अवैध निर्माण पर चला बुलडोजर : नूरी जामा मस्जिद का अवैध हिस्सा गिराया, PWD ने नोटिस के बाद की कार्रवाई

UPT | नूरी जामा मस्जिद

Dec 10, 2024 13:32

फतेहपुर स्थित 180 वर्ष पुरानी नूरी जामा मस्जिद का अवैध हिस्सा गिराया गया। एक महीने पहले PWD विभाग ने नोटिस दिया गया था।

Fatehpur News : फतेहपुर में प्रशासन ने सोमवार को 180 वर्ष पुरानी नूरी जामा मस्जिद के अवैध निर्माण पर कार्रवाई करते हुए उसका एक हिस्सा ध्वस्त कर दिया। यह कार्रवाई लोक निर्माण विभाग (PWD) द्वारा दी गई पूर्व सूचना और प्रशासनिक आदेश के तहत की गई। इस दौरान सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए, जिसमें पुलिस बल और रैपिड एक्शन फोर्स (RAF) की तैनाती की गई थी।

एक महीने पहले दिया गया था नोटिस
करीब एक महीने पहले PWD ने मस्जिद के प्रबंधन को अवैध हिस्से को हटाने का नोटिस जारी किया था। विभाग के अनुसार, मस्जिद का यह हिस्सा बिना किसी अनुमति के बनाया गया था और सार्वजनिक भूमि पर अवैध कब्जे के अंतर्गत आता था। नोटिस में स्पष्ट चेतावनी दी गई थी कि यदि इसे निर्धारित समय सीमा के भीतर स्वयं नहीं हटाया गया, तो प्रशासन द्वारा इसे ध्वस्त कर दिया जाएगा।

प्रशासन ने अपनाया सख्त रुख
नोटिस की अवधि समाप्त होने के बावजूद अवैध निर्माण नहीं हटाया गया, जिसके बाद सोमवार को प्रशासन ने कार्रवाई करते हुए बुलडोजर चलाकर अवैध हिस्से को गिरा दिया। इस दौरान किसी भी अप्रिय स्थिति से बचने के लिए भारी संख्या में पुलिस बल और RAF के जवान मौके पर तैनात किए गए थे। प्रशासन का कहना है कि यह कार्रवाई नियमानुसार की गई और इसका उद्देश्य सार्वजनिक भूमि को अतिक्रमण से मुक्त कराना है।

सुरक्षा के कड़े इंतजाम
ध्वस्तीकरण के दौरान किसी भी प्रकार की अप्रिय घटना से बचने के लिए जिला प्रशासन ने पूरी तैयारी कर रखी थी। पुलिस और RAF ने इलाके को पूरी तरह से घेर लिया और सुनिश्चित किया कि कार्रवाई शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हो। अधिकारियों ने बताया कि सुरक्षा उपायों के कारण किसी भी तरह की हिंसा या विरोध प्रदर्शन की संभावना को पहले ही खत्म कर दिया गया।


उच्च न्यायालय से संरक्षण की अपील की गई थी
फतेहपुर जिले के लालौली में स्थित 180 साल पुरानी नूरी जामा मस्जिद को बचाने के लिए वकील सैयद अज़ीम उद्दीन के माध्यम से उच्च न्यायालय में याचिका दायर की गई थी। इस याचिका में मस्जिद को विरासत स्थल के रूप में मान्यता और संरक्षण दिलाने के लिए तत्काल हस्तक्षेप की मांग की गई थी। याचिका के अनुसार, यह मस्जिद स्थानीय मुस्लिम समुदाय के लिए एक धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक केंद्र रही है, जहां पीढ़ियों से पूजा और सांस्कृतिक गतिविधियां होती रही।

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सांस्कृतिक धरोहर को बचाने की गुहार भी लगाई गई
याचिका में यह तर्क दिया गया है कि मस्जिद का विध्वंस न केवल स्थानीय समुदाय की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाएगा, बल्कि देश की सांस्कृतिक विरासत को भी अपूरणीय क्षति होगी। एक बार नष्ट कर दिए जाने के बाद ऐसी ऐतिहासिक संरचनाओं को पुनः स्थापित करना संभव नहीं है।

अतिक्रमण नोटिस पर रोक की मांग की गई थी
याचिका में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा मस्जिद को अतिक्रमण मानते हुए जारी किए गए नोटिस पर रोक लगाने की अपील की गई थी। इसके अलावा, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को निर्देश देने की मांग की गई थी कि वह नूरी जामा मस्जिद को प्राचीन स्मारक और पुरातात्विक स्थल एवं अवशेष अधिनियम, 1958 के तहत संरक्षित स्मारक घोषित करे।

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