Allahabad High court : इलाहाबाद हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, पुलिस भर्ती के शारीरिक परीक्षण में फेल हुए तो नहीं मिलेगा दूसरा मौका

UPT | Allahabad High Court

Jun 13, 2024 15:35

नियुक्ति में शारीरिक दक्षता परीक्षा में अगर फेल हो जाते हैं तो दूसरा मौका नहीं दिया जाएगा। इलाहाबाद हाईकोर्ट में जस्टिस एम. सी. त्रिपाठी और जस्टिस अनीस कुमार गुप्ता की डिवीजन बेंच में एक मामले पर फैसला...

Short Highlights
  • दरोगा पद पर नियुक्ति में शारीरिक दक्षता परीक्षा में फेल होने पर दूसरा मौका नहीं मिलेगा
  • कोर्ट के अनुसार, आश्रित कोटे के नियुक्ति भर्ती का वैक्लपिक स्रोत नहीं है
  • हाईकोर्ट ने कहा सिंगल बेंच का आदेश उचित नहीं है
Prayagraj News : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि मृतक आश्रित कोटे के तहत दरोगा पद पर नियुक्ति में शारीरिक दक्षता परीक्षा में अगर फेल हो जाते हैं तो दूसरा मौका नहीं दिया जाएगा। इलाहाबाद हाईकोर्ट में जस्टिस एम. सी. त्रिपाठी और जस्टिस अनीस कुमार गुप्ता की डिवीजन बेंच में एक मामले पर फैसला सुनाया गया। जिसमें कोर्ट ने कहा कि याची अन्य उचित पद पर नियुक्ति की मांग कर सकती है। कोर्ट के अनुसार, आश्रित कोटे के नियुक्ति भर्ती का वैक्लपिक स्रोत नहीं है, बल्कि यह परिवार के कमाऊ सदस्य की हुई अचानक मौत से आए आर्थिक संकट से उबारने का नियम है।

याची ने मांगा दूसरा मौका
दरअसल, मुजफ्फरनगर की रहने वाली गीता रानी के पति मानसिंह हेड कांस्टेबल के तौर पर कार्यरत थे। उनकी मृत्यु सेवाकाल के दौरान हो गई। जिसके बाद गीता रानी ने आश्रित कोटे में नियुक्ति की अर्जी देकर दरोगा पद पर नियुक्ति की मांग की। जिसके बाद उसका शारीरिक दक्षता परीक्षण हुआ लेकिन वह इस दौड़ में विफल रहीं। बता दें कि शारीरिक दक्षता परीक्षण में उम्मीदवारों को कुछ शारीरिक सहनशक्ति और फिटनेस कार्य करने के लिए कहा जाता है। इसमें दौड़ भी शामिल होती है। जो लोग दौड़ में मानक योग्यता को पूरा कर लेते हैं वो अगले राउंड के लिए पात्र होते हैं। लेकिन याची ने परीक्षण में विफल होने पर हाईकोर्ट में याचिका दायर कर एक और मौका दिए जाने की मांग की। इस पर सिंगल बेंच ने याचिका स्वीकार करते हुए याची को एक मौका देने और विफल हो जाने पर उचित पद पर योग्यता के अनुसार नियुक्ति पर विचार करने का आदेश दिया। 

कोर्ट ने कहा दूसरा मौका नहीं दिया जाएगा
दूसरी तरफ सिंगल बेंच के इस फैसले को राज्य सरकार ने अपील में चुनौती दे दी। कोर्ट ने कहा कि याची महिला अभ्यर्थी दौड़ में मानक योग्यता को पूरा कर पाने में विफल रही इसलिए उसे दूसरा मौका नहीं दिया जा सकता। ऐसा इसलिए क्योंकि इस तरह का कोई नियम नहीं है। हाईकोर्ट ने कहा कि सिंगल बेंच का आदेश उचित नहीं है और रद्द होने योग्य है। इस पर विचार किया जाए और एक माह में याची की योग्यता के अनुसार नियुक्ति पर निर्णय लिया जाए। बता दें कि इलाहाबाद हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने सिंगल बेंच के आदेश की वैधता की चुनौती में दाखिल राज्य सरकार की विशेष अपील को इस फैसले के साथ निस्तारित कर दिया है।

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