सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर मायावती का बयान : बोलीं- इन वर्गों के बीच आरक्षण का बंटवारा कितना उचित?

UPT | सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर मायावती का बयान

Aug 02, 2024 15:53

सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने हाल ही में आरक्षण को लेकर एक महत्वपूर्ण निर्णय सुनाया है। मायावती ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर सवाल उठाए ...

Lucknow News : सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण निर्णय सुनाया है। जिसमें उसने 6-1 के बहुमत से यह स्पष्ट कर दिया है कि राज्यों को आरक्षण के अंतर्गत कोटा के भीतर सब-कैटेगरी बनाने का अधिकार है। इसका मतलब है कि राज्य सरकारें अनुसूचित जातियों (SC) और अनुसूचित जनजातियों (ST) के लिए सब-कैटेगिरी बना सकती हैं। बसपा सुप्रीमो मायावती ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि क्या दलितों व आदिवासियों का जीवन द्वेष व भेदभाव-मुक्त हो गया है?



मायावती ने उठाए सवाल
मायावती ने सोशल साइट एक्स पर कहा कि सामाजिक उत्पीड़न की तुलना में राजनीतिक़ उत्पीड़न कुछ भी नहीं। क्या देश के ख़ासकर करोड़ों दलितों व आदिवासियों का जीवन द्वेष व भेदभाव-मुक्त आत्म-सम्मान व स्वाभिमान का हो पाया है। अगर नहीं तो फिर जाति के आधार पर तोड़े व पछाड़े गए इन वर्गों के बीच आरक्षण का बंटवारा कितना उचित?
इन पार्टियों पर कसा तंज
मायावती ने आगे कहा कि देश के एससी, एसटी व ओबीसी बहुजनों के प्रति कांग्रेस व भाजपा दोनों ही पार्टियों/सरकारों का रवैया उदारवादी रहा है सुधारवादी नहीं। वे इनके सामाजिक परिवर्तन व आर्थिक मुक्ति के पक्षधर नहीं वरना इन लोगों के आरक्षण को संविधान की 9वीं अनुसूची में डालकर इसकी सुरक्षा जरूर की गई होती।

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कोर्ट ने एससी एसटी की सब-कैटेगरी में आरक्षण को दी मंज़ूरी
बीते गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने एससी एसटी की सब-कैटेगरी में आरक्षण को मंज़ूरी दी है। पीठ के छह जजों ने कहा कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति में सब-कैटेगरी को भी आरक्षण दिया जा सकता है। इसका मतलब है कि राज्य सरकारें अनुसूचित जातियों (SC) और अनुसूचित जनजातियों (ST) के लिए सब-कैटेगिरी बना सकती हैं। इस निर्णय के साथ सुप्रीम कोर्ट ने 2004 में दिए गए अपने पुराने फैसले को पलट दिया है। सुप्रीम कोर्ट की बेंच में मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस बेला एम त्रिवेदी, जस्टिस पंकज मिथल, जस्टिस मनोज मिश्रा और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा शामिल थे। इस फैसले ने पंजाब अनुसूचित जाति एवं पिछड़ा वर्ग अधिनियम, 2006 और तमिलनाडु अरुंथथियार अधिनियम पर मुहर लगाई है।

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