विभागीय जांच में पाया गया कि 2,000 से अधिक मामलों में सत्यापन प्रक्रिया अधूरी है। वहीं, 1,300 मामले ऑनलाइन ट्रांजेक्शन फेल होने के कारण रुके हुए हैं। बैंकों और संबंधित अधिकारियों के साथ समन्वय स्थापित कर इन तकनीकी खामियों को दूर करने की प्रक्रिया जारी है।