Lucknow News : चर्चित श्रवण साहू हत्याकांड में आठ दोषियों को आजीवन कारावास, सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने सुनाया फैसला

UPT | Shravan Sahu murder case cbi court judgement

Aug 22, 2024 18:33

सआदतगंज के कारोबारी श्रवण साहू को बेटे की हत्या के बाद खुद की हत्या की आशंका थी। वह अपने बेटे के मामले की पैरवी कर रहे थे। उन्होंने पुलिस अधिकारियों से सुरक्षा की मांग की थी। इसी दौरान एक फरवरी 2017 को दुकान में घुसकर श्रवण की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।

Lucknow News: चर्चित श्रवण साहू हत्याकांड में सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने गुरुवार को फैसला सुनाया है। कोर्ट ने श्रवण साहू हत्याकांड के आठ दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। कोर्ट ने मामले में अकील अंसारी, सत्यम पटेल, अमन सिंह, विवेक वर्मा, बाबू खान, फैसल, अजय पटेल, रोहित मिश्रा को दोषी मानते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनायी है।

2017 को घर पर घुसकर की गई श्रवण साहू की हत्या
श्रवण साहू की सआदतगंज कोतवाली से चंद कदम की दूरी पर स्थित 1 फरवरी 2017 को उनके घर पर शूटरों ने ताबड़तोड़ गोलियां बरसाकर हत्या कर दी थी। इससे पहले श्रवण के बेटे आयुष की 16 अक्टूबर 2013 को ठाकुरगंज के कैंपबेल रोड पर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। हत्या के आरोपित अकील अंसारी ने पुलिसकर्मियों के साथ मिलकर यह साजिश रची थी। इस प्रकरण में श्रवण साहू के खिलाफ ही एफआइआर दर्ज करा दी गई। यहां तक की केस को संगीन बनाने के लिए पुलिसकर्मियों ने चार युवकों को फर्जी तरीके से आरोपी बताते हुए गिरफ्तार किया था। श्रवण साहू को मुजरिम बनाने का प्रयास किया गया।

बेटे के बाद अपनी हत्या की जताई थी आशंका
इस मामले की हकीकत सामने आने पर तत्कालीन स्वाट प्रभारी दारोगा धीरेंद्र शुक्ला, पारा थाने के कांस्टेबल धीरेंद्र यादव और अनिल बर्खास्त हुए थे और 14 पुलिस कर्मियों के खिलाफ ठाकुरगंज, पारा और हसनगंज थाने में रिपोर्ट दर्ज की गई थी। इसी बीच एक फरवरी 2017 को श्रवण साहू की भी हत्या करा दी गई। श्रवण साहू को बेटे की हत्या के बाद खुद की हत्या की आशंका थी। वह अपने बेटे के मामले की पैरवी कर रहे थे। उन्होंने पुलिस अधिकारियों से सुरक्षा की भी मांग की थी। श्रवण साहू की हत्या के बाद व्यापारियों ने जमकर विरोध प्रदर्शन किया था। बाद में मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी गई थी।

तत्कालीन एसएसपी पर लगे थे आरोप
इस प्रकरण में श्रवण साहू को सुरक्षा देने में लापरवाही के मामले में तत्कालीन वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक मंजिल सैनी के खिलाफ विभागीय जांच शुरू हुई थी। हालांकि बाद में उन्हें क्लीनचिट दे दी गई थी। करीब एक माह तक चली जांच के दौरान सुरक्षा दिए जाने के प्रक्रिया में शामिल अफसरों, कुछ पत्रकारों, श्रवण साहू के परिवार के लोगों के बयान दर्ज किए गए। इस दौरान मंजिल ने भी उन्हें दिए गए आरोप पत्र का जवाब दाखिल किया। यह जवाब उनकी तरफ से पेश साक्ष्यों, दस्तावेजों और गवाहों के आधार पर परखा गया। दस्तावेजों से यह प्रमाणित नहीं हो पाया कि मंजिल की तरफ से सुरक्षा देने में लापरवाही की गई। श्रवण साहू के बेटे ने भी मंजिल के पक्ष में बयान दिया और कहा कि उनकी तरफ से पिता को सुरक्षा देने के लिए कहा गया था। जांच अधिकारियों ने इन्हीं सारे तथ्यों को रिपोर्ट में शामिल करते हुए रिपोर्ट शासन को दी।

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