यौनकर्मियों का पेशे के आधार पर नहीं हो उत्पीड़न : सुप्रीम कोर्ट के आदेश को प्रभावी बनाना बड़ी चुनौती

UPT | up state level roundtable discussion

Sep 12, 2024 21:14

प्रमुख सचिव पार्थ सारथी सेन शर्मा ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के दिए निर्देशों के सभी सात प्रमुख बिन्दुओं पर कार्ययोजना बनाई जाए। सभी विभाग इनको अमल में लाने की कोशिश करें और सेक्स वर्कर के सम्मान और अधिकारों को दिलाने में सहयोग करें।

Lucknow News : यौनकर्मियों के अधिकारों, उनकी गरिमा और कल्याण को लेकर सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों को धरातल पर प्रभावी तौर पर उतारने के लिए गुरुवार को राज्यस्तरीय राउंडटेबल का आयोजन किया गया। ये सर्वोच्च न्यायालय के उस ऐतिहासिक आदेश पर केंद्रित रहा, जो यौनकर्मियों के मूलभूत अधिकारों की बात करता है। मई 2022 में जारी इस आदेश में स्पष्ट रूप से यौनकर्मियों के जीवन, उनकी गरिमा और कानून के समक्ष समानता के अधिकारों को मान्यता दी गई है। उत्तर प्रदेश राज्य एड्स नियंत्रण सोसायटी (UPSACS), एलायन्स इंडिया व ऑल इंडिया नेटवर्क ऑफ सेक्स वर्कर के साझा प्रयास से आयोजित इस आयोजन का उद्देश्य सुप्रीम कोर्ट के आदेश के कार्यान्वयन के लिए प्रभावी रणनीति तैयार करना था ताकि राज्य में यौनकर्मियों को भेदभाव और हिंसा से सुरक्षा मिल सके।

सेक्स वर्कर के सम्मान और अधिकारों को दिलाने में करें काम
इस मौके पर प्रमुख सचिव चिकित्सा, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण पार्थ सारथी सेन शर्मा ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के दिए निर्देशों के सभी सात प्रमुख बिन्दुओं पर कार्ययोजना बनाई जाए। सभी विभाग इनको अमल में लाने की कोशिश करें और सेक्स वर्कर के सम्मान और अधिकारों को दिलाने में सहयोग करें। उन्होंने कहा कि एक पाठ्यक्रम तैयार किया जाए ताकि सभी विभाग इस पर काम करें। इसे सिर्फ रस्म-अदायगी की तरह नहीं लिया जाए बल्कि इस पर असल में काम करने की जरूरत है।

यौनकर्मी का बिना किसी डर के सेवाओं का इस्तेमाल बेहद जरूरी
राज्य एड्स नियंत्रण सोसायटी की परियोजना निदेशक अमिता सोनी ने बताया कि यौनकर्मियों के लिए एचआईवी-एड्स की रोकथाम और उपचार के लिए व्यापक सेवाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं। हालांकि ये तभी संभव होगा जब यौनकर्मी बिना किसी डर या भेदभाव के इन सेवाओं का इस्तेमाल कर सकें। उन्होंने कहा कि हमने राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन और समाज कल्याण विभाग को भी आमंत्रित किया ताकि यौनकर्मियों की आजीविका तक पहुंच बन सके। यह सभी बातें निचले स्तर तक जाएं, ताकि हम बेहतर समाज बन सके। राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन (नाको) डीडीजी प्रिवेंशन से सोभिनी ने बताया कि भारत में 24 लाख लोग एचआईवी से पीड़ित हैं। इनके लिए नाको के 904 प्रोजेक्ट्स एचआईवी जागरूकता पर चलायें जा रहे हैं। अगर हम बात करें कोरोना संक्रमण काल के समय की तो सबसे ज्यादा यौनकर्मियों की ही आजीविका प्रभावित हुई, ऐसे में नाको की तरफ से उन्हें ड्राई राशन वितरित किया गया। वहीं अच्छी बात यह है कि इसमें प्रावधान है जिसमें नाको के गैजेट्स ऑफिसर बिना किसी अन्य जानकारी के आधार कार्ड बना सकते हैं।

पेशे के आधार पर नहीं हो उत्पीड़न
संतोष कुमार सेक्रेटरी सालसा ने कहा कि यौनकर्मी समाज के एक संवेदनशील वर्ग का हिस्सा हैं। यह हमारा नैतिक और कानूनी दायित्व है कि उन्हें स्वास्थ्य सेवाओं, कानूनी सहायता और सामाजिक सुरक्षा का पूरा लाभ मिले। उन्होंने कहा कि यौनकर्मियों के अधिकारों का सम्मान करना और उन्हें गरिमापूर्ण जीवन जीने का अवसर प्रदान करना राज्य का दायित्व है। यौनकर्मियों को उनके पेशे के आधार पर भेदभाव और उत्पीड़न का सामना नहीं करना चाहिए।
 
केवल नीतियों का बनाना काफी नहीं
ऑल इंडिया नेटवर्क ऑफ सेक्स वर्कर्स से पुतुल ने कहा कि केवल नीतियों का निर्माण ही पर्याप्त नहीं है, बल्कि इन नीतियों का जमीनी स्तर पर प्रभावी क्रियान्वयन भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। यौनकर्मियों के प्रति पुलिस और अन्य कानून प्रवर्तन एजेंसियों के व्यवहार में सुधार की आवश्यकता पर भी जोर दिया गया। यह देखा गया है कि पुलिस और यौनकर्मियों के बीच संबंध कई बार तनावपूर्ण रहे हैं और इसे बदलने के लिए पुलिसकर्मियों को संवेदनशील बनाना आवश्यक है। इसके लिए प्रशिक्षण कार्यक्रमों की व्यवस्था की जा रही है, ताकि पुलिस कर्मी यौनकर्मियों के कानूनी अधिकारों को समझ सकें और उनके साथ सम्मानजनक व्यवहार करें। सुप्रीम कोर्ट की वकील तृप्ति ने एचआईवी-एड्स अधिनियम, 2017 के तहत यौनकर्मियों को कानूनी और स्वास्थ्य सेवाओं में भेदभाव से सुरक्षा को लेकर जानकारी दी। उन्होंने इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट के प्रावधानों पर चर्चा की और प्रतिभागियों के सवालों के जवाब भी दिए।

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