सुरक्षित मतदान के लिए इस बार मार्क-3 मशीन का उपयोग : किसी भी तरह की छेड़छाड़ होने पर ईवीएम खुद लॉक हो जाएगी, जानिए Mark-3 EVM की विशेषताएं

UPT | मार्क-3 इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन

Apr 07, 2024 12:39

ईवीएम के साथ छेड़छाड़ की शिकायतें बार-बार आती रही हैं। लेकिन अबकी बार के लोकसभा चुनावों में इस तरह की कोई दिक्कत नहीं आएगी। इस बार आधुनिक तकनीक के जरिए विकसित तीसरी पीढ़ी की ईवीएम का इस्तेमाल होगा।

Short Highlights
  • Mark-3 EVM इलेक्ट्रॉनिक्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड द्वारा बनाई गई है
  • इसमें डायनामिक कोडिंग और रियल टाइम क्लॉक जैसी विशेष विशेषताएं हैं, इसलिए इसे हैक नहीं किया जा सकता 
New Delhi News : इस लोकसभा चुनाव में मार्क-3 इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन के जरिए वोटिंग होगी। तीसरी पीढ़ी की इस आधुनिक मशीन में किसी भी प्रकार की छेड़छाड़ संभव नहीं है। अगर किसी ने ऐसा करने की कोशिश की तो मशीन लॉक हो जाएगी। Mark-3 EVM की चिप को केवल एक बार ही प्रोग्राम किया जा सकता है। चुनाव आयोग के मुताबिक, चिप के सॉफ़्टवेयर कोड को पढ़ा या दोबारा लिखा नहीं जा सकता। इसे इंटरनेट या किसी नेटवर्क से नियंत्रित नहीं किया जा सकता। अगर कोई छेड़छाड़ करेगा या स्क्रू खोलने की कोशिश करेगा तो मशीन लॉक हो जाएगी। इसमें रियल टाइम क्लॉक और डायनामिक कोडिंग जैसे फीचर्स हैं।

हैक या री-प्रोग्राम नहीं किया जा सकता
इस मशीन को हैक या री-प्रोग्राम नहीं किया जा सकता। मशीनों का निर्माण भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड, बैंगलोर और इलेक्ट्रॉनिक्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड, हैदराबाद में किया जाता है। इस मशीन की कंट्रोल यूनिट और बैलेट यूनिट एक दूसरे से संवाद करने में सक्षम हैं। यदि कोई नियंत्रण इकाई या मतपत्र इकाई बाहरी रूप से स्थापित की गई है, तो डिजिटल हस्ताक्षर मेल नहीं खाएंगे और सिस्टम काम करना बंद कर देगा।
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भारत में ईवीएम का इतिहास
ईवीएम बनाने का विचार सबसे पहले 1977 में आया। इसका प्रयोग नवंबर 1998 में किया गया था। पहली पीढ़ी की ईवीएम मार्क-1 का निर्माण 1989 से 2006 के बीच किया गया था। दूसरी पीढ़ी की ईवीएम मार्क-2 का  निर्माण 2006 और 2012 के बीच किया गया था। ईवीएम के दूसरे संस्करण में रियल टाइम क्लॉक और डायनमिक कोडिंग जैसे फीचर जोड़े गए थे। इसके बाद 2018 में ईवीएम मार्क-3 को लॉन्च किया गया जो 2024 के लोकसभा चुनावों में मील का पत्थर साबित होगी।
 
 मार्क-3 ईवीएम की मुख्य विशेषताएं
  1. इसमें 24 बैलेट यूनिट और 384 प्रत्याशियों की जानकारी होगी। पुरानी ईवीएम में केवल चार बैलेट यूनिट और 64 प्रत्याशियों की जानकारी होती थी। ऐसे में प्रत्याशियों की संख्या बढ़ने पर कोई दिक्कत नहीं होगी। पहले अगर किसी निर्वाचन क्षेत्र में उम्मीदवारों की संख्या 64 से ज्यादा हो जाती थी तो उस सीट पर बैलेट पेपर से चुनाव कराना पड़ता था।
  2. यदि कोई छोटी-मोटी खराबी पाई जाती है तो यह स्वयं ही ठीक हो जाएगी। यानी अगर सॉफ्टवेयर में कोई खराबी होगी तो वह डिस्प्ले स्क्रीन पर दिखने लगेगा।
  3. टैम्पर डिटेक्ट एम-3 ईवीएम की एक विशेषता है। अगर कोई छेड़छाड़ करेगा तो यह काम करना बंद (लॉक)कर देगा।
  4. मार्क-3 मॉडल का डिज़ाइन चिकना और वजन में हल्का है। यह उस समय बहुत मददगार होता है जब ट्रांसपोर्ट और स्थानांतरण की समस्या होती है।  
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