आगरा में पेड़ों की बेलगाम कटाई : माथुर फार्म हाउस मामले में कार्रवाई की मांग, पर्यावरण प्रेमी ने लिखा पत्र

UPT | सुप्रीम कोर्ट

Oct 17, 2024 22:03

सर्वोच्च संस्थाओं की निगरानी के बावजूद, आगरा में 7,000 से अधिक हरे पेड़ों को बलि का बकरा बना दिया गया है। यह हरे पेड़ वन विभाग, पीडब्ल्यूडी, आगरा मेट्रो, एनएचएआई और भारतीय रेलवे की कई विकास योजनाओं के तहत काटे गए हैं।

Agra News : वैश्विक पर्यटन नगरी आगरा, एक ऐसा शहर है जिसमें आधा दर्जन से अधिक पुरातत्व स्मारक हैं। इन सभी पुरातत्व स्मारकों को विश्व धरोहर का दर्जा प्राप्त है, जिनमें ताजमहल, फतेहपुर सीकरी और आगरा किला शामिल हैं। इन वैश्विक पुरातत्व स्मारकों के चलते आगरा पर सुप्रीम कोर्ट, टीटीजेड अथॉरिटी और एनजीटी की नजर हमेशा बनी रहती है। इन सभी सर्वोच्च संस्थाओं की निगरानी के बावजूद, आगरा में 7,000 से अधिक हरे पेड़ों को बलि का बकरा बना दिया गया है। यह हरे पेड़ वन विभाग, पीडब्ल्यूडी, आगरा मेट्रो, एनएचएआई और भारतीय रेलवे की कई विकास योजनाओं के तहत काटे गए हैं।

इन सभी विभागों का दुस्साहस इतना अधिक है कि ताज ट्रेपेजियम जोन में एक पेड़ काटने के लिए भी सुप्रीम कोर्ट की अनुमति लेनी पड़ती है। यहां पर इन विभागों ने 7,020 पेड़ों को जड़ से काट दिया, और सुप्रीम कोर्ट एवं टीटीजेड समिति को इसकी सूचना तक नहीं मिली। जब सुप्रीम कोर्ट को आगरा के चिकित्सक डॉक्टर शरद गुप्ता ने बताया कि आगरा सहित पूरे टीटीजेड क्षेत्र में हरे पेड़ों को विकास के नाम पर काटा जा रहा है, तो सर्वोच्च अदालत ने प्रशासनिक और संबंधित विभागों के अधिकारियों से जवाब तलब किया।

कोर्ट ने 9 साल पहले दिया था आदेश
आगरा में, सुप्रीम कोर्ट ने नौ साल पहले आदेश दिया था कि 10,400 वर्ग किमी क्षेत्रफल वाले ताज ट्रेपेजियम जोन में कोई भी पेड़ सुप्रीम कोर्ट की अनुमति के बिना नहीं काटा जा सकता। वन विभाग के अधिकारियों की लापरवाही से टीटीजेड में 7,020 पेड़ काटे गए। यह खुलासा सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई सेंट्रल इंपावर्ड कमेटी की रिपोर्ट में किया गया है। इनमें सबसे अधिक चार हजार पेड़ आगरा में काटे गए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने रेल विकास निगम की पेड़ काटने की याचिका पर सुनवाई के दौरान 5,049 पेड़ काटने की अनुमति पर रोक लगा दी थी और चेतावनी दी थी कि यदि पेड़ नहीं लगाए गए, तो सभी निर्माण कार्य गिराए जाएंगे। सुप्रीम कोर्ट पेड़ काटने के मामले में गंभीर है, जबकि टीटीजेड के अधिकारियों ने 7,020 पेड़ों पर बिना अनुमति आरी चलाने का काम किया है।

पेड़ काटने के चल रहे मामले
इस पूरे प्रकरण का खुलासा सेंट्रल इंपावर्ड कमेटी की सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई रिपोर्ट में हुआ है। इसमें बताया गया है कि 1,030 मामले पेड़ काटने के संबंध में दर्ज किए गए, जिनमें से 624 चल रहे हैं। 160 मामले लोक अदालत में, 86 स्थानीय अदालत में, और 160 मामले पुलिस और वन विभाग ने निपटा दिए हैं। सेंट्रल इंपावर्ड कमेटी की सदस्य सचिव भानुमति ने अपनी रिपोर्ट में एक-एक पेड़ काटने का ब्योरा दिया है। रिपोर्ट में बताया गया है कि पुलिस और वन विभाग ने ज्यादातर मामलों में कोई कार्रवाई नहीं की। कमेटी ने टीटीजेड में किसानों की एग्रो फॉरेस्ट्री वाले पेड़ काटने के लिए अनुमति लेने की समस्या को भी सामने रखा है। सीईसी ने 16 मामलों का उल्लेख किया है, जिनमें पेड़ काटने की अनुमति के बाद पौधरोपण की रिपोर्ट नहीं दी गई।

पेड़ लगाने का नहीं है ब्योरा
वर्ष 2011 में ताज एक्सप्रेस-वे, 2015 में आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे, सीओडी आगरा, भरतपुर-धौलपुर रोड के लिए, 2018 में पलवल रेलवे लाइन, 2019 में धांधुपुरा में एसटीपी निर्माण, 2021 में मथुरा-झांसी के बीच रेल लाइन, गोवर्धन डीग रोड चौड़ीकरण, मथुरा-वृंदावन रोड चौड़ीकरण, गोवर्धन परिक्रमा मार्ग चौड़ीकरण, सौंख रोड चौड़ीकरण, मथुरा-भूतेश्वर रेलवे ट्रैक, आगरा-अलीगढ़ रोड, आगरा मेट्रो प्रोजेक्ट, और मथुरा-हाथरस रोड के लिए पेड़ काटे गए, लेकिन कितने पेड़ लगाए गए, इसका कोई ब्योरा नहीं दिया गया।

टीटीजेड अथॉरिटी ने नहीं की कार्रवाई
माथुर फार्म हाउस में पेड़ काटने पर कार्रवाई की मांग सुप्रीम कोर्ट और एनजीटी में पर्यावरण मामलों के याचिकाकर्ता डॉ. शरद गुप्ता ने ताज ट्रेपेजियम जोन अथॉरिटी की चेयरपर्सन और मंडलायुक्त रितु माहेश्वरी को पत्र भेजा है, जिसमें उन्होंने दयालबाग के माथुर फार्म हाउस में काटे गए पेड़ों के मामले में कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने बताया कि यमुना के डूब क्षेत्र में रियल एस्टेट परियोजना के लिए पेड़ काटे गए हैं। सुप्रीम कोर्ट के 8 मई 2015 के आदेश के अनुसार, टीटीजेड में पेड़ों को काटने के लिए सुप्रीम कोर्ट की अनुमति आवश्यक है। उन्होंने मथुरा में डालमिया फार्म में 452 पेड़ काटने का मामला भी उठाया, जिसमें टीटीजेड अथॉरिटी ने कोई कार्रवाई नहीं की।

बिना अनुमति पेड़ काटने का आरोप
जब इस संबंध में याचिकाकर्ता डॉ. शरद गुप्ता से उत्तर प्रदेश टाइम्स ने बात की, तो उन्होंने बताया कि टीटीजेड क्षेत्र में इतनी बड़ी संख्या में पेड़ों के काटे जाने से स्पष्ट है कि वन विभाग और प्रशासनिक अधिकारियों के साथ-साथ संबंधित विभागों के उच्च अधिकारियों ने आंखें बंद की हुई थीं। इतनी बड़ी संख्या में हरे पेड़ों पर आरी चलाना अचंभित करता है। यह सरासर सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अवहेलना है, जिसका खामियाजा संबंधित विभागों के अधिकारियों को उठाना होगा। उन्होंने कहा कि अधिकारियों की इतनी हिमाकत नहीं होनी चाहिए कि उनकी अनुमति के बिना पेड़ों को काटा जाए, लेकिन इन अधिकारियों की लापरवाही के कारण टीटीजेड क्षेत्र में हरे पेड़ों पर आरी चलाई गई।

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