अजय राय की बढ़ी मुश्किलें : सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने बढ़ाई टेंशन, यूपी सरकार को जारी किया नोटिस

UPT | अजय राय

Jun 25, 2024 13:34

वाराणसी में गैंगस्टर एक्ट के तहत दर्ज मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अभी तक कोई राहत नहीं दी है। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को उनकी याचिका पर रोक लगाने से इनकार...

Short Highlights
  • गैंगस्टर एक्ट के तहत दर्ज मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अभी तक कोई राहत नहीं दी
  • अगली सुनवाई 15 जुलाई को होगी
  • मायावती सरकार ने अजय राय के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट की धारा लगाई थी
Lucknow News : यूपी कांग्रेस के अध्यक्ष अजय राय के लिए न्यायिक मुद्दे में समस्याएं बढ़ रही हैं। उन्हें 2010 में वाराणसी में गैंगस्टर एक्ट के तहत दर्ज मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अभी तक कोई राहत नहीं दी है। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को उनकी याचिका पर रोक लगाने से इनकार किया। इसके साथ ही, अदालत ने यूपी सरकार को इस मुद्दे पर नोटिस जारी किया है। इस मामले पर अगली सुनवाई अब 15 जुलाई को होगी।

हाईकोर्ट से नहीं मिली राहत
बता दें कि 2010 में एक मामले में जिसमें मारपीट और उपद्रव के आरोप थे, उसमें तत्कालीन मायावती सरकार ने अजय राय के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट की धारा लगाई थी। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में अजय राय की याचिका को खारिज कर दिया था, क्योंकि उन पर 27 अन्य आपराधिक मामले दर्ज थे और उन्हें हाईकोर्ट से राहत नहीं मिली थी। इसके बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट की ओर रुख किया। वहीं इससे पहले मई में भी अजय राय के लिए एक और निराशाजनक फैसला आया था, जब इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उनकी याचिका को खारिज कर दिया था। 

जानें पूरा मामला
दरअसल, वाराणसी के चेतगंज थाने में चौदह साल पहले दर्ज एफआईआर के अनुसार, यूपी कांग्रेस के अध्यक्ष अजय राय और चार अन्य व्यक्तियों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था। इस मामले में आईपीसी की धारा 147, 148, 448, 511, 323, 504, 506, 120 बी और सेक्शन 7 आफ क्रिमिनल लॉ अमेंडमेंट एक्ट, साथ ही सेक्शन 3(1) यूपी गैंगस्टर एक्ट और एंटी सोशल एक्टिविटीज प्रीवेंशन एक्ट भी शामिल थे। पुलिस ने इस मामले में जांच पूरी करने के बाद 28 अक्टूबर 2011 को कोर्ट में चार्जशीट दाखिल कर दी थी।

MP-MLA स्पेशल कोर्ट में चल रहा ट्रायल
वाराणसी के MP-MLA स्पेशल कोर्ट में इस मामले का ट्रायल वर्तमान समय में चल रहा है। अजय राय ने इस मुद्दे में अपनी याचिका में कोर्ट से ट्रायल को रद्द करने की मांग की थी, लेकिन कोर्ट ने उनकी याचिका को खारिज कर दिया। कोर्ट ने अपने फैसले में उनके खिलाफ 27 मुकदमों का आपराधिक इतिहास दर्ज किया और यह स्पष्ट किया कि ट्रायल कोर्ट में चल रही कार्यवाही को रद्द करने के लिए कोई पुख्ता आधार नहीं है।

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