एक दिवसीय दौरे पर हरियाणा पहुंचे सीएम योगी : बाबा मुकुटनाथ सिद्ध मंदिर में दर्शन-पूजन, नाथ पंथ की पावन स्थली को किया नमन

UPT | सीएम योगी आदित्यनाथ

Oct 28, 2024 17:59

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को हरियाणा के कैथल जिले में स्थित बाबा मुकुटनाथ सिद्ध मंदिर में विधि-विधान से पूजा-अर्चना की। इस दौरान उन्होंने नाथ पंथ की पावन स्थली को नमन करते हुए...

Lucknow News : उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को हरियाणा के कैथल जिले में स्थित बाबा मुकुटनाथ सिद्ध मंदिर में विधि-विधान से पूजा-अर्चना की। इस दौरान उन्होंने नाथ पंथ की पावन स्थली को नमन करते हुए पूज्य संतजनों की समाधियों के समक्ष अपनी श्रद्धा व्यक्त की।

गोरखनाथ मंदिर के महंत योगी नाथ संप्रदाय के प्रमुख साधक
योगी आदित्यनाथ स्वयं गोरखनाथ मंदिर के महंत और नाथ संप्रदाय के एक प्रमुख साधक हैं, हरियाणा में नाथ पंथ के स्थलों पर अपनी आस्था प्रकट की। उनके साथ महंत बालकनाथ और अन्य संतजन भी मौजूद रहे, जिन्होंने इस धार्मिक कार्यक्रम में भाग लिया। योगी ने विधिवत पूजा करते हुए नाथ पंथ के महत्व और उसकी परंपराओं को सराहा।

एक दिवसीय दौरे पर हरियाणा पहुंचे हैं योगी
योगी आदित्यनाथ का यह हरियाणा दौरा एक दिवसीय कार्यक्रम के तहत आयोजित किया गया था। इससे पहले, उन्होंने कुरुक्षेत्र के पेहोवा में डेरा सिद्ध बाबा गरीबनाथ मठ में आयोजित धार्मिक कार्यक्रम में भाग लिया था। वहां उन्होंने आठमान, बत्तीस धुनी और शंखाढाल भंडारा जैसे कार्यक्रमों में संतों से मुलाकात की और उन्हें संबोधित किया। इस धार्मिक यात्रा के दौरान, योगी ने हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी से भी मुलाकात की, जिससे उनके संबंधों को और मजबूत बनाने की कोशिश की गई। योगी आदित्यनाथ के आगमन को लेकर कैथल में तगड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई थी, ताकि उनके कार्यक्रम को सुचारू रूप से संपन्न किया जा सके।



विधि-विधान से किया दर्शन-पूजन
मुख्यमंत्री ने नाथ पंथ की परंपरा और इसके सांस्कृतिक महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि संत समाज का समाज में योगदान अत्यंत महत्वपूर्ण है और धार्मिक स्थलों की पूजा-अर्चना से न केवल आस्था बढ़ती है, बल्कि समाज में शांति और समृद्धि का संदेश भी फैलता है। योगी आदित्यनाथ का यह दौरा न केवल धार्मिक महत्व का था, बल्कि यह उत्तर प्रदेश और हरियाणा के बीच आपसी संबंधों को भी प्रगाढ़ बनाने का एक प्रयास था। संत समाज और श्रद्धालुओं के बीच उनकी उपस्थिति ने धार्मिक और सांस्कृतिक जागरूकता को बढ़ावा दिया।

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