ज्ञानपीठ पुरस्कार 2023 : दो महीने के थे तब से देख नहीं सकते, फिर भी 22 भाषाओं के जानकार, जानिए स्वामी रामभद्राचार्य की पूरी कहानी

UPT | जगद्गुरु रामभद्राचार्य

Feb 17, 2024 21:42

जगद्गुरु रामभद्राचार्य का जन्म उत्तर प्रदेश के जौनपुर में हुआ था। आश्रम में आने से पहले इनका नाम गिरिधर मिश्र था। रामभद्राचार्य एक प्रख्यात विद्वान, शिक्षाविद, बहुभाषाविद, रचनाकार, प्रवचनकार, दार्शनिक और हिन्दू धर्मगुरु हैं।

Short Highlights
  • जगद्गुरु रामभद्राचार्य का जन्म  उत्तर प्रदेश के जौनपुर में हुआ था।
  • आश्रम में आने से पहले रामभद्राचार्य का नाम गिरिधर मिश्र था।
  • जगद्गुरु रामभद्राचार्य जन्म के 2 महीने के बाद से ही अपनी आंखों से नहीं देख सकते हैं।
National News : देश के जाने-माने फिल्मकार, गीतकार कवि गुलजार और संस्कृत भाषा के विद्वान जगद्गुरु रामभद्राचार्य को ज्ञानपीठ पुरस्कार दिया जाएगा। इस पुरस्कार से जुड़े पैनल ने यह जानकारी दी है। ज्ञानपीठ चयन समिति की ओर से जारी बयान में कहा गया, “यह पुरस्कार (2023 के लिए) 2 भाषाओं के उत्कृष्ठ लेखकों को देने का फैसला समिति ने किया है। संस्कृत साहित्यकार जगद्गुरु रामभद्राचार्य और प्रसिद्ध उर्दू साहित्यकार गुलजार।"
 
जगद्गुरु रामभद्राचार्य का जन्म उत्तर प्रदेश के जौनपुर में हुआ था। आश्रम में आने से पहले इनका नाम गिरिधर मिश्र था। रामभद्राचार्य एक प्रख्यात विद्वान, शिक्षाविद, बहुभाषाविद, रचनाकार, प्रवचनकार, दार्शनिक और हिन्दू धर्मगुरु हैं। रामभद्राचार्य चित्रकूट में स्थित संत तुलसीदास के नाम पर स्थापित तुलसी पीठ नामक धार्मिक और सामाजिक सेवा संस्थान के संस्थापक और अध्यक्ष हैं। भारत सरकार की ओर से साल 2015 में जगद्गुरु रामभद्राचार्य को पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था।

2 महीने की आयु में खो दी थी आंखों की रोशनी
जगद्गुरु रामभद्राचार्य जन्म के 2 महीने के बाद से ही अपनी आंखों से नहीं देख सकते हैं। इन्होंने कभी भी अध्ययन या रचना के लिए  ब्रेल लिपि का प्रयोग नहीं किया। ये कई भाषाएं बोल सकते हैं। इन्होंने कई भाषाओं में रचनाएं की है। जिनमें संस्कृत, हिंदी, अवधी, मैथिली सहित कई अन्य भाषा शामिल है। इन्होंने तकरीबन 80 पुस्तकें और ग्रंथो की रचना की है। जिनमें चार महाकाव्य शामिल हैं।

सुप्रीम कोर्ट में राम मंदिर के पक्ष में दी थी गवाही
राम मंदिर निर्माण के पीछे एक बड़ा आंदोलन रहा है। कई कारसेवकों ने अपनी जान तक दी है। जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने भी राम जन्मभूमि और बाबरी मस्जिद के मामले में सुप्रीम कोर्ट में गवाही दी थी। इन्होंने वेद-पुराण के आधार पर जो तथ्य कोर्ट में रखें उससे कोर्ट में मौजूद जज और सभी उपस्थित लोग आश्चर्यचकित रह गए। जगद्गुरु ने सबसे प्राचीन ग्रंथ ऋग्वेद की जैमिनीय संहिता का उदाहरण दिया था। इन्होंने जैमिनीय संहिता का हवाला देते हुए सरयू नदी के स्थान से विशेष दिशा की ओर  बिलकुल सटीक जन्मस्थान का ब्योरा दिया था। जब जज ने जैमिनीय संहिता को मंगवाकर जगद्गुरु के बोले गए तथ्य से मिलान किया तो गुरु की एक-एक बात सही निकली। इस बात से जज भी बहुत प्रभावित हुए। जज ने कहा कि एक व्यक्ति जो देख नहीं सकता, वो कैसे इस तरह से वेदों का उदाहरण दे सकता है। इसे एक ईश्वरीय शक्ति ही मानी जा सकती है।

एशिया का पहला विकलांग विश्वविद्यालय चलाते हैं रामभद्राचार्य
चित्रकूट में जगद्गुरु रामभद्राचार्य विकलांग विश्वविद्यालय है। इसकी स्थापना जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने की है। यह विश्वविद्यालय देश ही नहीं बल्कि एशिया का पहला दिव्यांग विश्वविद्यालय है। यहां देश भर से दिव्यांग बच्चे पढ़ने आते हैं। इस विश्वविद्यालय की माने तो यहां से पढ़ा कोई भी बच्चा बेरोजगार नहीं रहता है। सभी बच्चे किसी न किसी नौकरी में चले जाते हैं या अपना व्यापार शुरू कर लेते हैं।

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