चुनाव से पहले फ्री स्कीम के वादे होंगे बंद? : सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और चुनाव आयोग को भेजा नोटिस, जानिए क्या है वजह

सोशल मीडिया | सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और चुनाव आयोग को भेजा नोटिस

Oct 15, 2024 14:45

चुनाव से पहले राजनीतिक पार्टियों के फ्री स्कीम वाले एलान अब जल्द ही बंद हो सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने इस संबंध में केंद्र सरकार और चुनाव आयोग को नोटिस भेजा है।

Short Highlights
  • फ्रीबीज पर सुप्रीम कोर्ट में याचिका
  • केंद्र और चुनाव आयोग को भेजा नोटिस
  • फ्री स्कीम्स पर सबका अलग रुख
New Delhi : चुनाव से पहले राजनीतिक पार्टियों के फ्री स्कीम वाले एलान अब जल्द ही बंद हो सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने इस संबंध में केंद्र सरकार और चुनाव आयोग को नोटिस भेजा है। ये नोटिस उस याचिका के बाद भेजा गया है, जिसमें चुनाव से पहले मुफ्त योजनाओं वाली स्कीमों को रिश्वत घोषित करने की मांग की गई है।

जानिए क्या है पूरा मामला
दरअसल कर्नाटक के शशांक जे श्रीधर ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल की है। इसमें चुनाव के दौरान राजनीतिक दलों द्वारा मुफ्त की घोषणाओं को रिश्वत करार देते हुए कहा गया है कि इन पर वोट हासिल कर लिए जाते हैं, लेकिन इन्हें पूरा करने का कोई मैकेनिज्म नहीं है। इससे सरकार खजाने पर बोझ पढ़ता है और यह वोटर्स और संविधान के साथ धोखाधड़ी है। इसलिए याचिका में मांग की गई है कि इस पर तत्काल रोक लगाई जाए।



कोर्ट ने जारी किया नोटिस
इस याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने पुरानी याचिकाओं के साथ ही क्लब कर लिया और इसके बाद मंगलवार को केंद्र सरकार और चुनाव आयोग को इस संबंध में नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया है। याचिका में कहा गया है कि मुफ्त योजनाएं और कैश देने के वादे जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के तहत रिश्वत देकर वोट देने के लिए प्रेरित करने की भ्रष्ट प्रथा है। इस याचिका पर मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़,जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच सुनवाई करेगी।

फ्री स्कीम्स पर सबका अलग रुख
मुफ्त की योजनाओं, जिन्हें फ्रीबीज भी कहा जाता है, पर हर किसी का रुख अलग है। भाजपा नेता अश्विनी उपाध्याय ने भी इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की हुई है। इसमें कहा गया है कि चुनाव आयोग को ऐसी पार्टियों की मान्यता रद्द करनी चाहिए। जहां एक ओर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रेवड़ी कल्चर को देश के लिए खतरनाक बताते हैं, वहीं अरविंद केजरीवाल मुफ्त शिक्षा औऱ फ्री इलाज को रेवड़ी नहीं मानते। चुनाव आयोग ने 11 अगस्त को शीर्ष अदालत से ही फ्रीबीज को लेकर गाइडलाइन तय करने का आग्रह किया था।

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