Meerut RRTS corridor : मेरठ में आरआरटीएस कॉरिडॉर के अंडरग्राउंड स्टेशनों ने लिया आकार, बनाए जा रहे प्रवेश निकास द्वार

UPT | आरआरटीएस कॉरिडॉर में अंडरग्राउंड स्टेशन पर हो रहा ट्रैक बिछाने का कार्य

Jul 03, 2024 17:29

ट्रैक बिछाने की गतिविधियों के अंतर्गत देश में पहली बार ऐसी तकनीक का प्रयोग किया जा रहा है जिनसे उच्च क्षमता वाले बैलास्टलैस ट्रैक स्लैब का उत्पादन हो रहा है। इनका जीवन काल लंबा होता है और इन्हें कम रखरखाव की आवश्यकता होती है।

Short Highlights
  • ट्रैक बिछाने की काम अब अगले चरण में पहुंचा
  • आरआरटीएस कॉरिडोर के अंतर्गत तीन अंडरग्राउंड स्टेशन 
  • ट्रैक बिछाने में उच्च तकनीक का किया जा रहा इस्तेमाल 
RRTS corridor Meerut : मेरठ में निर्माणाधीन आरआरटीएस कॉरिडोर के अंतर्गत तैयार किए जा रहे अंडरग्राउंड स्टेशनों ने अपना आकार ले लिया है। अभी इन सभी स्टेशनों के प्रवेश-निकास द्वार बनाए जा रहे हैं, साथ ही फिनिशिंग का कार्य भी प्रगति पर है। तीन अंडरग्राउंड स्टेशन के साथ लगभग 5 किलोमीटर लंबे इस अंडरग्राउंड सेक्शन पर फिलहाल ट्रैक बिछाने की गतिविधियां चल रही हैं।

मेरठ में आरआरटीएस कॉरिडोर के अंतर्गत तीन अंडरग्राउंड स्टेशन तैयार किए जा रहे हैं- मेरठ सेंट्रल, भैंसाली और बेगमपुल। इन अंडरग्राउंड स्टेशनों में मेरठ सेंट्रल और भैंसाली मेट्रो स्टेशन होंगे जबकि बेगमपुल आरआरटीएस और मेट्रो दोनों सेवाए प्रदान करेगा। मेरठ में दिल्ली रोड पर ब्रह्मपुरी मेट्रो स्टेशन के बाद रामलीला मैदान (मारूति शोरूम) से बेगमपुल स्टेशन के बाद टैंक चौराहे (एमईएस रैंप) तक भूमिगत सुरंग बनाई गई है। मेरठ का यह अंडरग्राउंड सेक्शन दोनों ओर से एलिवेटेड वायाडक्ट के रैंप से जुड़ चुका है। 

उच्च क्षमता वाले बैलास्टलैस ट्रैक स्लैब का उत्पादन
ट्रैक बिछाने की गतिविधियों के अंतर्गत देश में पहली बार ऐसी तकनीक का प्रयोग किया जा रहा है जिनसे उच्च क्षमता वाले बैलास्टलैस ट्रैक स्लैब का उत्पादन हो रहा है। इनका जीवन काल लंबा होता है और इन्हें कम रखरखाव की आवश्यकता होती है। इसी कारण  इस ट्रैक के रख-रखाव की कुल लागत भी कम होती है। मेरठ के शताब्दीनगर के कास्टिंग यार्ड की ट्रैक स्लैब फैक्ट्री में प्रीकास्ट ट्रैक स्लैब का निर्माण किया जा रहा है। 

ट्रैक स्लैब आमतौर पर 4 मीटर x 2.4 मीटर आकार के
ये ट्रैक स्लैब आमतौर पर 4 मीटर x 2.4 मीटर आकार के होते हैं और इनके निर्माण में उच्च गुणवत्ता वाले कंक्रीट का उपयोग किया जाता है। इन ट्रैक स्लैब को ट्रकों-ट्रेलरों के जरिये टनल की साइट पर लाया जा रहा है और टनल के अंदर इंस्टॉल करने का कार्य किया जाता है। गोलाकार टनल में ट्रैक को मजबूती देने के लिए सर्वप्रथम पीसीसी (प्लेन सीमेंट कंक्रीट) का बेस बनाया जाता है। 

मेरठ में पहला अंडरग्राउंड स्टेशन मेरठ सेंट्रल
दिल्ली की तरफ से आते समय मेरठ में पहला अंडरग्राउंड स्टेशन मेरठ सेंट्रल है, जो रामलीला मैदान से आगे की तरफ बनाया गया है। ये स्टेशन अपना आकार ले चुका है। इस स्टेशन पर आइलैंड टाइप का प्लेटफॉर्म होगा जिसके दोनों ओर 4 ट्रैक बनाए जा रहे हैं। इनमें से किनारे के दोनो ट्रैक नमो भारत ट्रेन के निकलने के लिए होंगे जबकि प्लैटफ़ार्म के दोनों ओर के ट्रैक मेरठ मेट्रो ट्रेन के रुकने के लिए होंगे। 

स्टेशन पर 2 प्रवेश/निकास द्वार बनाए जा रहे
यात्रियों की सुविधा के लिए इस स्टेशन पर 2 प्रवेश/निकास द्वार बनाए जा रहे हैं। इनमें से एक की रूफ (छत) भी लगभग तैयार हो गई है जबकि दूसरे पर काम जारी है। इस स्टेशन पर तकनीकी कमरे भी लगभग तैयार हैं व फिनिशिंग की जा रही है। 

बागपत आदि के लिए बस सेवा उपलब्ध
मेरठ सेंट्रल के बाद अगला स्टेशन भैंसाली है जो बस डिपो के नजदीक बनाया गया है। ये इलाका काफी भीड़भाड़ वाला है, जहां दिल्ली, गाजियाबाद के अलावा हापुड़, मुजफ्फरनगर, शामली, बागपत आदि के लिए बस सेवा उपलब्ध है। यात्रियों की सहूलियत के लिए इस स्टेशन पर 3 प्रवेश/निकास द्वार बनाए जा रहे हैं। इस स्टेशन पर भी 4 ट्रैक बनाए गए हैं, जिनमें से दो नमो भारत और बाकी मेट्रो ट्रेन के लिए होंगे। यहां भी आइलैंड प्लेटफॉर्म होगा, जहां बीच के दो ट्रैक मेट्रो के लिए होंगे जबकि किनारे के दोनों ट्रैक से नमो भारत ट्रेन आगे चली जाएगी। इस स्टेशन के तकनीकी कमरे भी लगभग तैयार हैं व सीढ़ियों और लिफ्ट के लिए काम जारी है। फिनिशिंग आदि का कार्य प्रगति पर है। 
 

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