शैल उत्सव : पत्थरों में जान डाल रहें मूर्तिकार, कलाकृतियां देखने उमड़े कला प्रेमी

UPT | शैल उत्सव।

Oct 15, 2024 21:45

राजधानी में चल रहे शैल उत्सव में पत्थरों पर कला का अद्भुत नजारा देखने को मिल रहा है। विभिन्न राज्यों से आए मूर्तिकार अपने हुनर से पत्थरों को सजीव बना रहे हैं।

Lucknow News : राजधानी में चल रहे शैल उत्सव में पत्थरों पर कला का अद्भुत नजारा देखने को मिल रहा है। विभिन्न राज्यों से आए मूर्तिकार अपने हुनर से पत्थरों को सजीव बना रहे हैं। पत्थरों पर कुदरती तरीके से उकेरी गई आकृतियां मानो जीवन को दर्शा रही हैं। मंगलवार को बड़ी संख्या में कला प्रेमी इन कलाकृतियों को देखने के पहुंचे।

कलाकारों के हुनर की सराहना
लखनऊ विकास प्राधिकरण के सहयोग से वास्तुकला एवं योजना संकाय टैगोर मार्ग परिसर में चल रहे आठ दिवसीय अखिल भारतीय समकालीन मूर्तिकला शिविर में मंगलवार को पत्थरों में आकृतियां उभरने लगीं। देश के पांच राज्यों से आए दस कलाकारों ने शिविर के दूसरे दिन पत्थर में आकृतियों को उकेरना शुरू किया। साथ ही नगर के अनेक कलाकारों, छात्रों और कला प्रेमियों ने शिविर में मूर्त रूप ले रही कलाकृतियों को देखने में उत्साह दिखाया और कलाकारों के हुनर की सराहना की। 



निधि की कृतियां साइंस स्ट्रक्चर पर आधारित 
शिविर में दस मूर्तिकारों में आठ पुरुष और दो महिला मूर्तिकार हैं। शिविर में अहमदाबाद गुजरात से निधि सभाया युवा महिला मूर्तिकार है, जिन्होंने अपनी कला शिक्षा एम् एस यूनिवर्सिटी वड़ोदरा गुजरात से दो वर्ष पूर्व पूरी की है। निधि एक ऊर्जावान मूर्तिकार हैं, जिनकी कृतियां साइंस स्ट्रक्चर पर आधारित होतीं हैं। इनकी मूर्तियों में छोटे बड़े कई तरह के आकार और छोटी-बड़ी छेदनुमा आकृतियां दिखाई देती हैं, जिनको ये अपनी मुर्तियों में ब्रीदिंग स्पेस की तरह प्रयोग करती हैं। माध्यम के रूप में निधि ज्यादातर मार्बल का इस्तेमाल करती हैं, क्योंकि इनका मानना है कि मार्बल एक ऐसा माध्यम है जिसमे संभावनायें ज्यादा होती हैं। 

पत्थर पर जीवन के उतार-चढ़ाव उकेर रही अवनी
शिविर में दूसरी महिला मूर्तिकार अवनी पटेल सूरत गुजरात से हैं, ये एक स्वतंत्र मूर्तिकार के रूप में कार्य कर रही हैं। इनका विषय मुख्यतः स्वयं के जीवन में आने वाले उतार-चढ़ाव एवं प्रकृति पर आधारित होते हैं। इनका मानना है कि हमारा प्रकृति के साथ एक अलग रिश्ता होता है। अवनी को जल, चन्द्रमा आदि प्राकृतिक चीजों से एक अलग ही लगाव प्रतीत होता है। माध्यम में इन्हें गुलाबी एवं काला मार्बल विशेष रूप से प्रिय है। इसके अलावा ये अपने कृतियों में ब्रांस के विभिन्न आकारों का भी प्रयोग समय-समय पर करती हैं।

विचारों को पत्थर पर मूर्त रूप देने में जुटे कलाकार
कोऑर्डिनेटर भूपेंद्र अस्थाना ने बताया कि शिविर का विषय प्रकृति है। सभी कलाकार इसी विषय पर अपने अपने विचारों को पत्थर पर मूर्त रूप देने में जुटे हुए हैं। कलाकारों का मानना है की शिविर के चौथे दिन पूर्ण आकृतियों को साफ तौर पर देखा जा सकता है। 

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