यूपी का आम देश-दुनिया में बढ़ाएगा शान : उत्पादकों को सरकार ने दी बड़ी राहत, कैनोपी से गुणवत्ता में आएगा सुधार

UPT | सीएम योगी आदित्यनाथ

Aug 23, 2024 02:01

यूपी का आम अब देश-दुनिया में शान बढ़ाएगा। उत्पादकों को सरकार ने बड़ी राहत दी है। अब इस कार्य के लिए अनुमति नहीं लेनी होगी। सरकार ने पुराने बागों में मौजूद पेड़ों की कटाई-छंटाई के लिए परमिशन लेने की जरूरत खत्म कर दी है।

Short Highlights
  • योगी सरकार ने आम उत्पादकों को बड़ी राहत दी
  • पेड़ों की कटाई-छंटाई के लिए परमिशन की जरूरत खत्म
  • कैनोपी प्रबंधन से आम उत्पादकों को मिलेगी आसानी
Lucknow News : यूपी के आम उत्पादकों के लिए खुशखबरी है। योगी सरकार ने उत्पादकों को बड़ी राहत दी है। सरकार ने पुराने बागों में मौजूद पेड़ों की कटाई-छंटाई के लिए परमिशन लेने की जरूरत खत्म कर दी है। इससे आम की पैदावार में बढ़ोतरी होगी और दूसरे देशों में डिमांड के अनुसार पर्याप्त मात्रा में आम भेजना आसान होगा।

काट-छांट के लिए सरकारी अनुमति नहीं
यूपी का आम अब देश- दुनिया में और भी खास बनेगा। अब उन्हें आम के पुराने पेड़ों की ऊंचाई कम करने और उनकी उत्पादकता बनाए रखने के लिए की जाने वाली काट-छांट के लिए किसी सरकारी विभाग से अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं है। इससे आम के पुराने बागों का कैनोपी प्रबंधन आसान हो गया है, जिससे उत्पादन बढ़ने के साथ गुणवत्ता में भी सुधार होगा। आने वाले वर्षों में इसका नतीजा दिखाई देगा, जब पुराने बाग नए सरीखे हो जाएंगे।

40 फीसद पुराने बागों में होगी काट-छांट
उत्तर प्रदेश में आम की खेती 2.6 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में की जाती है, जिससे 45 लाख टन आम की पैदावार होती है। लेकिन प्रदेश में 40 साल से अधिक उम्र के बगीचे लगभग 40 फीसद (लगभग एक लाख हेक्टेयर) हैं, जिनमें पुष्पों और फलों के लिए जरूरी नई पत्तियों और टहनियों की संख्या कम हो गई है। इन बागों में लंबी और मोटी-मोटी शाखाओं की अधिकता है, जिससे आपस में फंसी हुई शाखाओं के कारण पर्याप्त रोशनी का अभाव है। अब सरकार की अनुमति के बिना काट-छांट की अनुमति से इन बागों में सुधार होगा।

पुराने आम के बागों में दवा के छिड़काव की दिक्कत
पुराने आम के बागों में कीट और बीमारियों का प्रकोप अधिक होने से दवा के छिड़काव में दिक्कतें आती हैं। दवा का छिड़काव मुश्किल होने से आम के भुनगे और थ्रिप्स के नियंत्रण के लिए छिड़की गई दवा पेड़ों के अंदर तक नहीं पहुंच पाती है। इससे दवा की अधिक मात्रा का उपयोग करना पड़ता है, जिससे पर्यावरण प्रदूषित होता है। ऐसे बागों की उत्पादकता बमुश्किल सात टन तक मिल पाती है, जबकि एक बेहतर प्रबंधन वाले प्रति हेक्टेयर आम के बाग से 12-14 टन उपज लेना संभव है।

कैनोपी प्रबंधन से आम उत्पादकों को मिलेगी आसानी
केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. हरिशंकर सिंह ने बताया कि सरकार के फैसले से आम उत्पादकों को कैनोपी प्रबंधन करने में आसानी होगी। कैनोपी प्रबंधन एक तकनीक है जिसमें आम के पेड़ों की काट-छांट की जाती है ताकि वृक्ष का छत्र खुल जाए और पेड़ की ऊंचाई कम हो जाए। इसे टेबल टॉप प्रूनिंग भी कहा जाता है। इस तकनीक से पेड़ दो से तीन साल में ही 100 किलोग्राम/वृक्ष का उत्पादन देने लगता है।

बागों की गुणवत्ता के लिए कैनोपी एकमात्र हल
उत्तर प्रदेश में आम का रकबा और उत्पादन देश में प्रथम स्थान पर है। यहां के दशहरी, लंगड़ा, चौसा, आम्रपाली, गौरजीत जैसी किस्मों की अपनी बेजोड़ खुशबू और स्वाद है। लेकिन फिलहाल 15 साल से ऊपर के तमाम बाग जंगल जैसे लगते हैं, जिनका रख-रखाव संभव नहीं है। इसके कारण उत्पादन और उत्पाद की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है। ऐसे में कैनोपी प्रबंधन ही इसका एकमात्र हल है।

कैनोपी प्रबंधन से उत्पादन और गुणवत्ता में होगा सुधार
डॉ. हरिशंकर सिंह ने बताया कि अगर पौधरोपण के समय से ही छोटे पौधों का और 15 साल से ऊपर के बागानों का वैज्ञानिक तरीके से कैनोपी प्रबंधन किया जाए तो इनका रख-रखाव, समय-समय पर बेहतर बौर और फल के लिए संरक्षा और सुरक्षा का उपाय आसान होगा। इससे उत्पादन और गुणवत्ता दोनों सुधरेगी और निर्यात की संभावनाएं बढ़ जाएंगी। शुरुआत में ही मुख्य तने को 60 से 90 सेमी पर काट देना चाहिए, जिससे बाकी शाखाओं को बेहतर तरीके से बढ़ने का मौका मिलेगा। प्रारम्भिक वर्षों में पौधों को उचित ढांचा देने के लिए शाखाओं को किसी डोरी से बांधकर या पत्थर आदि लटकाकर भी प्रयास किया जा सकता है।

पुराने बागों की देखभाल के लिए विशेषज्ञों की सलाह
वरिष्ठ प्रधान वैज्ञानिक डॉ. हरिशंकर सिंह के अनुसार, पुराने आम के बागों की सभी शाखाओं को एक साथ नहीं काटना चाहिए, क्योंकि इससे पेड़ तनाबेधक कीट से प्रभावित हो सकते हैं और 20 से 30 प्रतिशत पौधे मर जाते हैं। गुजिया कीट के रोकथाम के लिए वृक्षों के तने के चारों ओर गुड़ाई कर क्लोर्पयरीफोस 250 ग्राम वृक्ष पर लगाना चाहिए। इसके अलावा, तनों पर पॉलीथिन की पट्टी बांधनी चाहिए। पाले से बचाव के लिए बाग की सिंचाई करनी चाहिए और अगर खाद नहीं दी गई है तो दो किलो यूरिया, तीन किलोग्राम एसएसपी और 1.5 किलो म्यूरियट ऑफ पोटाश प्रति वृक्ष देना चाहिए।

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