सीबीआई को मिली वेरिफिकेशन सेंटर के फर्जीवाड़े की जांच : कोर्ट ने 4 नवंबर तक सीलबंद लिफाफ में मांगी रिपोर्ट, जानिए पूरा मामला

UPT | सीबीआई को मिली जांच

Sep 25, 2024 21:00

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने निहारिका इंटरप्राइजेज के तहत संचालित फोटो वेरिफिकेशन सेंटर के फर्जीवाड़े की गंभीरता को देखते हुए जांच सीबीआई को सौंप दी है। यह निर्णय न्यायमूर्ति संजय कुमार सिंह ने अमरोहा के गुरेंद्र उर्फ गोलू की पुनरीक्षण याचिका पर सुनवाई के दौरान लिया।

Short Highlights
  • सीबीआई को मिली फर्जीवाड़े की जांच
  • वेरिफिकेशन सेंटर से जुड़ा है मामला
  • याची का दावा निकला था झूठा
Prayagraj News : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने निहारिका इंटरप्राइजेज के तहत संचालित फोटो वेरिफिकेशन सेंटर के फर्जीवाड़े की गंभीरता को देखते हुए जांच सीबीआई को सौंप दी है। यह निर्णय न्यायमूर्ति संजय कुमार सिंह ने अमरोहा के गुरेंद्र उर्फ गोलू की पुनरीक्षण याचिका पर सुनवाई के दौरान लिया। आरोपी को इसी सेंटर द्वारा खींचे गए फर्जी फोटो के आधार पर जमानत मिली थी, जबकि मामले में पीड़िता ने पहले ही पुलिस में एफआईआर दर्ज करवाई थी। कोर्ट ने सीबीआई से चार नवंबर तक सीलबंद लिफाफे में रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया है।

हाईकोर्ट ने जारी किया था नोटिस
अमरोहा के बछरावां में हुए जानलेवा हमले के आरोपी गुरेंद्र उर्फ गोलू ने अपने बचाव में हाईकोर्ट के फोटो वेरिफिकेशन सेंटर से खींचे गए फोटो को पेश किया था। उसका दावा था कि घटना के दिन वह वहां था, जिससे उसे जमानत मिली। हालांकि, जिला अदालत ने उसकी अर्जी खारिज कर दी थी, जिसके बाद याची ने हाईकोर्ट में पुनरीक्षण याचिका दाखिल की। हाईकोर्ट ने मामले में आपराधिक कार्यवाही पर रोक लगा दी और पीड़िता को नोटिस जारी किया, जिससे यह मामला और भी गंभीर हो गया।



याची का दावा निकला झूठा
जैसे ही पीड़िता को हाईकोर्ट का नोटिस मिला, उसने याची द्वारा पेश किए गए फोटो को फर्जी साबित करने की कोशिश की। उसने अपने खर्च पर 12 मई 2023 को खींचे गए फोटो को 21 सितंबर 2024 में परिवर्तित करवाकर कोर्ट में पेश किया। पीड़िता ने दावा किया कि फोटो वेरिफिकेशन सेंटर में पैसे देकर किसी भी दिन का फोटो प्राप्त किया जा सकता है। उसकी इस कार्रवाई से यह स्पष्ट हुआ कि याची का दावा पूरी तरह झूठा था, और फोटो में कई अनियमितताएँ थीं।

सीबीआई जांच की सिफारिश
बार एसोसिएशन के सचिव विक्रांत पांडेय ने कोर्ट में अपनी रिपोर्ट पेश की, जिसमें उन्होंने फर्जीवाड़े की पुष्टि की। उन्होंने बताया कि यदि सर्वर की तारीख बदल दी जाए, तो भी फोटो की रसीद उसी तारीख पर बनी रहती है। इसके अलावा, सीबीआई जांच की सिफारिश की गई, क्योंकि मामले की गंभीरता को देखते हुए स्वतंत्र जांच आवश्यक थी। कोर्ट ने सीबीआई को जांच का आदेश देते हुए कहा कि चार नवंबर तक रिपोर्ट प्रस्तुत की जाए, जिससे आरोपी के खिलाफ कार्रवाई को आगे बढ़ाया जा सके।

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