Mathura News : भ्रष्टाचार के खिलाफ धरने पर बैठे ग्रामीण की मौत

फ़ाइल फोटो | देवकीनंदन शर्मा।

Jun 13, 2024 02:14

थाना नोहझील में ग्राम पंचायत के भ्रष्टाचार उजागर करने के लिये धरने पर बैठे ग्रामीण की मौत हो गई। कई वर्षों से आमरण अनशन कर रहे ग्रामीण की किसी ने सुध तक नहीं ली …

Mathura News : नौहझील थाना क्षेत्र में चार माह से भ्रष्टाचार के खिलाफ अनशन पर बैठे बुजुर्ग की मौत हो गई। मंगलवार देर शाम उनकी तबियत खराब हुई थी। परिजन उन्हें सीएचसी ले गए। जहां हालत गंभीर देखते हुए उन्हें जिला अस्पताल के लिए रेफर कर दिया गया। जिला अस्पताल में उन्होंने दम तोड़ दिया। 

भ्रष्टाचार के खिलाफ आमरण अनशन पर बैठे थे
देवकीनंदन शर्मा (66) अपने आवास में बने मंदिर नगरकोट धाम पर 12 फरवरी 2024 से भ्रष्टाचार के खिलाफ आमरण अनशन पर बैठे थे। उनकी प्रमुख मांगों में जिला पंचायत राज अधिकारियों द्वारा किए गए कार्यों में भ्रष्टाचार, गांव में शौचालय, सामुदायिक शौचालय, मिनी सचिवालय, मनरेगा आदि कार्यों में भ्रष्टाचार की जांच करना था। 

अधिकारियों ने शिकायतों पर गलत आख्या लगाकर रफा दफा कर दिया
वह पिछले 13 वर्षों से लगातार शिकायतें भेज रहे थे। दर्जनों बार धरना, अनशन, पद यात्रा की, मगर अधिकारियों ने कोई सुनवाई नहीं की। इसके उल्टा अधिकारियों ने शिकायतों पर गलत आख्या लगाकर रफा दफा कर दिया। समस्याओं को लेकर वह आमरण अनशन पर बैठे थे। सोमवार शाम एसडीएम मांट आदेश कुमार धरना स्थल पहुंचे। अनशन खत्म कर शरीर का चेकअप कराने को कहा। देवकीनंदन ने लिखित में समस्याओं का समाधान मांगा। इस पर बात नहीं बनी। मंगलवार देर शाम उनकी तबीयत बिगड़ गई। परिजन सीएचसी नौहझील ले गए। जहां से जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया। वहां उन्होंने दम तोड़ दिया। 

मौत की सूचना मिलते ही परिजन में चीख पुकार मच गई
मौत की सूचना मिलते ही परिजन में चीख पुकार मच गई। गांव में शोक की लहर दौड़ गई। सूचना पर पहुंची पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा। इंस्पेक्टर शैलेंद्र सिंह ने बताया कि अनशन पर बैठे देवकीनंदन शर्मा की तबीयत बिगड़ने से मौत हुई है। आगे की कार्रवाई की जा रही है।

जिम्मेदार रहे बेख़बर
पिछले चार माह से भ्रष्टाचार के खिलाफ बुजुर्ग देवकीनंदन शर्मा अनशन पर बैठे थे। मगर किसी भी अधिकारी द्वारा कोई सुध नहीं ली गई। अगर अधिकारी सुध लेते तो शायद बुजुर्ग को अपनी जान न गंवानी पड़ती। अनशन पर बैठने के साथ ही इन्होंने अन्न जल सब त्याग रखा था। मगर अधिकारियों द्वारा आमरण अनशन हल्के में लिया गया।

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