केंद्र सरकार का फैसला : सरकारी कर्मचारियों के लिए RSS की गतिविधियों में शामिल होने का रास्ता साफ, हटा प्रतिबंध

UPT | आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत

Jul 21, 2024 20:41

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एक अहम निर्णय लेते हुए सरकारी कर्मचारियों के राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की गतिविधियों में भाग लेने पर लगे प्रतिबंध को हटा दिया है।

New Delhi : केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एक अहम निर्णय लेते हुए सरकारी कर्मचारियों के राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की गतिविधियों में भाग लेने पर लगे प्रतिबंध को हटा दिया है। 9 जुलाई को जारी किए गए इस आदेश में 1966, 1970 और 1980 के पूर्व आदेशों में संशोधन किया गया है। पिछले आदेशों में आरएसएस सहित कुछ अन्य संगठनों की गतिविधियों में शामिल होने वाले सरकारी कर्मचारियों के लिए कड़े दंडात्मक प्रावधान थे। नए आदेश के बाद अब सरकारी कर्मचारी बिना किसी प्रतिबंध के आरएसएस की शाखाओं और अन्य कार्यक्रमों में भाग ले सकेंगे। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने इस फैसले का स्वागत किया है। 

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कांग्रेस सरकार पर रोक लगाने का आरोप
आरएसएस की गतिविधियों में सरकारी कर्मचारियों के शामिल होने पर लगे प्रतिबंध को लेकर लंबे समय से विवाद चल रहा था। आरोप है कि पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकारों ने इस पर रोक लगाई थी और कड़े दंडात्मक प्रावधान लागू किए थे। इसके कारण कई कर्मचारी पेंशन लाभ खोने के डर से संघ की गतिविधियों से दूर रहते थे। हालांकि, मध्य प्रदेश सहित कुछ राज्यों ने इस आदेश को पहले ही निरस्त कर दिया था, लेकिन केंद्रीय स्तर पर यह अभी भी प्रभावी था। 



9 जुलाई को प्रतिबंधों को समाप्त करने की हुई थी घोषणा 
आरोप है कि पूर्व की कांग्रेस सरकारों ने आरएसएस की गतिविधियों में शामिल होने पर कर्मचारियों को कड़ी सजा देने तक का प्रावधान लागू किया गया था। इस मुद्दे पर इंदौर की एक अदालत में चल रहे वाद में केंद्र सरकार से स्पष्टीकरण मांगा गया था। केंद्र सरकार ने 9 जुलाई को एक नया आदेश जारी करके इन प्रतिबंधों को समाप्त करने की घोषणा की है। यह निर्णय सरकारी कर्मचारियों और आरएसएस के संबंधों में एक नया अध्याय खोलने वाला साबित हो सकता है।

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आरएसएस और भाजपा के बीच तनाव
केंद्र सरकार का यह आदेश ऐसे समय में आया है जब आरएसएस और भाजपा के बीच कथित तनाव की खबरें सामने आ रही थीं। लोगों का मानना है कि भाजपा के रुख के कारण आरएसएस ने लोकसभा चुनाव में पूर्ण सहयोग नहीं दिया, जिससे भाजपा बहुमत हासिल नहीं कर पाई। आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत की हालिया टिप्पणी को भी सरकार की आलोचना के रूप में देखा गया। इसी तरह, राष्ट्रीय मुस्लिम मंच के नेता इंद्रेश कुमार के बयान को भी सरकार विरोधी माना गया, हालांकि बाद में उन्होंने अपने शब्दों से पल्ला झाड़ लिया। यह कदम आरएसएस और भाजपा के बीच संबंधों को सुधारने का प्रयास हो सकता है।

आरएसएस ने प्रतिबंध को बताया गलत
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ पदाधिकारी राजीव तुली ने केंद्र सरकार के नए आदेश का स्वागत किया है। उन्होंने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि आरएसएस एक ऐसा संगठन है जो देश निर्माण में लगा हुआ है और बिना किसी भेदभाव के सभी को शामिल करता है। तुली ने पूर्व की कांग्रेस सरकारों द्वारा लगाए गए प्रतिबंध को गलत मानसिकता का परिणाम बताया। उनका कहना है कि यह जनभावनाओं का अपमान था, जिसे लोगों ने पहले ही अस्वीकार कर दिया था। उन्होंने इस नए आदेश को उन लोगों की मनोभावनाओं का सम्मान करने वाला बताया, जो सरकारी सेवा में रहते हुए भी आरएसएस के साथ जुड़कर राष्ट्र निर्माण में योगदान देना चाहते थे। तुली ने कहा कि अब ऐसे लोगों के लिए द्वार खुल गया है।

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तरुण विजय ने कांग्रेस की नीतियों की आलोचना की
पांचजन्य के पूर्व संपादक तरुण विजय ने आरएसएस को लेकर कांग्रेस की नीतियों की आलोचना की। उन्होंने कहा कि आरएसएस को विश्व स्तर पर राष्ट्र निर्माता संगठन माना जाता है। विजय के अनुसार, कांग्रेस ने राजनीतिक द्वेष से आरएसएस पर प्रतिबंध लगाए, लेकिन यह रणनीति असफल रही। लोगों ने सरकारी नौकरियों में रहते हुए भी आरएसएस से जुड़ना जारी रखा। उन्होंने आरएसएस की सफलता का प्रमाण अटल बिहारी वाजपेयी और नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने को बताया। विजय ने एक नए सरकारी आदेश का स्वागत किया, जो शायद पुराने प्रतिबंधों को हटाता है, और कहा कि यह केंद्र सरकार की प्रतिष्ठा बढ़ाएगा।

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