सियासी रणनीति : अब खिसकते मौर्या वोटर्स को थामेंगे बहोरन लाल, भाजपा ने सिर पर सजाया एमएलसी का ताज

UPT | नामांकन दाखिल करते पूर्व मंत्री और सीएम

Jul 02, 2024 21:18

लोकसभा चुनाव में भाजपा से ओबीसी वोट खिसकने लगा है। मगर, अब विधानसभा चुनाव में ओबीसी वोट साधने की कोशिश शुरू हो गई है। जिसके चलते खिसक रहे मौर्या वोटर्स का हाथ थामने के लिए भाजपा ने...

Bareilly News : लोकसभा चुनाव में भाजपा से ओबीसी वोट खिसकने लगा है। मगर, अब विधानसभा चुनाव में ओबीसी वोट साधने की कोशिश शुरू हो गई है। जिसके चलते खिसक रहे मौर्या वोटर्स का हाथ थामने के लिए भाजपा ने अपने पूर्व विधायक बहोरन लाल मौर्य के सिर पर एमएलसी का ताज सजा दिया है। ताज जरूर सदन की सदस्यता का है। मगर, कुर्सी कांटों से भरी है। उनको उस खास वक्त में भाजपा ने यह जिम्मेदारी दी है। उन्हीं की बिरादरी के नेता नीरज मौर्या समाजवादी पार्टी से आंवला से सांसद बन चुके हैं। उनको एमएलसी 2024 में बनाया गया है। मगर, उनकी असली परीक्षा का परिणाम 2027 में आएगा,  जब उत्तर प्रदेश की राजनीति के रण में सेनाएं सजेंगी। ओबीसी और खासतौर पर मौर्य शाक्य बिरादरी फैसला करेगी कि उसको किसके साथ खड़ा होना है। हालांकि, बरेली से ही भाजपा ने इसी बिरादरी का प्रतिनिधित्व करने वाले तेज तर्रार और युवा नेता दुर्विजय सिंह शाक्य को क्षेत्रीय अध्यक्ष बनाया है। इसके साथ ही अभी बदायूं से सांसदी का चुनाव भी लड़ाया था। पूर्व विधायक बहोरन लाल मौर्य को स्वामी प्रसाद मौर्य से रिक्त हुई सीट पर एमएलसी बनाया जा रहा है। उन्होंने आज लखनऊ में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मौजूदगी में पर्चा दाखिल किया। 

बरेली में भाजपा को मिलेगा एक और विधायक
भाजपा को एक और विधायक की उपलब्धि मिल गई है। लम्बे और उतार चढ़ाव वाले कैरियर के बाद बहोरन लाल मौर्य की कश्ती को आखिरकार किनारा मिल गया है। लखनऊ में प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, वित्त मंत्री सुरेश खन्ना, प्रदेश के सह कोषाध्यक्ष और कैंट विधायक संजीव अग्रवाल श्री मौर्य के पर्चा दाखिल करते समय साथ में थे। 

दबे कुचलों की करेंगे मदद
फोन पर हुई बातचीत में विधायक संजीव अग्रवाल ने बताया कि बहोरन लाल मौर्य एमएलसी बनकर जिले के विकास में और जन समस्याओं को निदान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। एमएलसी श्री मौर्य ने कहा कि केंद्र और प्रांत के नेतृत्व के प्रति वह खुद को प्रत्याशी बनाये जाने के लिए आभार व्यक्त करते हैं। उन्होंने यह भी विश्वास दिलाया कि सह केंद्रीय और प्रदेश सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं को जन-जन तक पहुंचने में अपनी सक्रिय भूमिका निभाएंगे। उन्होंने यह भी कहा कि पिछड़ी दबे कुचले समाज की विशेष चिंता करते हुए। उनके अधिकारों को दिलवाने में विशेष भूमिका निभाने का प्रयास करेंगे। पहले कल्याण सिंह सरकार में भोजीपुरा से मंत्री और प्रदेश में राजस्व राज्यमंत्री रहे बहोरन लाल मौर्य वर्ष 2017 की सरकार में भी विधायक रहे थे। मगर, 2022 का चुनाव सपा के शहजिल इस्लाम से हार गए थे। फिलहाल, नई जिम्मेदारी उनको कई चुनौतियां भी पेश करेगी। 

दुर्विजय सिंह शाक्य को लेकर भी संजीदा था नेतृव
मंडल में ओबीसी यानी पिछड़ी बिरादरी में भाजपा के खिसकते जनाधार को थामने को लेकर पार्टी गंभीर है। पार्टी के क्षेत्रीय अध्यक्ष दुर्विजय सिंह शाक्य को लेकर भी भाजपा के कुछ नेता संजीदा थे। यह माना जा रहा था कि दुर्विजय युवा हैं और क्षेत्रीय अध्यक्ष हैं। हाल ही में सांसदी का चुनाव मजबूती से लड़े हैं। एमएलसी के लिए उनका नाम फाइनल हो जाता है। मगर,आखिर में किसी बड़े की पैरवी के बाद यह फैसला बदल गया और एमएलसी की कुर्सी का फैसला बहोरन लाल मौर्य के पक्ष में हो गया। 

आखिरी मौके पर ‘किसी बड़े’ की पैरवी पर बदला फैसला
भाजपा के क्षेत्रीय अध्यक्ष दुर्विजय सिंह शाक्य ने हाल ही के कुछ वक्त में अच्छी और ऊंची राजनीतिक छलांग लगाई है। हाल ही में उनको क्षेत्रीय अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी गई। उसके तुरंत ही बाद संघमित्रा मौर्य के स्थान पर बदायूं से लोकसभा का चुनाव लड़ा दिया गया। पहले तो उनकी उम्मीदवारी को कमजोर माना जा रहा था। मगर, बेहतर चुनाव प्रबंधन और रणनीतिक कौशल के चलते दुर्विजय सिंह शाक्य ने सभी को चौंका दिया। एक तरफ सपा के वरिष्ठतम नेता शिवपाल सिंह यादव की रणनीति व उनके बेटे आदित्य यादव की उम्मीदवारी थी, तो दूसरी तरफ भाजपा का नया चेहरा दुर्विजय। दुर्विजय सिंह शाक्य ने बहुत बेहतर और मजबूत चुनाव लड़ा। हालांकि, कुछ वोटों से चुनाव हार गए। मगर, समाज में अपनी मजबूत पकड़ का अहसास कराया। स्वामी प्रसाद मौर्य के इस्तीफे के बाद इस सीट पर मौर्य शाक्य विरादरी से ही किसी नेता को विधान परिषद में भेजा जाना था। कुछ पैरोकारों ने लखनऊ में दुर्विजय सिंह शाक्य की जोरदार पैरवी की। उनके पैरोकार भाजपा नेताओं का कहना था कि वह युवा हैं, वह क्षेत्रीय अध्यक्ष हैं। अगर, एमएलसी बनाएं जाते हैं, तब ज्यादा बेहतर काम कर सकेंगे। मगर, आखिर में प्रदेश की राजनीति के एक बड़े नाम ने अपना वीटो लगाया और युवा और ऊर्जावान नेतृत्व के आगे अनुभवी बहोरन लाल मौर्य को तरजीह दी। इस तरह पूर्व विधायक के नाम को फाइनल कर दिया गया।

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