन्होंने समाजवादी पार्टी के नेता आजम खान का मुकदमे से नाम निकालने और विवेचना से गंभीर धाराओं को हटाने का निर्देश दिया था। गृह विभाग ने उच्च स्तरीय जांच के लिए दो सदस्य कमेटी का गठन किया है। जांच कमेटी में अलीगढ़ की मंडलायुक्त चैत्रा वी. और आईजी विजिलेंस मंजिल सैनी को शामिल किया गया है। समिति अपनी रिपोर्ट शासन को सौंपेंगी। 

आजम खान को बचाने के लिए विवेचक बदलने का आरोप
जांच कमेटी की रिपोर्ट में दोषी पाए जाने पर अशोक कुमार शुक्ला की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। आरोप है कि उन्होंने आजम खान से संबंधित सिविल लाइंस थाने में दर्ज एफआईआर में विवेचक को बदला। इसके बाद उनके दबाव में केस से गंभीर धाराएं 467, 471 को हटा दिया गया। साथ ही अदालत में जो दोषपूर्ण आरोप पत्र दाखिल किया गया, उसमें आजम खां का नाम गायब था।

जांच में कई अफसरों को भूमिका मिली संदिग्ध
बताया जा रहा है कि प्रकरण की जानकारी होने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर जांच शुरू हुई है। इसमें तत्कालीन पुलिस अधीक्षक अशोक कुमार शुक्ला समेत कई अफसरों की भूमिका को संदिग्ध पाया गया। इसके बाद अब अशोक कुमार के खिलाफ जांच का आदेश दिया गया है। अशोक कुमार वर्तमान में सीबीसीआईडी में डीआईजी के पद पर तैनात हैं। उनके खिलाफ जांच का आदेश की महकमे में काफी चर्चा हो रही है।  

शत्रु संपत्ति से जुड़ा है मामला
आईपीएस अफसर अशोक कुमार शुक्ला रामपुर के जौहर विश्वविद्यालय परिसर के अंतर्गत आने वाली शत्रु संपत्ति से संबंधित मामले को लेकर जांच का सामना करेंगे। इसके दस्तावेजों में हेराफेरी के आरोप में वह विवादों में आए हैं। दरअसल यह संपत्ति इमामुद्दीन कुरैशी के नाम दर्ज थी। कुरैशी विभाजन के दौरान पाकिस्तान चले गए थे। इसके बाद वर्ष 2006 में भारत सरकार के कस्टोडियन विभाग के अंतर्गत इसे दर्ज कर लिया गया। 

सरकारी दस्तावेजों में की गई हेराफेरी
जौहर विश्वविद्यालय के निर्माण में सरकारी जमीनों को अवैध तरीके से हथियाने के आरोपों पर जब जांच शुरू हुई, तो इस मामले का भी खुलासा हुआ। इस दौरान सामने आया कि राजस्व महकमे में दर्ज इस शत्रु संपत्ति को खुर्द-बुर्द करने के लिए फर्जी तरीके से आफाक अहमद का नाम शामिल किया गया। रिकॉर्ड के पन्ने भी फटे पाए गए। इससे साफ जाहिर हुआ कि किस तरह नियमों को ताक में रखते हुए खेल किया गया। तथ्य सामने आने के बाद वर्ष 2020 में रामपुर के सिविल लाइंस पुलिस स्टेशन में इसे लेकर एफआईआर दर्ज कराई गई।

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