5 स्टार होटल से कम नहीं बाबा का आश्रम : 21 बीघे में फैला आशियाना, 4 करोड़ है कीमत, कई चौंकाने वाले खुलासे

UPT | 5 स्टार होटल से कम नहीं बाबा का आश्रम

Jul 04, 2024 19:22

मैनपुरी के बिछुआ स्थित 21 बीघे में फैला आश्रम बाबा का लगभग परमानेंट ठिकाना है। ये आश्रम किसी पांच सितारा होटल से कम नहीं है। इस आश्रम की कीमत 4 करोड़ रुपये से अधिक आंकी गई है।

Short Highlights
  • 5 स्टार होटल से कम नहीं बाबा का आश्रम
  • 4 करोड़ है आशियाने की कीमत
  • 21 बीघे में बाबा को वीआईपी ट्रीटमेंट
Mainpuri News : नारायण साकार विश्व हरि उर्फ भोले बाबा उर्फ सूरज पाल जाटव. ये वही नाम है जिसकी एक झलक पाने के लिए लाखों लोगों की भीड़ उमड़ती है। इंसानों के बनाए इस भगवान ने चमत्कार के लाखों दावे किए, लेकिन अब जब उसके सत्संग में मची भगदड़ में 121 लोगों की जान चली गई, तो खुद दुबक कर आश्रम में जा बैठा है। आश्रम के बाहर तैनात सेवादार कह रहे हैं कि बाबा कहीं भागे नहीं, अंदर ही मौजूद हैं। लेकिन डीसीपी 2 जुलाई की रात आश्रम में अकेले जांच के लिए पहुंचे तो बाहर आकर कह दिया कि बाबा अंदर नहीं है। कौन सही बोल रहा है और कौन गलत, कहा नहीं जा सकता। लेकिन एक बार जरूर डंके की चोट पर कही जा सकती है कि पुलिस की एफआईआर में बाबा का नाम नहीं है।

बाबा का रसूख कितना होगा, इसका अंदाजा लगाने के लिए आपको ज्यादा मेहनत की जरूरत भी नहीं। बस अलीगढ़ रेंज के आईजी की प्रेस कॉन्फ्रेंस सुन लीजिए। आईजी साहब कह रहे हैं कि एफआईआर में बाबा का नाम इसलिए नहीं है, क्योंकि परमिशन उनके नाम पर नहीं ली गई थी। अब ये तो वही बात हो गई कि चोर ने चोरी तो की, लेकिन घर का दरवाजा तोड़ने की जगह डुप्लीकेट चाभी बनवा ली, इसलिए वह अपराधी नहीं हुआ। प्रवचन सुनाने आए बाबा, भीड़ मिलने आई बाबा से, चरण रज बाबा की लेने के लिए होड़ मची, भीड़ बेकाबू बाबा के लिए हुई, भीड़ से धक्का-मुक्की बाबा के सेवादारों ने की, गाड़ियों के काफिले से बाबा भागे, लेकिन आरोपी बाबा नहीं है। अब कौन बताए कि लग्जरी गाड़ियों से चलने वाले, फाइव स्टार होटल जैसे आश्रम में रहने वाले और लाखों की भीड़ से चमत्कार के दावे करने वाले बाबा खुद थोड़ी एसडीएम के दरवाजे पर परमिशन मांगने जाएंगे।

खैर, मैनपुरी के बिछुआ स्थित 21 बीघे में फैला आश्रम बाबा का लगभग परमानेंट ठिकाना है। ये आश्रम किसी पांच सितारा होटल से कम नहीं है। इस आश्रम की कीमत 4 करोड़ रुपये से अधिक आंकी गई है। आश्रम में केवल बाबा के रहने के लिए 6 बड़े-बड़े कमरे बनाए गए हैं। इन कमरों में बाबा के अलावा किसी और को जोने की इजाजत नहीं है। बाहर की तरफ 6 अन्य कमरे बने हुए हैं, जो कमेटी के सदस्यों और सेवादारों के लिए हैं। गेट के अंदर बड़ा सा मैदान है। इसी में एक जगह टीनशेड लगाकर खाना बनाया जाता है। बाबा के आश्रम तक आने के लिए एक प्राइवेट रोड भी है। बाबा के भक्त तो कहते हैं कि आश्रम के लिए जमीन गांव के लोगों ने दान दी है। हालांकि इन दावों की पुष्टि कौन करेगा, पता नहीं। बाबा का यह आश्रम करीब 3 साल पहले बना था। बाबा को कहीं भी प्रवचन देने जाना होता, वह यहीं से जाता। आश्रम का मालिक सीधे तार पर बाबा नहीं है। आश्रम का मालिकाना हक राम कुटीर चैरिटेबल ट्र्स्ट के नाम पर है।

एक खास बात और है कि बाबा के नाम ये एकलौता आश्रम भी नहीं है। कानपुर, इटावा, नोएडा, कासगंज समेत यूपी में कुल 25 आश्रम हैं। भक्त कहते हैं कि बाबा दान का एक रुपया भी नहीं लेते। लेकिन इतने आलीशान आश्रम और बाबा के ऐश-ओ-आराम का पैसा कहा से आ रहा, किसी को नहीं पता। बाबा के भक्तों की लिस्ट में सिर्फ आम लोग ही शामिल नहीं हैं। बल्कि कई अफसर और नेता भी उनके दरबार में नतमस्तक होने पहुंचते हैं। बाबा की अपनी खुद की प्राइवेट आर्मी है, जिन्हें सेवादार कहा जाता है। ये लोग बाबा के कार्यक्रमों की पूरी व्यवस्था संभालते हैं। बाबा के आश्रम पर कई लोग बिना किसी पैसे के काम करते हैं। आश्रम के अंदर फोटो खींचना या वीडियो बनाना पूरी तरह से मना है। फोन से बात भी नहीं करने दिया जाता।

अब सवाल ये है कि जब साफ-साफ दिख रहा है कि इन मौतों का जिम्मेदार बाबा है, तो पुलिस उस पर हाथ डालने या उसका नाम लेने से कतरा क्यों रही है। इसकी वजह भी बाबा का प्रभुत्व ही है। बाबा सूरज पाल खुद जाटव समाज से आता है। पश्चिम उत्तर प्रदेश के करीब 50 लाख से ज्यादा दलित बाबा के आश्रम से जुड़े हैं। इन इलाकों में लोकसभा की 27 और विधानसभा की 137 सीटें आती हैं। बाबा के भक्तों में ओबीसी समाज के भी लोग हैं। सिर्फ पश्चिम यूपी ही नहीं, मध्य यूपी के साथ-साथ हरिय़ाणा, राजस्थान, दिल्ली और उत्तराखंड के लोग भी बाबा के प्रवचन सुनने पहुंचते हैं। जिस हाथरस में ये हादसा हुआ, वहां भी 3 लाख दलित वोटर हैं। यही वजह है कि हादसे के बाद भी कोई पॉलिटिकल पार्टी बाबा का नाम लेने तक को तैयार नहीं है। अब चमत्कारी बाबा तो 121 लोगों की मौत के बाद से गायब है। शायद वह खुद किसी चमत्कार की आस लगाए बैठा हो। लेकिन जिनके परिजन अब इस दुनिया में नहीं रहे, उनका दुख कोई बाबा, कोई सरकार, कोई दूसरा इंसान महसूस नहीं कर सकता।

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