क्या है एंजेल टैक्स : जिसे बजट 2024 से पूरी तरह किया गया खत्म, स्टार्टअप्स की मांग पूरी, क्यों पड़ी थी इसे लाने की जरूरत

UPT | एंजेल टैक्स

Jul 24, 2024 17:23

बजट 2024 में एक अहम कदम उठाते हुए एंजेल टैक्स को पूरी तरह से समाप्त कर दिया है। यह निर्णय स्टार्टअप्स के लिए बड़ी राहत लेकर आया है।

Angel Tax : सरकार ने बजट 2024 में एक अहम कदम उठाते हुए एंजेल टैक्स को पूरी तरह से समाप्त कर दिया है। यह निर्णय स्टार्टअप्स के लिए बड़ी राहत लेकर आया है। 2012 में कांग्रेस सरकार द्वारा लागू किया गया यह टैक्स, स्टार्टअप्स के विकास में एक बड़ी बाधा माना जाता था। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट भाषण में कहा कि स्टार्टअप इकोसिस्टम में नवाचार को प्रोत्साहित करने के लिए यह फैसला लिया गया है। इस कदम से भारत के स्टार्टअप क्षेत्र में नए निवेश और विकास की उम्मीद बढ़ गई है।

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क्या है एंजेल टैक्स
एंजेल टैक्स एक विशेष कर है जो स्टार्टअप्स पर लागू होता है। जब कोई स्टार्टअप विदेशी निवेश प्राप्त करता है, तो उस निवेश को अतिरिक्त आय माना जाता है और उस पर 30% कर लगाया जाता है। यह कर स्टार्टअप की फेयर वैल्यू से अधिक प्राप्त राशि पर लागू होता है। उदाहरण के लिए, यदि एक करोड़ रुपये की फेयर वैल्यू वाला स्टार्टअप 1.5 करोड़ रुपये जुटाता है, तो अतिरिक्त 50 लाख रुपये पर एंजेल टैक्स लगेगा। 



एंजेल टैक्स खत्म करने से क्या फायदा होगा
एंजेल टैक्स पूरी तरह से समाप्त करना स्टार्टअप्स के लिए एक बड़ी राहत है। 2012 में यह टैक्स मनी लॉन्ड्रिंग रोकने के उद्देश्य से लगाया गया था। परंतु इसने स्टार्टअप्स के विकास में बाधा उत्पन्न की। इस कर के हटने से अब स्टार्टअप्स के लिए फंड जुटाना आसान होगा। वे अब अधिक संसाधन नवाचार पर खर्च कर सकेंगे, जिससे रोजगार में भी वृद्धि होगी। पहले, नए स्टार्टअप्स को फंड जुटाने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था और विदेशी निवेश प्राप्त करने वालों को संदेह की दृष्टि से देखा जाता था।

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क्यों पड़ी थी इसे लाने की जरूरत
2012 में कांग्रेस सरकार ने एंजेल टैक्स दो कारणों से लागू किया था - मनी लॉन्ड्रिंग पर अंकुश लगाना और सभी व्यवसायों को कर के दायरे में लाना। हालांकि, यह नीति स्टार्टअप्स के लिए हानिकारक साबित हुई। मुख्य समस्या तब उत्पन्न होती थी जब किसी स्टार्टअप को प्राप्त निवेश उसकी फेयर मार्केट वैल्यू (FMV) से अधिक होता था। ऐसी स्थिति में, स्टार्टअप को 30.9% तक कर चुकाना पड़ता था। इन कारणों से, स्टार्टअप लगातार इस कर को समाप्त करने की मांग कर रहा था।

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