खुशखबरी : उत्तर प्रदेश के 16 जिलों में PPP मॉडल से खुलेंगे सैनिक स्कूल, कानपुर नगर समेत कई जनपदों में प्रक्रिया शुरू

UPT | प्रतीकात्मक फोटो

Sep 16, 2024 02:01

उत्तर प्रदेश में शिक्षा के क्षेत्र में एक नई पहल के तहत, राज्य सरकार ने 16 जिलों में प्राइवेट-पब्लिक पार्टनरशिप (PPP) मॉडल के जरिए सैनिक स्कूल खोलने का निर्णय लिया है।

Short Highlights
  • उत्तर प्रदेश के 16 जिलों में प्राइवेट-पब्लिक पार्टनरशिप (PPP) मॉडल के जरिए खुलेंगे सैनिक स्कूल
  • कानपुर नगर के साथ-साथ आगरा, अलीगढ़, प्रयागराज, आजमगढ़ जैसे जिलों में भी सैनिक स्कूल खोले जाएंगे
  • 2023 में लिया गया था निर्णय लेकिन विभिन्न कारणों से लागू नहीं किया जा सका
Kanpur News : उत्तर प्रदेश में शिक्षा के क्षेत्र में एक नई पहल के तहत, राज्य सरकार ने 16 जिलों में प्राइवेट-पब्लिक पार्टनरशिप (PPP) मॉडल के जरिए सैनिक स्कूल खोलने का निर्णय लिया है। यह फैसला कानपुर नगर समेत अन्य जिलों में लागू किया जाएगा, जहां पहले से संचालित विद्यालयों को सैनिक स्कूलों में परिवर्तित किया जाएगा। इस प्रक्रिया के अंतर्गत रक्षा मंत्रालय की सैनिक स्कूल सोसाइटी द्वारा जारी मानकों और दिशा-निर्देशों के अनुसार पंजीकरण और अनुमोदन की प्रक्रिया पूरी करनी होगी।

किन जिलों में खोले जाएंगे सैनिक स्कूल
इस नए मॉडल के तहत कानपुर नगर के साथ-साथ आगरा, अलीगढ़, प्रयागराज, आजमगढ़, बस्ती, बरेली, मुरादाबाद, बांदा, झांसी, गोण्डा, अयोध्या, मेरठ, सहारनपुर, मिर्जापुर और वाराणसी जैसे जिलों में भी सैनिक स्कूल खोले जाएंगे। यह पहल उन स्कूलों के लिए लागू होगी जो पहले से किसी भी रूप में संचालित हैं, चाहे वह सरकारी हों, अशासकीय सहायता प्राप्त हों, या फिर निजी संस्थानों द्वारा चलाए जा रहे हों। इन्हें सैनिक स्कूल में बदलने के लिए मानक प्रक्रिया अपनाई जाएगी, जिसमें सैनिक स्कूल सोसाइटी से अनुमोदन जरूरी होगा।

सैनिक स्कूलों की स्थापना की प्रक्रिया
प्रदेश के स्कूल महानिदेशक द्वारा जारी निर्देशों के अनुसार, जिलाधिकारियों को अपने-अपने जिले में राजकीय, अशासकीय और निजी विद्यालयों के प्रबंधकों और प्रधानाचार्यों के साथ बैठक कर इस योजना की जानकारी देने और उन्हें प्रस्ताव प्रस्तुत करने के लिए कहा गया है। इसमें खासतौर पर उन स्कूलों से प्रस्ताव मांगे जाएंगे, जो पहले से संचालित हैं और सैनिक स्कूल में बदलने की इच्छाशक्ति रखते हैं। सैनिक स्कूल सोसाइटी द्वारा जारी मानकों के अनुसार विद्यालयों को पंजीकृत कराए जाने के बाद ही उन्हें सैनिक स्कूल में तब्दील किया जा सकेगा। इसके लिए संबंधित विद्यालयों को सोसाइटी से अनुमोदन प्राप्त करना अनिवार्य होगा, जिसके बाद यह प्रक्रिया आगे बढ़ेगी।

सैनिक स्कूलों की शिक्षा
सैनिक स्कूलों का मुख्य उद्देश्य विद्यार्थियों में नेतृत्व क्षमता, अनुशासन और देशभक्ति का विकास करना है। इन स्कूलों में अन्य विद्यालयों की तरह ही नियमित पाठ्यक्रम चलाया जाएगा, लेकिन विशेष रूप से राष्ट्रीय संस्कृति, अनुशासन और नेतृत्व कौशल पर जोर दिया जाएगा। इन स्कूलों में छात्रों को एक अनुशासित माहौल में शिक्षण प्रदान किया जाएगा, ताकि वे भविष्य में सशस्त्र बलों में शामिल होने के लिए तैयार हो सकें।

पिछले वर्ष से लंबित था निर्णय
यह निर्णय 2023 में ही लिया गया था, लेकिन विभिन्न कारणों से इसे लागू नहीं किया जा सका। अब राज्य सरकार ने इसे 2024 के नए सत्र से लागू करने की योजना बनाई है, जिससे छात्रों को समय रहते गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और प्रशिक्षण मिल सके। सैनिक स्कूलों की स्थापना से न केवल शिक्षा के स्तर में सुधार होगा, बल्कि राज्य के युवाओं को रक्षा क्षेत्र में करियर बनाने के लिए भी प्रेरित किया जाएगा।

जिलाधिकारियों की जिम्मेदारी
स्कूल महानिदेशक ने सभी जिलाधिकारियों को पत्र भेजकर उन्हें इस प्रक्रिया के सफल क्रियान्वयन के लिए आवश्यक दिशा-निर्देश दिए हैं। जिलाधिकारियों को यह सुनिश्चित करना होगा कि उनके जिले में संचालित हो रहे विद्यालय इस योजना के अंतर्गत आएं और सैनिक स्कूल में बदलने के लिए आवेदन करें। इसके साथ ही उन्हें विद्यालयों के प्रबंधकों और प्रधानाचार्यों को सैनिक स्कूलों की स्थापना से संबंधित नियमों और प्रक्रियाओं की जानकारी प्रदान करनी होगी।

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