यूपी के इस कारीगर ने गढ़ी न्याय की नई प्रतिमा : सुप्रीम कोर्ट में की गई स्थापित, बताया कहां से मिली प्रेरणा

UPT | विनोद गोस्वामी

Oct 17, 2024 20:16

नई मूर्ति की विशेषता यह है कि पहले की मूर्ति की आंखों पर काली पट्टी थी, जो अब हटा दी गई है। इसके अलावा, नई मूर्ति के हाथ में तलवार के बजाय भारतीय संविधान की पुस्तक है, जो न्याय के प्रति एक नई दृष्टि को दर्शाती है...

Short Highlights
  • न्याय की देवी की पुरानी मूर्ति की जगह स्थापित हुई नई मूर्ति
  • मथुरा के प्रोफेसर और टीम ने किया तैयार
  • शनिदेव की मां से ली प्रेरणा
Mathura News : भारत के सर्वोच्च न्यायालय में हाल ही में एक महत्वपूर्ण बदलाव किया गया है। न्याय की देवी की पुरानी मूर्ति को चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) के आदेश पर बदल दिया गया है। नई मूर्ति की विशेषता यह है कि पहले की मूर्ति की आंखों पर काली पट्टी थी, जो अब हटा दी गई है। इसके अलावा, नई मूर्ति के हाथ में तलवार के बजाय भारतीय संविधान की पुस्तक है, जो न्याय के प्रति एक नई दृष्टि को दर्शाती है।

मथुरा के निवासी हैं विनोद
दरअसल, इस नई मूर्ति का निर्माण प्रोफेसर विनोद गोस्वामी और उनकी टीम ने किया है। विनोद गोस्वामी, मथुरा जिले के नंदगांव के निवासी हैं। उन्होंने इस मूर्ति को CJI डीवाई चंद्रचूड़ के निर्देश पर तराशा है। बता दें कि इस मूर्ति को साड़ी पहनाई गई है और इसके डिजाइन में न्याय की देवी की गरिमा को और अधिक निखारने की कोशिश की गई है।



इतने किलो की है यह मूर्ति
जानकारी के अनुसार, यह मूर्ति अप्रैल 2023 में पूरी की गई थी और इसमें फाइबर ग्लास का उपयोग किया गया है। इसका वजन लगभग 100 किलोग्राम है और यह देखने में सफेद संगमरमर से बनी हुई प्रतीत होती है। मूर्ति की खूबसूरती और बारीकी ने इसे एक विशेष स्थान दिलाया है। प्रोफेसर विनोद गोस्वामी वर्तमान में नई दिल्ली के कॉलेज ऑफ आर्ट में कार्यरत हैं। उनके कार्यों का संग्रह विभिन्न स्थलों जैसे दिल्ली मेट्रो, हिंदुस्तान लीवर लिमिटेड और गोवर्धन बस स्टैंड में देखा जा सकता है। उनके कला के प्रति समर्पण के लिए उन्हें पिछले 30 वर्षों में कई पुरस्कार भी मिल चुके हैं।

कहां से मिली प्रेरणा
वहीं एक बातचीत में, विनोद ने बताया कि इस ऐतिहासिक मूर्ति के निर्माण में लगभग छह महीने का समय लगा, जिसमें कई रेखांकन और संशोधन किए गए। उन्होंने बताया कि मूर्ति बनाने की प्रेरणा उन्हें शनिदेव की मां 'छाया' से मिली, जो न्याय के देवता के गुरु मानी जाती हैं। इस अद्वितीय कार्य को करना उन्होंने अपना सौभाग्य माना और CJI डीवाई चंद्रचूड़ का आभार व्यक्त किया।

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