गरीबों के सेब पर संकट : अमरूद के बागानों में निमेटोड ने जमाई जड़ें

UPT | गरीबों के सेब पर संकट।

Sep 15, 2024 17:02

गरीबों का सेब और अमृत फल कहे जाने वाले अमरूद की फसल पर बड़ा संकट मंडरा रहा है। पिछले दस सालों में विदेशी प्रजातियां थाई पिंक और ताइवान पिंक के आगमन ने अमरूद की फसल को खतरे में डाल दिया है।

Lucknow News : गरीबों का सेब और अमृत फल कहे जाने वाले अमरूद की फसल पर बड़ा संकट मंडरा रहा है। पिछले दस सालों में विदेशी प्रजातियां थाई पिंक और ताइवान पिंक के आगमन ने अमरूद की फसल को खतरे में डाल दिया है। इन विदेशी प्रजातियों के साथ आए निमेटोड संक्रमण ने तेजी से अमरूद के बागानों में अपनी जड़ें जमा ली हैं। अब लगभग आधे से अधिक बागान इस बीमारी से प्रभावित हो चुके हैं। अमरूद पोषक तत्वों और कम कीमत के कारण गरीब तबके के लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण फल है। लेकिन निमेटोड संक्रमण के चलते इसकी फसल और उपज दोनों पर गंभीर खतरा मंडरा रहा है, जिससे इसके उत्पादन में भारी कमी आने की संभावना है।

सीआईएसएच के सर्वे में निमेटोड संक्रमण खुलासा
केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान (सीआईएसएच) द्वारा हाल ही में किए गए एक सर्वे में अमरूद की फसल को संकट में डालने वाले निमेटोड संक्रमण की गंभीरता का खुलासा हुआ है। इस रिपोर्ट को सीआईएसएच ने मुख्य सचिव के माध्यम से यूपी सरकार को भेज दिया है, जिससे सरकार को इस स्थिति की गंभीरता का एहसास हो सके। अब उम्मीद की जा रही है कि योगी सरकार बागवानों की समस्याओं को हल करने के लिए जल्द कदम उठाएगी।

अमरूद की फसल के लिए गंभीर खतरा 
सीआईएसएच के निदेशक डॉ. टी. दामोदरन ने निमेटोड संक्रमण को अमरूद की फसल के लिए एक गंभीर खतरा बताया है। उनका कहना है कि इस संक्रमण के कारण फलों की गुणवत्ता और उपज पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। जिससे किसानों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है। उन्होंने बताया कि संक्रमण के प्रबंधन के लिए फ्लोपायरम का उपयोग प्रभावी रहा है लेकिन यह महंगा होता है और इसका प्रभाव केवल छह महीने तक ही रहता है। इसलिए दीर्घ कालिक समाधान की आवश्यकता है। ताकि किसानों को स्थायी राहत मिल सके।

निमेटोड संक्रमण को पूरी तरह समाप्त करना असंभव
निमेटोड संक्रमण से निपटना एक कठिन चुनौती है। इसे पूरी तरह से समाप्त करना लगभग असंभव है। हालांकि, संक्रमण को नियंत्रित करने के लिए जैव एजेंटों का उपयोग कुछ हद तक प्रभावी साबित हो सकता है। विशेषकर ट्राइकोडर्मा, पर्प्यूरोसिलियम और बैसिलस एमिलोलिकेफेसिएन्स जैसे जैव-एजेंट्स के नियमित उपयोग से संक्रमण की स्थिति में सुधार देखा जा सकता है। विशेषज्ञों के अनुसार, इन जैव-एजेंट्स के बार-बार उपयोग से बेहतर परिणाम प्राप्त किए जा सकते हैं, जिससे संक्रमण की गंभीरता को कुछ हद तक कम किया जा सकता है।

स्वदेशी किस्में संक्रमण के प्रति अधिक सहिष्णु
सीआईएसएच (लखनऊ) के वैज्ञानिकों ने यह भी पाया है कि इलाहाबाद सफेदा और स्वदेशी किस्में जैसे ललित, लालिमा और श्वेता निमेटोड संक्रमण के प्रति अधिक सहिष्णु हैं। इसके विपरीत विदेशी किस्में इस संक्रमण के प्रति अत्यधिक संवेदनशील पाई गई हैं। इसीलिए स्वदेशी किस्मों को किसानों और बागवानों के लिए अधिक उपयुक्त माना जा रहा है। इनकी खेती को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार द्वारा पहल की जा रही है। सीआईएसएच के वैज्ञानिकों ने अवैध पौध विक्रेताओं पर कड़ी निगरानी और सख्ती पर जोर दिया है। ताकि निमेटोड संक्रमण को और फैलने से रोका जा सके। इसके साथ ही संस्थान ने नई तकनीकों का विकास भी किया है। जो रोपण सामग्री के साथ संक्रमण के फैलाव को नियंत्रित करने में सहायक हो सकती है। 

अमरूद की उच्च गुणवत्ता वाली किस्में तैयार
संस्थान ने अमरूद की कुछ नई और उच्च गुणवत्ता वाली किस्में भी तैयार की हैं, जो संक्रमण के प्रति अधिक सहिष्णु हैं और बागवानों के लिए उपयुक्त साबित हो सकती हैं। इनमें ललित, श्वेता और धवल शामिल हैं। ललित किस्म गुलाबी गूदे वाली है और इसे ताजे फलों के साथ-साथ प्रोसेसिंग के लिए भी उपयोग में लाया जा सकता है। श्वेता किस्म के फल बड़े और गोल होते हैं, जो आकर्षक रूप और स्वाद प्रदान करते हैं। वहीं, धवल किस्म सफेद और मीठे फलों की उपज देती है। इन किस्मों का उपयोग बागवानों के लिए एक बेहतर विकल्प हो सकता है, जिससे न केवल फसल की गुणवत्ता में सुधार होगा बल्कि निमेटोड संक्रमण के खिलाफ भी सुरक्षा प्राप्त की जा सकती है।

किसानों को दी जा रही सलाह 
अमरूद के बागों का प्रबंधन और संरक्षण एक महत्वपूर्ण पहलू है। विशेषकर निमेटोड संक्रमण से निपटने के लिए। किसानों को सलाह दी जा रही है कि वे अपने अमरूद के बागों को सावधानीपूर्वक प्रबंधित करें और उपयुक्त जमीन का चयन करें ताकि संक्रमण को कम किया जा सके। इसके अतिरिक्त पुराने बागानों को नवीनीकरण के लिए कैनोपी प्रबंधन तकनीक का उपयोग किया जा सकता है, जो फसल की गुणवत्ता और उत्पादकता में सुधार लाने में मदद करती है।

अमरूद के पोषक गुण-
विटामिन सी का खजाना : अमरूद विटामिन सी का एक उत्कृष्ट स्रोत है। यह प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाने में मदद करता है और त्वचा के स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है। एक मध्यम आकार का अमरूद दैनिक विटामिन सी की आवश्यकता का एक बड़ा हिस्सा पूरा कर सकता है।

फाइबर से भरपूर : अमरूद में उच्च मात्रा में फाइबर पाया जाता है। यह पाचन स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद करता है और कब्ज की समस्या को दूर करने में सहायक होता है। फाइबर वजन प्रबंधन में भी मददगार होता है।

एंटीऑक्सीडेंट गुण : इस फल में लाइकोपीन, विटामिन सी और अन्य एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते हैं। ये शरीर को मुक्त कणों से होने वाले नुकसान से बचाते हैं और कुछ प्रकार के कैंसर के जोखिम को कम करने में मदद कर सकते हैं।

हृदय स्वास्थ्य में सहायक : अमरूद में पाए जाने वाले पोटेशियम और फाइबर रक्तचाप को नियंत्रित करने में मदद करते हैं, जो हृदय स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है।

वजन नियंत्रित करने में सहायक : कम कैलोरी और उच्च फाइबर सामग्री के कारण अमरूद वजन घटाने या नियंत्रित करने के लिए एक अच्छा विकल्प है। यह भूख को नियंत्रित करने में मदद करता है।

मधुमेह में लाभदायक : अमरूद का कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स होता है, जो रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है। इसलिए यह मधुमेह के रोगियों के लिए एक अच्छा विकल्प हो सकता है। इन सभी गुणों के कारण अमरूद को एक सुपरफूड माना जाता है। यह सस्ता और आसानी से उपलब्ध होने के कारण गरीब वर्ग के लिए पोषण का एक महत्वपूर्ण स्रोत है।
 

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