Maharajganj News : नए कानून में घर बैठे ई-एफआईआर की कॉपी रिश्तेदार या परिचित को भी मिलेगी

UPT | नए कानून में घर बैठे ई-एफआईआर की सुविधा।

Jul 12, 2024 01:42

तीन नए कानून में आमजन के लिए कई तरह की सुविधाएं दी गईं हैं। इनमें एक यह है कि पीड़ित व्यक्ति अब घर बैठे ई-एफआईआर करा सकता है। इतना ही नहीं, अब एफआईआर की कापी उसके रिश्तेदार या...

Short Highlights
  • जीडी में दर्ज होगी इलेक्ट्रानिक माध्यम से थाने पर आनी वाली सूचनाएं
  • शिकायत फर्जी होने पर शिकायतकर्ता के भी विरुद्ध कार्रवाई का प्रावधान
Maharajganj News : तीन नए कानून में आमजन के लिए कई तरह की सुविधाएं दी गईं हैं। इनमें एक यह है कि पीड़ित व्यक्ति अब घर बैठे ई-एफआईआर करा सकता है। इतना ही नहीं, अब एफआईआर की कापी उसके रिश्तेदार या परिचित को भी मिल सकेगी। पुराने कानून में यह कापी वादी यानी मुकदमा लिखवाने वाले को ही मिलती थी।

तीन दिन के अंदर करना होगा हस्ताक्षर
एक जुलाई से लागू हुए नए कानून भारतीय न्याय संहिता के अंतर्गत आम जनता के लिए शिकायत दर्ज कराने की प्रकिया सरल कर दी गई है। पीड़ित घर बैठे पुलिस को डिजिटल प्लेटफार्म पर फोन, एसएमएस, वाट्सएप, ईमेल व वेबसाइट पर सूचना भेजकर केस दर्ज करा सकते हैं। इलेक्ट्रानिक संचार के माध्यम से आने वाली सूचनाओं को पुलिसकर्मी को सामान्य डायरी (जीडी) में दर्ज करनी होगी। पुलिस के अनुसार, यह जरूरी होगा कि शिकायतकर्ता को शिकायत करने के तीन दिन के अंदर थाने पहुंचकर हस्ताक्षर करना होगा। तभी उसे थाने के रिकार्ड में लिया जाएगा। ऐसा नहीं करने पर शिकायत फर्जी मान ली जाएगी। इतना ही नहीं जांच में शिकायत फर्जी मिलने पर शिकायतकर्ता पर भी कार्रवाई होगी। 

इन बातों का रखें ध्यान
इलेक्ट्रानिक माध्यम से सूचना देते समय यह ध्यान देना होगा कि शिकायत थाना प्रभारी के आधिकारिक ई-मेल पते या आधिकारिक मोबाइल नंबर पर होनी चाहिए। यदि शिकायतकर्ता का संपर्क नंबर सूचना में होगा तो पुलिस उससे संपर्क कर सकती है। शिकायत संकट का संकेत देती है, अथवा पीड़ित थाने आने में सक्षम नहीं है तो ऐसी स्थिति में थाना प्रभारी को आवश्यक कदम उठाने होंगे, ताकि पीड़ित को घर बैठे सहायता मिले।

दुष्कर्म व एसिड अटैक पीड़िता को मिलेगा निशुल्क उपचार
नए कानून में महिला अपराध होने पर पीड़िता को सहूलियत दी गई है। राज्य के सभी सरकारी व गैर सरकारी अस्पतालों में दुष्कर्म और एसिड अटैक के पीड़िताओं के लिए निशुल्क उपचार की व्यवस्था रहेगी। इस तरह के मामले आने पर अस्पताल प्रबंधन को पुलिस को सूचना देनी होगी। ऐसे प्रकरणों में पुलिसिया पूछताछ से बचने के लिए अस्पताल प्रबंधन पीड़ित का उपचार करने से इनकार नहीं कर सकेंगे। भारतीय नागरिक सुरक्षा 'संहिता की धारा 397 में यह प्राविधान किया गया है। 

कोर्ट में मान्य होंगे डिजिटल साक्ष्य
भारतीय न्याय संहिता में इलेक्ट्रानिक साक्ष्य भी अब न्यायालय में मान्य होंगे। बदमाश की गिरफ्तारी की जगह और उसके पास से मिले सामान की वीडियो रिकार्डिंग करनी होगी। यह कार्य पुलिस को अपने ही मोबाइल से करने होंगे। बयान की रिकार्डिंग भी पेन ड्राइव या सीडी में सुरक्षित रखनी होगी।

क्या कहते हैं पुलिस अधीक्षक
पुलिस अधीक्षक सोमेंद्र मीना ने बताया कि आमजन के हित को देखते हुए तीन नए कानून लागू किए गए हैं। इसमें निहित प्रावधानों की अधिक से अधिक लोगों को जानकारी देने के साथ ही पुलिसकर्मियों को विवेचना की बारीकी सीखने के निर्देश दिए गए हैं। पुलिस थानों के मालखानों का डिजिटलीकरण किया जा रहा है। ई-एफआईआर के बाद थाने से पीड़ित के रिश्तेदार या परिचित एफआईआर की कापी ले सकते हैं।

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