मिल्कीपुर उपचुनाव : भाजपा ने चंद्रभानु पासवान को बनाया उम्मीदवार, समाजवादी पार्टी के अजीत प्रसाद से होगा सीधा मुकाबला

UPT | चंद्रभान पासवान

Jan 14, 2025 15:12

पासवान की उम्मीदवारी पार्टी की सोशल इंजीनियरिंग की रणनीति का हिस्सा मानी जा रही है। जिसमें पार्टी ने दलित समुदाय को साधने का प्रयास किया है। चंद्रभान पासवान का मुकाबला सपा उम्मीदवार...

Ayodhya News : उत्तर प्रदेश के राजनीतिक परिदृश्य में मिल्कीपुर विधानसभा उपचुनाव ने सरगर्मी बढ़ा दी है। भारतीय जनता पार्टी ने इस सीट के लिए चंद्रभानु पासवान को उम्मीदवार घोषित किया है। वहीं, समाजवादी पार्टी ने सिटिंग सांसद अवधेश प्रसाद के बेटे अजीत प्रसाद को मैदान में उतारा है। यह चुनाव भाजपा और सपा के बीच सीधी टक्कर के रूप में देखा जा रहा है, जो क्षेत्रीय और जातिगत समीकरणों को भी प्रभावित कर सकता है। 
 
बीजेपी ने क्यों चुना चंद्रभानु पासवान?
चंद्रभानु पासवान मिल्कीपुर में एक जाना-माना चेहरा हैं। उनके परिवार का राजनीति में गहरा दखल रहा है। उनकी पत्नी रूदौली क्षेत्र से जिला पंचायत सदस्य हैं, जबकि उनके पिता भी लोकल लेवल पर राजनीति में सक्रिय रहे हैं। चंद्रभानु वर्तमान में बीजेपी की जिला कार्यकारिणी के सदस्य और जिला पंचायत के प्रतिनिधि हैं। चंद्रभानु को एक युवा और गतिशील नेता के रूप में देखा जाता है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के अयोध्या और आसपास के क्षेत्रों में सक्रिय होने के बाद से ही चंद्रभानु ने भी मिल्कीपुर में अपनी गतिविधियां तेज कर दी थीं। माना जा रहा है कि उनकी युवा छवि और क्षेत्र में पकड़ ने बीजेपी को उन्हें टिकट देने के लिए प्रेरित किया।


अवधेश प्रसाद के बेटे अजीत प्रसाद
सपा ने इस सीट के लिए अपने सांसद अवधेश प्रसाद के बेटे अजीत प्रसाद को उम्मीदवार बनाया है। अवधेश प्रसाद ने 2022 में मिल्कीपुर से विधायक का चुनाव जीता था और हाल ही में फैजाबाद लोकसभा सीट से सांसद बने हैं। उनकी राष्ट्रीय राजनीति में बढ़ती भूमिका के कारण इस सीट पर उपचुनाव की जरूरत पड़ी। अजीत प्रसाद को अपने पिता की राजनीतिक विरासत और सपा के मजबूत जातिगत समीकरणों का फायदा मिल सकता है। हालांकि, उनके लिए यह चुनौतीपूर्ण होगा क्योंकि वह अमेठी की एक सीट से पहले चुनाव लड़ चुके हैं। जहां उन्हें हार का सामना करना पड़ा था।  

मिल्कीपुर का जातिगत समीकरण और चुनावी गणित
मिल्कीपुर सीट जातिगत समीकरणों के लिए जानी जाती है। यहां दलित, पिछड़े और मुस्लिम समुदाय के मतदाता बड़ी संख्या में हैं। बीजेपी ने चंद्रभानु पासवान को उतारकर दलित वोट बैंक को साधने की कोशिश की है। वहीं सपा यादव और मुस्लिम मतदाताओं पर अपनी पकड़ मजबूत रखने की रणनीति अपना रही है।  

गोरखनाथ की दावेदारी हुई खत्म
बीजेपी की ओर से पहले इस सीट के लिए बाबा गोरखनाथ का नाम चर्चा में था। गोरखनाथ इस सीट से विधायक रह चुके हैं और 2022 के चुनाव में उन्हें सिर्फ 13,000 वोटों से हार का सामना करना पड़ा था। हालांकि पार्टी ने उन्हें इस बार टिकट नहीं दिया और चंद्रभानु पासवान को मौका दिया। 

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