दशहरा मेले के सांस्कृतिक मंच पर कुल हिंद मुशायरा : मशहूर शायरों ने रातभर शायरी से माहौल को जिंदा रखा

UPT | मुशायरे के मंच पर मौजूद अतिथि व आयोजक।

Oct 28, 2024 13:17

लखीमपुर में दशहरा मेले के सांस्कृतिक मंच पर कुल हिन्द मुशायरे का आयोजन हुआ, जो दर्शकों के दिलों पर अमिट छाप छोड़ गया। इस मुशायरे में देशभर से आए नामचीन शायरों के साथ स्थानीय शायरों ने भी अपने कलाम पेश किए।

lakhimpur kheri News : लखीमपुर में आयोजित दशहरा मेले के सांस्कृतिक मंच पर शनिवार की रात कुल हिन्द मुशायरे का आयोजन हुआ, जो दर्शकों के दिलों पर अमिट छाप छोड़ गया। इस मुशायरे में देशभर से आए नामचीन शायरों के साथ स्थानीय शायरों ने भी अपने कलाम पेश किए। मुशायरे में वासिफ फारुकी, हसन काज़मी, डॉ. अना, कासिम फीरोजाबाद, सबा बलरामपुरी और मारूफ रायबरेली जैसे मशहूर शायरों ने अपने शेरों से समां बांधा और रातभर शायरी का माहौल बनाए रखा।

सांस्कृतिक एकता का प्रतीक
कार्यक्रम की शुरुआत पूर्व सांसद जफर अली नकवी और नगर पालिका अध्यक्ष डॉ. इरा श्रीवास्तव ने दीप प्रज्वलित करके की। इस मौके पर जफर अली नकवी ने कहा कि मुशायरे जैसे आयोजन कौमी एकता का एक महत्वपूर्ण माध्यम हैं। उन्होंने बताया कि इस तरह के कार्यक्रम समाज में भाईचारे और आपसी सद्भावना को बढ़ावा देते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि शायरी का यह सिलसिला न सिर्फ मनोरंजन का साधन है, बल्कि यह समाज को जोड़ने का एक जरिया भी है।

डॉ. इरा श्रीवास्तव ने गंगा-जमुनी तहज़ीब का जिक्र करते हुए कहा कि भारत की विविधता में एकता की विशेषता इस तरह के कार्यक्रमों के माध्यम से और भी मजबूत होती है। उन्होंने कहा कि देश में सभी धर्मों का सम्मान होना चाहिए और इस तरह के आयोजन इस दिशा में एक अहम कदम हैं। डॉ. इरा ने कहा कि यह मुशायरा हमारी सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा है और इसे आगे बढ़ाने के लिए हर व्यक्ति को सहयोग देना चाहिए।

समाज सेवा में योगदान देने वालों का सम्मान
इस कार्यक्रम के दौरान समाज सेवा में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले कई प्रमुख व्यक्तियों को सम्मानित भी किया गया। इनमें डॉ. पीके गुप्ता, गोपाल अग्रवाल, योगेश जोशी, शिमाब अहमद "चांद मियां" और दीपक खरे जैसे नाम शामिल हैं। इन सभी ने समाज की बेहतरी के लिए महत्वपूर्ण कार्य किए हैं और इन्हें इस मंच पर सम्मानित करके उनका योगदान सराहा गया।

समाजसेवियों की उपस्थिति ने बढ़ाई शोभा
मुशायरे का संचालन राम मोहन गुप्त ने किया, जिन्होंने अपने अंदाज में कार्यक्रम को जीवंत बना दिया। इस दौरान नगर पालिका परिषद के कई अधिकारी और समाजसेवी भी उपस्थित रहे, जिनमें ईओ संजय कुमार, मेला अधिकारी अमरदीप मौर्य और अन्य स्थानीय नेता शामिल थे। इनकी उपस्थिति ने इस आयोजन की गरिमा को और बढ़ा दिया।

कला और भाईचारे का संगम
यह मुशायरा सिर्फ शायरी का आयोजन नहीं था, बल्कि यह एक ऐसा मंच बना जो कला, संस्कृति और सामुदायिक एकता का प्रतीक साबित हुआ। इस आयोजन ने दर्शकों को एकजुट होकर एक दूसरे की संस्कृति और परंपराओं का सम्मान करने का संदेश दिया। यहां पर शायरों के कलाम ने दिलों को छुआ और एकता का माहौल बनाकर सभी को समाज में भाईचारे और सद्भावना का संदेश दिया। 

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