उत्तर प्रदेश विधानसभा का शीतकालीन सत्र गुरुवार को भारी हंगामे के बीच समाप्त हो गया। इस बार कुछ ऐसा हुआ...
Lucknow News : उत्तर प्रदेश विधानसभा का शीतकालीन सत्र गुरुवार को भारी हंगामे के बीच समाप्त हो गया। इस बार कुछ ऐसा हुआ, जो पिछले तीन सालों में कभी नहीं हुआ था। सपा और विपक्षी दलों द्वारा सदन में लगातार हंगामे के चलते स्पीकर सतीश महाना ने सत्र के सत्रावसान की घोषणा की। इस सत्र के दौरान समाजवादी पार्टी के विधायकों ने जोरदार विरोध प्रदर्शन किय जिससे विधान सभा की कार्यवाही को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित करना पड़ा। यह पहला मौका था जब अनुपूरक बजट पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का वक्तव्य बिना ही सदन की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी।
हंगामें के कारण इन मुद्दों पर नहीं हो सकी बात
इस सत्र में कुंभ मेला पर चर्चा होनी थी, लेकिन हंगामे के कारण इस पर दो दिन से कोई चर्चा नहीं हो पाई। सूत्रों के अनुसार समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सुबह अपनी पार्टी के विधायकों के साथ बैठक की थी और बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर के मुद्दे पर गंभीरता से आवाज उठाने का निर्देश दिया था। सदन में समाजवादी पार्टी के विधायक बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर के पोस्टरों वाले प्लेकार्ड के साथ पहुंचे और जैसे ही सत्र शुरू हुआ वे वेल में घुस गए। स्पीकर सतीश महाना द्वारा समझाए जाने पर भी हंगामा शांत नहीं हुआ। जिसके परिणामस्वरूप सत्र को समाप्त करना पड़ा।
पक्ष विपक्ष ने एक दूसरे पर लगाए आरोप
सपा और बीजेपी के नेताओं के बीच बयानबाजी भी जारी रही। यूपी के उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने कह कि "विपक्षी दलों के पास कोई नीति और एजेंडा नहीं है। वे केवल सदन की कार्यवाही को रोकना चाहते हैं। जनता यह सब देख रही है और समय आने पर इसका जवाब देगी।" वहीं, समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कह कि "हमारे विधायक सरकार से पूरी तरह जवाब चाहते थे, लेकिन सरकार जवाब देने को तैयार नहीं है। जवाब न देने के लिए सत्तापक्ष ने नकारात्मक भाषा का इस्तेमाल किया। यह लोग लोकतंत्र की बजाय तानाशाही की दिशा में जा रहे हैं।