नई मौद्रिक नीति के तहत बदलाव : यूपीआई पेमेंट सीमा बढ़कर 5 लाख रुपये तक

UPT | UPI Payment

Aug 08, 2024 14:53

यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) के माध्यम से एक बार में पांच लाख रुपये तक का भुगतान किया जा सकेगा, जबकि पहले यह सीमा एक लाख रुपये तक थी। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने...

Short Highlights
  • मौद्रिक नीति के तहत महत्वपूर्ण बदलाव की घोषणा
  • यूपीआई के जरिए पांच लाख तक का भुगतान संभव
  • बड़े लेनदेन में बनेगा सुविधाजनक
New Delhi News : भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने अपने मौद्रिक नीति के तहत महत्वपूर्ण बदलाव की घोषणा की है। अब यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) के माध्यम से एक बार में पांच लाख रुपये तक का भुगतान किया जा सकेगा, जबकि पहले यह सीमा एक लाख रुपये तक थी। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने इस फैसले की जानकारी देते हुए बताया कि इससे डिजिटल भुगतान की सुविधा में सुधार होगा और बड़े लेनदेन को सुविधाजनक बनाया जाएगा।

चेक क्लीयरेंस को लेकर भी प्रस्ताव
इसके साथ ही, आरबीआई ने चेक क्लीयरेंस के समय को घटाने के लिए भी कदम उठाने का प्रस्ताव किया है। गवर्नर ने यह भी संकेत दिया कि पुराने होम लोन पर अतिरिक्त कर्ज (टॉप-अप होम लोन) की बढ़ती प्रवृत्ति पर चिंता व्यक्त की है। इसे लेकर अतिरिक्त नियामक कदम उठाए जा सकते हैं ताकि वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित की जा सके।



उपयोगकर्ता आधार में विस्तार की संभावना
आरबीआई के मुताबिक, यूपीआई का उपयोगकर्ता आधार वर्तमान में 42.4 करोड़ हो चुका है और इसके विस्तार की संभावना अभी भी बनी हुई है। नई पहल के तहत 'डेलिगेटेड पेमेंट्स' की शुरुआत की जाएगी, जिससे एक प्राथमिक उपयोगकर्ता किसी अन्य व्यक्ति के लिए यूपीआई लेनदेन की सीमा निर्धारित कर सकेगा। इससे डिजिटल भुगतान के क्षेत्र में और वृद्धि की उम्मीद है। इसके अलावा मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने इस बैठक में रेपो दर में कोई बदलाव नहीं किया है और इसे 6.5 प्रतिशत पर बनाए रखा है। एमपीसी ने मौजूदा रुख को भी जारी रखने का निर्णय लिया है। इससे ऋण सस्ते होने या ईएमआई में कमी आने की संभावना नहीं है।

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जीडीपी ग्रोथ रेट के पूर्वानुमान में कोई बड़ा बदलाव नहीं 
वित्त वर्ष 2025 के लिए जीडीपी विकास पूर्वानुमान को 7.2 प्रतिशत पर स्थिर रखा गया है, जबकि पिछला अनुमान 7.3 प्रतिशत था। तिमाही दर तिमाही जीडीपी ग्रोथ रेट के पूर्वानुमान में कोई बड़ा बदलाव नहीं किया गया है। वित्त वर्ष 2026 के लिए भी जीडीपी ग्रोथ का अनुमान 7.2 प्रतिशत ही रखा गया है। इसके अलावा खाद्य मुद्रास्फीति पर भी ध्यान दिया गया है। एमपीसी ने सीपीआई आधारित मुद्रास्फीति अनुमान को 4.5 प्रतिशत पर बनाए रखा है, हालांकि विभिन्न तिमाहियों के लिए पूर्वानुमान में कुछ बदलाव किए गए हैं। गवर्नर शशिकांत दास ने कहा कि 'हेडलाइन इन्फ्लेशन में नरमी आ रही है, लेकिन रफ्तार असमान और धीमी है।' इसलिए एमपीसी ने सीपीआई आधारित मुद्रास्फीति अनुमान को बरकरार रखा है।

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