गोरखपुर में आयोजित एक सम्मेलन में, उत्तर प्रदेश उच्च शिक्षा आयोग के पूर्व अध्यक्ष ने सामाजिक समरसता पर विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि भारत की समरसता की जड़ें हमारे ऋषियों और संतों की परंपराओं में गहराई से जुड़ी हैं। गोरक्षपीठ और महायोगी गोरखनाथ की परंपरा भी इस दिशा में महत्वपूर्ण योगदान करती है।