Barabanki News : झोलाछाप के इलाज से मासूम की मौत, परिजनों ने किया हंगामा, कहा- कार्रवाई हो...

UPT | क्लीनिक के बाहर हंगामा कर रहे लोगों को समझाती पुलिस।

Jul 13, 2024 15:02

बाराबंकी में एक बार फिर से झोलाछाप के इलाज से मासूम की मौत का मामला सामने आया है। डॉक्टर पर बच्चे को गलत इंजेक्शन देने का आरोप लगा है। परिजनों का कहना है कि गलत इंजेक्शन देने से बच्चे...

Barabanki News : बाराबंकी में एक बार फिर से झोलाछाप के इलाज से मासूम की मौत का मामला सामने आया है। डॉक्टर पर बच्चे को गलत इंजेक्शन देने का आरोप लगा है। परिजनों का कहना है कि गलत इंजेक्शन देने से बच्चे के शरीर में इंफेक्शन फैल गया और थोड़ी देर बाद उसकी मौत हो गई। बच्चे की मौत के बाद परिजनों और स्थानीय निवासियों ने डॉक्टर के क्लीनिक के बाहर जमकर हंगामा किया और मामला दर्ज कर आरोपी डॉक्टर के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।

क्या है पूरा मामला
बाराबंकी जनपद के मोहम्मदपुर खाला थाना क्षेत्र के पथरापुर गांव के रहने वाले राजेश कुमार अपने बेटे आर्यन का इलाज कराने को लेकर फतेहपुर की फूल गली स्थित पीजे सहगल के क्लीनिक पहुंचे। जहां पर कल बच्चे को सुबह भर्ती कर दिया गया। पीड़ित पिता का आरोप है कि शाम 5:00 बजे के बाद उसके बच्चे आर्यन के शरीर पर काले रंग के चकत्ते पड़ने लगे, जिसकी शिकायत उसने डॉक्टर से की। डॉक्टर ने बच्चे को उसके साथ क्लीनिक से बाहर निकाल दिया। उसकी किसी बात पर ध्यान नहीं दिया। थोड़ी ही देर में उसके बेटे आर्यन की मौत हो गई। मासूम आर्यन की मौत के बाद पूरे परिवार में मातम छा गया। 

ये है पीड़ित पिता का आरोप
बच्चे के पिता राजेश और परिजनों का आरोप है कि डॉक्टर सहगल ने बच्चे को गलत इंजेक्शन दिया। जिसके चलते उसके शरीर में इन्फेक्शन फैल गया। जब इसकी शिकायत डॉक्टर और उनके स्टाफ से की गई तो इलाज की बजाय बच्चे और उसे क्लीनिक से बाहर निकाल दिया गया। आर्यन की मौत के बाद आज परिजन और ग्रामीण डॉक्टर की क्लीनिक के बाहर पहुंचे और वहां पर जमकर हंगामा किया। परिजनों की मांग है कि आरोपी डॉक्टर के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर उसके खिलाफ विधिक कार्रवाई की जाए। उसे जेल भेजा जाए। उधर, हंगामा देख डॉक्टर मौके से फरार हो गया। फिलहाल पुलिस मौके पर है और परिजनों को समझा बुझाकर मामला शांत करने का प्रयास कर रही है।

पहले भी हो चुकी है मौत
झोलाछाप के इलाज से मौत का यह पहला मामला नहीं है। लेकिन, समस्या यह है कि अगर कहीं पर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र या सीएचसी है भी तो या तो वहां डॉक्टर की तैनाती नहीं है। अगर डॉक्टर तैनात है तो अस्पताल में मिलते नहीं, जिसके चलते बीमार और तीमारदार अक्सर झोलाछाप का सहारा लेते हैं और अपनी जान गवाते हैं। अब देखने वाली बात है कि स्वास्थ्य विभाग इस मामले पर क्या कदम उठाता है।

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