रुपये न देने पर जबरन वसूली का केस नहीं बनता : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बालाजी ट्रेडर्स के प्रोप्रारइटर और गुटखा व्यापारी के आपराधिक मामले पर कार्यवाही रद्द की

UPT | Allahabad High Court

Jun 29, 2024 10:33

भारतीय दंड संहिता की धारा 387 के तहत जबरन वसूली का अपराध तभी माना जाएगा जब वास्तव में पैसे का लेन-देन हुआ हो। साथ ही कोर्ट ने बालाजी ट्रेडर्स के प्रोपराइटर मनोज कुमार अग्रवाल...

Short Highlights
  • जब वास्तव में पैसे का लेन-देन हुआ हो तभी माना जाएगा जबरन वसूली का अपराध
  • कोर्ट ने कहा यह मामला धारा 387 के अंतर्गत नहीं आता
Prayagraj News : इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है जो धन वसूली (उगाही) के मामलों से संबंधित है। न्यायालय ने स्पष्ट किया कि भारतीय दंड संहिता की धारा 387 के तहत जबरन वसूली का अपराध तभी माना जाएगा जब वास्तव में पैसे का लेन-देन हुआ हो। साथ ही कोर्ट ने बालाजी ट्रेडर्स के प्रोपराइटर मनोज कुमार अग्रवाल के द्वारा सुपारी दाना गुटखा व्यवसायी संजय गुप्ता उर्फ संजय मोहन के खिलाफ जालौन, उरई में अपर सत्र अदालत में चल रहे आपराधिक केस की कार्यवाही को रद्द कर दिया है। 

क्या है पूरा मामला?
दरअसल, यह निर्णय एक व्यापारी संजय गुप्ता द्वारा दायर याचिका पर आया है। जहां गुप्ता पर एक अन्य व्यवसायी मनोज कुमार अग्रवाल ने आरोप लगाया था कि जब वह बाजार से जा रहे थे तो याची ने अपनी कार उनकी स्कूटर के सामने खड़ा कर दिया और बंदूक दिखाकर धमकी देते हुए हर महीने पांच लाख रुपये की मांग की थी। इस मामले में न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी ने अपने फैसले में कहा कि चूंकि कोई धनराशि का भुगतान नहीं किया गया था, इसलिए यह मामला धारा 387 के अंतर्गत नहीं आता। इस आधार पर, न्यायालय ने जालौन, उरई में चल रहे आपराधिक मामले को खारिज कर दिया।

कोर्ट ने मामला खारिज किया
यह मामला मई 2022 में दर्ज एक शिकायत से उत्पन्न हुआ था। शुरू में पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज करने से इनकार कर दिया था, जिसके बाद अग्रवाल ने न्यायालय में शिकायत दर्ज की थी। संजय गुप्ता ने दावा किया कि उन पर लगाए गए आरोप निराधार हैं और कोई वास्तविक धन का लेन-देन नहीं हुआ था। जिसके बाद न्यायालय ने इस तर्क को स्वीकार करते हुए मामले को खारिज कर दिया। 

Also Read