नाथपंथ के इतिहास पर लिखी किताब का विमोचन : देशभर से संकलित किए गए स्रोत, सीएम योगी बने कार्यक्रम के मुख्य अतिथि

UPT | नाथपंथ के इतिहास पर लिखी किताब का विमोचन

Sep 14, 2024 17:31

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के प्राचीन इतिहास विभाग की सहायक प्रोफेसर डॉ. पद्मजा सिंह की पुस्तक 'नाथपंथ का इतिहास' का लोकार्पण किया।

Short Highlights
  • 'नाथपंथ का इतिहास' किताब का विमोचन
  • डॉ. पद्मजा सिंह ने लिखी है किताब
  • डीडीयू के कुलसचिव सहलेखक
Gorakhpur News : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के प्राचीन इतिहास विभाग की सहायक प्रोफेसर डॉ. पद्मजा सिंह की पुस्तक 'नाथपंथ का इतिहास' का लोकार्पण किया। इस पुस्तक में नाथपंथ के रहस्यों को प्रमाणिक साक्ष्यों के आधार पर उजागर किया गया है। यह नाथपंथ पर किसी इतिहासकार द्वारा लिखी गई अब तक की तीसरी पुस्तक है और इसे इस विषय पर शोध करने वाले अध्येताओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण और उपयोगी माना जा रहा है।

सीएम योगी ने किया संबोधित
लोकार्पण समारोह दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय और हिंदी साहित्य अकादमी, उत्तर प्रदेश शासन (भाषा विज्ञान उत्तर प्रदेश) के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित 'समरस समाज के निर्माण में नाथपंथ का योगदान' नामक द्विदिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में हुआ। इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता गोरखपुर विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. पूनम टंडन ने की, जबकि विशिष्ट अतिथि के रूप में इंदिरा गांधी नेशनल ट्राइबल यूनिवर्सिटी, अमरकंटक के कुलपति प्रो. श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी भी उपस्थित थे।

देश भर से स्रोत संकलित
पुस्तक में देशभर से जुटाए गए ऐतिहासिक स्रोतों को संकलित कर उन्हें ऐतिहासिक दृष्टि से तथ्यों के आधार पर प्रस्तुत किया गया है। नाथपंथ के परंपरागत तथ्यों को नाथपंथ के योगियों और इस परंपरा के ज्ञाताओं से पुष्ट किया गया है। इस पुस्तक की भूमिका डॉ. प्रदीप राव ने लिखी है, जिन्होंने इसे ऐतिहासिक दृष्टि से नाथपंथ को समझने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण बताया है।

नाथपंथ का सीएम ने किया जिक्र
नाथपंथ की शुरुआत आदिनाथ शंकर से मानी जाती है, जबकि महायोगी गुरु गोरखनाथ ने इसे वर्तमान स्वरूप दिया। उन्हें भगवान शिव का अवतार माना जाता है। महायोगी गोरखनाथ भारतीय इतिहास के पहले तपस्वी हैं जिन्होंने योगी और तपस्वी होते हुए भी सामाजिक-राष्ट्रीय चेतना का नेतृत्व किया। नाथपंथ के हठ योगियों ने समय-समय पर समाज और राष्ट्र के लिए महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाई हैं। नाथपंथ की योग साधना पतंजलि विधि का विकसित स्वरूप है। नाथपंथ की परंपरा में दुनिया का सर्वोच्च नाथपंथी केंद्र गोरखनाथ मंदिर है। गोरक्षपीठाधीश्वर दुनिया भर में नाथपंथ के अध्यक्ष होते हैं। वर्तमान में मुख्यमंत्री और गोरक्षपीठाधीश्वर महंत योगी आदित्यनाथ इस पंथ के अग्रणी हैं। 

डॉ. पद्मजा सिंह ने लिखी है किताब
डॉ. पद्मजा सिंह की पुस्तक भक्ति आंदोलन में नाथपंथ की महत्वपूर्ण भूमिका को उजागर करते हुए कहती है कि "यद्यपि भक्ति आंदोलन में सब कुछ नाथपंथ जैसा नहीं था, फिर भी नाथपंथी ज्ञान और योग की साधना से ही भक्ति का स्वर फूटा।" पुस्तक की जानकारी देते हुए डॉ. पद्मजा सिंह ने कहा कि यह पुस्तक नाथपंथ और इससे संबंधित विषयों पर शोध करने वाले अध्येताओं के लिए अत्यंत उपयोगी है। डॉ. प्रदीप राव ने भी इस बात की पुष्टि की कि पुस्तक में आस्था को बिना चोट पहुंचाए तथ्यों के आधार पर नाथपंथ का प्रामाणिक इतिहास प्रस्तुत किया गया है और इससे नाथपंथ से जुड़े अनुत्तरित प्रश्नों के समाधान का मार्ग स्पष्ट होगा।

डीडीयू के कुलसचिव सहलेखक
नाथपंथ के अभ्युदय और विस्तार का प्रामाणिक वर्णन करते हुए पुस्तक में बौद्धमत, जैनमत, शैव, वैष्णव, पांचरात्र, कापालिक, पाशुपत से लेकर नाथपंथ के अभ्युदय और विस्तार का प्रमाणिक विवरण प्रस्तुत किया गया है। इसके साथ ही, भारतीय धर्म संस्कृति में मत-मतान्तर के महत्व पर प्रकाश डाला गया है। पुस्तक में महायोगी गोरखनाथ के सामाजिक पुनर्जागरण अभियान और पहले से प्रचलित नाथपंथ को पुनर्जीवित करने के इतिहास को भी सामने लाया गया है। डॉ. पद्मजा सिंह की एक अन्य पुस्तक 'नाथपंथ: वर्तमान उपादेयता का ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य' भी प्रकाशित हो चुकी है, जिसमें वे महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. प्रदीप राव के साथ सहलेखक हैं।

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