Green Coal Project : ऊर्जा के क्षेत्र में यूपी को आत्मनिर्भर बनाएगी योगी सरकार, कचरे से बिजली बनाने के लिए नोएडा में लगेगा प्लांट

UPT | Green Coal Project

Jun 12, 2024 11:46

योगी सरकार नोएडा में प्रतिदिन 900 टीपीडी क्षमता वाला प्लांट स्थापित किया जा रहा है। इस प्लांट में कचरे से बिजली का उत्पादन किया जाएगा...

Noida News : भीषण गर्मी में बढ़ती बिजली डिमांड की शत प्रतिशत आपूर्ति करने और ऊर्जा के क्षेत्र में प्रदेश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए यूपी सरकार बड़ा कदम उठाया है। दरअसल,  योगी सरकार नोएडा में प्रतिदिन 900 टीपीडी क्षमता वाला प्लांट स्थापित किया जा रहा है। इस प्लांट में कचरे से बिजली का उत्पादन किया जाएगा। इस प्रोजेक्ट से प्रतिदिन 200 टन ग्रीन कोल और 1000 मेगावाट बिजली का उत्पादन होगा। वेस्ट टू एनर्जी के क्षेत्र में मैकॉबर बीके प्राइवेट लिमिटेड (MBL) का यह प्रोजेक्ट भारत का सबसे बड़ा ग्रीन कोल प्रोजेक्ट है।

नोएडा में बनेगा सबसे बड़ा वेस्ट ग्रीन कोल प्लांट
एनटीपीसी लिमिटेड ने लगभग चार साल पहले एनटीपीसी लिमिटेड नगर निगम के कचरे से टॉरिफाइड चारकोल बनाने की योजना बनाई थी। अब इसकी सहायक कंपनी एनटीपीसी विद्युत व्यापार निगम लिमिटेड ने मैकॉबर बीके को ईपीसी आधार पर परियोजना प्रदान की। इस ग्रीन कोल प्लांट की कुल क्षमता 900 टीपीडी कचरा प्रबंधन की होगी। यह संयंत्र 900 टीपीडी म्यूनिसिपल सॉलिड वेस्ट (Municipal Solid Waste) के इनपुट के साथ 200 टन ग्रीन कोल का उत्पादन करेगा। यह परियोजना मेक इन इंडिया पहल का एक प्रमुख उदाहरण है। जो यूपी की बढ़ती बिजली डिमांड की शत प्रतिशत आपूर्ति करने में सक्ष्म होगा। 

अपशिष्ट से संबंधित चुनौतियों का समाधान
इस कचरे से बिजली का उत्पादन करने वाले वेस्ट ग्रीन कोल प्लांट से वेस्ट ग्रीन कोल प्लांट से अपशिष्ट से संबंधित चुनौतियों का समाधान हो गाएगा। दरअसल, स्वदेशी रूप से विकसित तकनीक कचरे को जीवाश्म ईंधन के व्यवहार्य विकल्प में बदल देती है, जिससे वेस्ट से संबंधित चुनौतियों का समाधान करते हुए ऊर्जा उत्पादन में एक नई क्रांति आई है। इससे वेस्ट के प्रबंधन की चुनौतियां का समाधान मिलता है। 

पर्यावरण को मिलेगा लाभ
कंपनी के सीनियर जनरल मैनेजर प्रोजेक्ट्स बृजेश कुमार सिंह ने बताया कि इससे पर्यावरण संरक्षण, कार्बन न्यूट्रॅलिटी और आर्थिक लाभ होता है। इन ग्रीन कोल परियोजनाओं से पर्यावरण को भी लाभ होता है। यह भी महत्वपूर्ण है कि जीवाश्म कोयले के स्थान पर ठोस ईंधन के रूप में एक किलोग्राम ग्रीन कोल के उपयोग से सजीवाश्म कोयले द्वारा प्रति किलोग्राम उत्पादित लगभग 2 किलोग्राम कार्बन डाई आक्साइड (CO2)कम हो जाती है।

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