संभल में प्राचीन किले की दीवार ढही : पृथ्वीराज चौहान के समय का चक्की का पाट भी टूटा, बारिश का प्रकोप या विभाग की लापरवाही?

UPT | संभल में प्राचीन किले की दीवार ढही

Sep 19, 2024 16:45

संभल में ऐतिहासिक और प्राचीन किले की दीवार बारिश के कारण ढह गई। इसके साथ ही पृथ्वीराज चौहान के काल की चक्की रका पाट भी टूट कर जमीदोंज हो गया।

Short Highlights
  • संभल में प्राचीन किले की दीवार ढही
  • ऐतिहासिक चक्की का पाट भी टूटा
  • लंबे समय से हो रही थी मरम्मत की मांग
Sambhal News : उत्तर प्रदेश के कई जिलों में बारिश कहर बनकर बरस रही है। इस बारिश में प्रदेश में स्थित ऐतिहासिक धरोहरें भी क्षीण हो रही हैं। ताजमहल में बारिश का पानी का पानी रिसने से लेकर अकबर के मकबरे में लगी 400 साल पुरानी पेंटिंग बहने तक, ये सब कुछ बारिश के बाद ही हो रहा है। लेकिन अब संभल से भी ऐसी ही तस्वीर सामने आई है। यहां एक ऐतिहासिक और प्राचीन किले की दीवार बारिश के कारण ढह गई। इसके साथ ही पृथ्वीराज चौहान के काल की चक्की रका पाट भी टूट कर जमीदोंज हो गया।

बुधवार से हो रही थी बारिश
दरअसल संभल में बुधवार की दोपहर से ही लगातार बारिश हो रही थी। इसी बीच रात को सदर कोतवाली इलाके के मुख्य बाजार में स्थित प्राचीन किले की दीवार ढह गई। दीवार का मलबा सड़क पर फैल गया। इसी किले की दीवार पर चक्की का पाट भी टंगा था। दीवार गिरने से कई किलो वजनी चक्की का पाट भी नीचे गिर गया और गिरते ही टूट गया। पाट के नीचे गिरते ही इसके दो हिस्से हो गए।



प्रशासन ने कब्जे में लिया
जानकारी मिलते ही आधी रात को एसडीएम और नगरपालिका प्रशासन समेत पुलिस बल मौके पर पहुंचा और सड़क पर गिरे किले की दीवार का मलबा हटवाया गया। इसके बाद मलबे के नीचे दबे चक्की के पाट को प्रशासन ने कब्जे में ले लिया। डीएम ने इस ऐतिहासिक चक्की के पाट को दुरुस्त कर दोबारा पुराने रूप में स्थापित करने के निर्देश दिए हैं।

लंबे समय से हो रही थी मरम्मत की मांग
ये किला और चक्की का पाट पुरातत्व विभाग की निगरानी में था। बताया जा रहा है किले की दीवार लंबे वक्त से जर्जर थी। स्थानीय लोग इसके संरक्षण की लगातार मांग भी कर रहे थे, लेकिन उस पर ध्यान नहीं दिया गया। दीवार पर पेड़ भी निकल आया था, कभी-कभी ईंट गिर जाती थी। लेकिन जिम्मेदार लापरवाह बने रहे।

1000 साल पुराना है इसका किस्सा
जिस टूटे चक्की के पाट की बात हो रही है, उसका जिक्र संभल महात्म्य पुस्तक में मिलता है। कहते हैं कि पृथ्वीराज चौहान के ससुर और कन्नौज नरेश जयचंद की सेना में आल्हा, ऊदल और मलखान सिंह नाम के योद्धा थे। जब ये संयोगिता का पता लगाने संभल आए, तो नट की वेषभूषा धारण की थी। उस वक्त यहां एक किला हुआ करता था, जिसमें एक खिड़की थी। आल्हा ने खिड़की से झांकने के लिए पहले नट के रूप में अपनी कला का प्रदर्शन किया और एक छलांग लगाकर वहां कील ठोक दी। इसके बाद अगली छलांग में वहां कई किलो वजनी चक्की का पाट टांग दिया। कहते हैं कि उस समय इसकी ऊंचाई करीब 60 फीट थी।

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