बीएचयू अस्पताल में नर्सिंग स्टाफ का प्रदर्शन : कहा- 17 मरीजों की देखभाल एक कर्मचारी के हवाले, अधिक काम से हुई नर्स की मौत

UPT | बीएचयू में विरोध प्रदर्शन करता नर्सिंग स्टाफ।

Sep 15, 2024 18:14

काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के सर सुंदरलाल चिकित्सालय की इमरजेंसी के बाहर नर्सिंग स्टाफ जमकर विरोध प्रदर्शन कर रहा है। कर्मचारियों का कहना है कि उनके स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ हो रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि वर्क लोड काफी अधिक है।

Varaansi News: काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के सर सुंदरलाल चिकित्सालय में नर्सिंग स्टाफ ने अपने स्वास्थ्य और कार्य-स्थिति को लेकर बड़ा विरोध प्रदर्शन किया। नर्सिंगस्टाफ का कहना है कि उन पर अत्यधिक काम का बोझ है, जिससे उनके स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है। उन्होंने अस्पताल प्रशासन पर आरोप लगाया कि उन्हें 17 मरीजों की देखभाल एक ही नर्स को करनी पड़ रही है, जो अत्यधिक तनावपूर्ण है और इस स्थिति को सुधारने की मांग कर रहे हैं।

नर्सिंग स्टाफ की मौत से बढ़ी नाराजगी
प्रदर्शन की आग तब और भड़क उठी जब 29 वर्षीय नर्सिंग स्टाफ खेमचंद सैनी की आकस्मिक ड्यूटी के दौरान मौत हो गई। खेमचंद, जो राजस्थान के भरतपुर के रहने वाले थे, सुबह 6 बजे सीसीयू में ड्यूटी कर रहे थे। इसी दौरान उन्हें हार्ट अटैक आया और वह सीसीयू के बाथरूम में बेहोश हो गए। उन्हें तुरंत अस्पताल ले जाया गया, लेकिन डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। उनका शव मोर्चरी में रखवा दिया गया। इस घटना ने नर्सिंग स्टाफ के बीच आक्रोश को और बढ़ा दिया, और वे अस्पताल प्रशासन के खिलाफ आवाज उठाने लगे। 

अत्यधिक काम का बोझ और सुरक्षा की मांग
नर्सिंग स्टाफ का कहना है कि वर्तमान में एक नर्स को 17 मरीजों की देखभाल करनी पड़ रही है, जो कि बेहद कठिन और थकाऊ है। इसके चलते नर्सों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है। नर्स बाबूलाल यादव ने कहा, "हमारे साथी खेमचंद सैनी की मौत के लिए अस्पताल प्रशासन की लापरवाही जिम्मेदार है। काम के अत्यधिक दबाव के कारण उनकी जान गई है।" उन्होंने यह भी कहा कि मृतक के परिवार को मुआवजा दिया जाए और नर्सिंग स्टाफ के काम के बोझ को कम किया जाए।

10 घंटे की ड्यूटी और कोई राहत नहीं
बीएचयू अस्पताल में कुल 1100 नर्सिंग स्टाफ काम करते हैं, लेकिन उनका आरोप है कि वे 10-10 घंटे की लंबी ड्यूटी कर रहे हैं और उन्हें बीच में बाहर जाने की अनुमति नहीं दी जाती है। इसके अलावा, उन्हें सप्ताह के सातों दिन काम करना पड़ता है, जिससे उनका निजी जीवन भी प्रभावित हो रहा है। नर्सिंग स्टाफ ने इस बात पर जोर दिया कि उनका काम न सिर्फ शारीरिक रूप से थकाऊ है, बल्कि मानसिक रूप से भी अत्यधिक तनावपूर्ण है। 

अस्पताल प्रशासन ने की शांति की अपील
नर्सिंग स्टाफ के प्रदर्शन को शांत करने के लिए अस्पताल प्रशासन के अधिकारी मौके पर पहुंचे। प्राक्टोरियल बोर्ड की टीम भी मौके पर तैनात रही, ताकि स्थिति नियंत्रण में रहे। प्रशासन ने नर्सों की समस्याओं को सुनने और समाधान निकालने का आश्वासन दिया है, लेकिन नर्सिंग स्टाफ का कहना है कि जब तक उनकी मांगों को पूरा नहीं किया जाता, तब तक वे विरोध जारी
रखेंगे। 

प्रदर्शन कर रहे नर्सिंग स्टाफ की मुख्य मांगें हैं कि काम के अत्यधिक बोझ को कम किया जाए, नर्सों की संख्या बढ़ाई जाए और मृतक नर्स खेमचंद सैनी के परिवार को उचित मुआवजा दिया जाए। 

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