परीक्षा की शुचिता और अभ्यर्थियों की सुविधा UPPSC की प्राथमिकता : नई परीक्षा व्यवस्था पर आयोग ने कहा- युवाओं की मांग पर ही व्यवस्था में किया गया सुधार

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Nov 11, 2024 23:00

 उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग ने परीक्षाओं की शुचिता और अभ्यर्थियों की सुविधा को अपनी प्राथमिकता बताया है। आयोग की परीक्षाओं में नॉर्मलाइजेशन को लेकर अभ्यर्थियों...

Short Highlights
  • प्रसामान्यीकरण की व्यवस्था नई नहीं, देश के विभिन्न प्रतिष्ठित भर्ती निकायों, आयोगों आदि में अपनायी जाती है यह व्यवस्था : आयोग
  • निजी अथवा संदिग्ध संस्थानों को नहीं बनाया जा रहा परीक्षा केंद्र: आयोग
     
UP News : उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग ने परीक्षाओं की शुचिता और अभ्यर्थियों की सुविधा को अपनी प्राथमिकता बताया है। आयोग की परीक्षाओं में नॉर्मलाइजेशन को लेकर अभ्यर्थियों के एक वर्ग द्वारा जताए जा रहे असंतोष पर आयोग के प्रवक्ता ने कहा कि आयोग की परीक्षाओं की शुचिता एवं छात्रों के भविष्य को संरक्षित करने के उद्देश्य से परीक्षाएं केवल उन केन्द्रों पर कराई जा रही है, जहाँ किसी प्रकार की कोई गड़बड़ियों की कोई सम्भावना नहीं है। पूर्व में दूर-दराज के परीक्षा केन्द्रों में कई प्रकार की गड़बड़ियाँ संज्ञान में आयी हैं, जिससे योग्य छात्रों के भविष्य अनिश्चित्ता बन जाती है। इसे खत्म करने के लिए एवं संपूर्ण परीक्षा मेरिट के आधार पर संपन्न कराने के लिए इन केन्द्रों को हटाया गया है।



सोमवार को जारी बयान में आयोग के प्रवक्ता ने बताया कि परीक्षा आयोजन के संबंध में शुचिता व गुणधर्मिता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से बस अड्डा/रेलवे स्टेशन/कोषागार के 10 किलोमीटर परिधि में राजकीय एवं वित्त पोषित शैक्षणिक संस्थाओं जो पूर्व में संदिग्ध व विवादित या काली सूची में न हो, को ही परीक्षा केन्द्र बनाया जा रहा है। अभ्यर्थियों की मांग पर ही परीक्षा की शुचिता एवं गुणधर्मिता सुनिश्चित करने के लिए यह व्यवस्था की गई है। उन्होंने कहा कि परीक्षा की शुचिता एवं गुणधर्मिता सुनिश्चित करने के लिए भी आवश्यक है कि जहां 05 लाख से अधिक अभ्यर्थी हैं, वहां परीक्षा एक से अधिक पालियों में कराई जाने की व्यवस्था लागू की गई है। इसी के तहत, पीसीएस (प्रारंभिक) परीक्षा 07 और 08 दिसंबर को 02 दिवसों में और आरओ/एआरओ (प्रारंभिक) परीक्षा 2023 को 22 व 23 दिसंबर को तीन पालियों में कराए जाने का निर्णय लिया गया।

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आयोग के प्रवक्ता ने यह भी बताया कि जहां किसी एक विज्ञापन के सापेक्ष एकाधिक दिवसों/पालियों में परीक्षायें आयोजित करायी जाती हैं, वहां परीक्षा के मूल्यांकन के लिए प्रसामान्यीकरण की प्रक्रिया अपनायी जानी आवश्यक है, जैसा कि देश के विभिन्न प्रतिष्ठित भर्ती निकायों, आयोगों आदि में अपनायी जाती है। मा. न्यायालय के विभिन्न निर्णयों द्वारा व्याख्यायित भी है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा नीट परीक्षा हेतु गठित राधाकृष्णन कमेटी द्वारा भी दो पालियों में परीक्षा कराने की अनुशंसा की गई है, वहीं, पुलिस भर्ती परीक्षा भी दो पालियों में कराई गई।

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आयोग के प्रवक्ता ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के बीते 07 नवम्बर के आदेश के अनुसार यदि विज्ञापन, भर्ती एवं चयन संबंधी किसी बिन्दु पर मौन है तो उस से संबंधित सक्षम प्राधिकारी चयन हेतु अभ्यर्थियों की शार्टलिस्टिंग के उद्देश्य से यथा आवश्यक प्रशासनिक एवं व्यवस्थागत प्रक्रिया निर्धारित व लागू कर सकते हैं। आयोग द्वारा तद्‌नुसार ही प्रक्रिया अपनायी जा रही है।

प्रवक्ता ने कहा कि परीक्षाओं के संबंध में अभ्यर्थियों ने आयोग को पत्र भेजकर बताया है कि कुछ टेलीग्राम चैनलों एवं यू ट्यूबर्स द्वारा परीक्षा को टलवाने की साजिश की जा रही है। ये चैनल परीक्षा के प्रसामान्यीकरण को लेकर भ्रम फैला रहे हैं और उम्मीदवारों को गुमराह कर रहे हैं। अनेक अभ्यर्थी जिनके लिए यह परीक्षा और समय दोनों ही बहुत अधिक महत्वपूर्ण है, आयोग के इस निर्णय का समर्थन करते हैं। 

प्रवक्ता ने कहा कि सरकार एवं आयोग की मंशा छात्र हितों को संरक्षित करना एवं मेरिट के आधार पर चयन सुनिश्चित करना है। चयन प्रक्रिया पूरी तरह से पारदर्शी एवं छात्र हितों को ध्यान में रखते हुए निर्धारित की गई है। इस संबंध में अभ्यर्थियों को सभी  आवश्यक जानकारी भी दी जा रही है।

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