पराली बनी ऊर्जा का स्रोत : यूपी बना सीबीजी उत्पादन में अग्रणी राज्य, ऊर्जादाता बन रहे किसान

UPT | CM Yogi Adityanath

Oct 03, 2024 15:26

सरकार के प्रयासों से अब पराली प्रदूषण का कारण नहीं बन रही, बल्कि किसानों के लिए आय का स्रोत और ऊर्जा उत्पादन का एक महत्त्वपूर्ण अंग बन गई है।

Lucknow News : उत्तर भारत के कुछ हिस्सों में खासकर अक्टूबर और नवंबर के महीनों में पराली जलाना वायु प्रदूषण की बड़ी वजह मानी जाती थी, पहले धान की कटाई के बाद किसान पराली जलाते थे, जिससे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) और इसके आसपास के इलाकों में हवा की गुणवत्ता बहुत खराब हो जाती थी।  सरकार के प्रयासों से अब पराली प्रदूषण का कारण नहीं बन रही, बल्कि किसानों के लिए आय का स्रोत और ऊर्जा उत्पादन का एक महत्त्वपूर्ण अंग बन गई है। इस प्रक्रिया में पर्यावरण संरक्षण और ऊर्जा आत्मनिर्भरता की दिशा में राज्य ने महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं।

सीबीजी प्लांट्स में पराली का इस्तेमाल
पराली जो एक समय फसल के अवशेष के रूप में किसानों के लिए समस्या मानी जाती थी, अब 'वेस्ट से वेल्थ' की अवधारणा का प्रमुख उदाहरण बन रही है। यूपी में पराली का ऊर्जा उत्पादन के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है, विशेष रूप से कम्प्रेस्ड बायो गैस (सीबीजी) प्लांट्स में। इस बदलाव से किसान न केवल अपनी पराली को बेचकर अतिरिक्त आय अर्जित कर रहे हैं, बल्कि पर्यावरण को भी गंभीर रूप से प्रभावित करने वाले पराली जलाने की प्रथा से भी निजात पा रहे हैं। सीबीजी प्लांट्स में पराली का इस्तेमाल कच्चे माल के रूप में किया जा रहा है, और इससे ऊर्जा का उत्पादन हो रहा है। इससे किसानों को एक नई भूमिका मिल रही है, जहां वे न केवल अन्नदाता के रूप में, बल्कि ऊर्जादाता के रूप में भी महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं।



यूपी सीबीजी उत्पादन में अग्रणी राज्य
उत्तर प्रदेश ने कम्प्रेस्ड बायो गैस (सीबीजी) उत्पादन के क्षेत्र में प्रगति कर रहा है। पिछले वर्ष तक प्रदेश में दस सीबीजी प्लांट्स काम कर रहे थे, लेकिन वर्तमान में प्रदेश इस क्षेत्र में देश का अग्रणी राज्य बन चुका है। प्रदेश में अब 24 सीबीजी इकाइयां पूरी तरह से क्रियाशील हैं, जबकि 93 और इकाइयां निर्माणाधीन हैं। इन प्लांट्स के माध्यम से पराली से न केवल ईंधन का उत्पादन हो रहा है, बल्कि बायोगैस और जैविक खाद भी तैयार की जा रही है। जैविक खाद किसानों के लिए बेहद उपयोगी साबित हो रही है, क्योंकि इससे मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार होता है और कृषि उत्पादन में वृद्धि होती है। इस तरह, पराली अब किसानों की आय बढ़ाने और पर्यावरण संरक्षण के दोहरे उद्देश्यों की पूर्ति कर रही है।

गोरखपुर का सीबीजी प्लांट
गोरखपुर जिले के धुरियापार में स्थापित इंडियन ऑयल का सीबीजी प्लांट उत्तर प्रदेश के इन प्रयासों का बेहतरीन उदाहरण है। इस प्लांट का उद्घाटन 8 मार्च 2023 को हुआ था। यह प्लांट 165 करोड़ रुपये की लागत से बनाया गया है और इसमें प्रतिदिन 200 मीट्रिक टन पराली, 20 मीट्रिक टन प्रेसमड, और 10 मीट्रिक टन पशुओं के गोबर का इस्तेमाल होता है। इस संयंत्र से प्रतिदिन लगभग 20 मीट्रिक टन बायोगैस और 125 मीट्रिक टन जैविक खाद का उत्पादन हो रहा है। प्लांट्स से किसानों को आर्थिक रूप से सशक्त होने का अवसर मिल रहा है, क्योंकि वे पराली और अन्य कृषि अपशिष्ट बेचकर अतिरिक्त आय अर्जित कर रहे हैं। साथ ही, पराली के जलने से होने वाले वायु प्रदूषण में भी भारी कमी आ रही है, जिससे पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।

पराली जलाने की समस्या पुरानी चुनौती
धान और गेहूं की कटाई के बाद किसानों को अगली फसल की तैयारी के लिए फसल अवशेष (पराली) से निपटना पड़ता था। अधिकांश किसान इसे जलाने का तरीका अपनाते थे, क्योंकि यह आसान और सस्ता उपाय था। लेकिन इस प्रक्रिया से भारी मात्रा में धुआं और हानिकारक गैसें निकलती थीं, जिससे वायु प्रदूषण और सांस से जुड़ी बीमारियों में वृद्धि होती थी। खासकर धान की कटाई के बाद, जब अक्टूबर-नवंबर में रबी की फसल बोई जाती थी, तब प्रदूषण का स्तर बहुत बढ़ जाता था। इस कारण से दिल्ली-एनसीआर और उसके आसपास के क्षेत्रों में धुंध और प्रदूषण की गंभीर समस्या उत्पन्न होती थी।

ऊर्जा नीति से बढ़ा निवेशकों का रुझान
उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य में जैव ऊर्जा के विकास को बढ़ावा देने के लिए 2022 में जैव ऊर्जा नीति लागू की। इस नीति के तहत कृषि अपशिष्ट से सीबीजी, बायोकोल, और बायोडीजल जैसे ईंधनों के उत्पादन को प्रोत्साहन दिया जा रहा है। इस नीति के तहत निवेशकों को अनेक प्रकार की सुविधाएं और प्रोत्साहन मिल रहे हैं, जिससे इस क्षेत्र में निवेश में भारी वृद्धि देखी जा रही है। सरकार की योजना है कि हर जिले में कम से कम एक सीबीजी प्लांट स्थापित किया जाए। इस दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति हो रही है, और आने वाले समय में उत्तर प्रदेश इस क्षेत्र में देश का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य बन सकता है।

जैव ऊर्जा उत्पादन में बढ़ोतरी का लक्ष्य
उत्तर प्रदेश की जैव ऊर्जा नीति के तहत अगले पांच वर्षों में बायोकोल और बायोडीजल उत्पादन को दोगुना करने का लक्ष्य रखा गया है। अब तक इस दिशा में आई 26 परियोजनाओं में से 21 को सरकार से सैद्धांतिक मंजूरी मिल चुकी है। योगी सरकार की योजना है कि 2025 तक कम से कम 20 नई परियोजनाओं को संचालन में लाया जाए, जिससे राज्य में ऊर्जा उत्पादन के क्षेत्र में और अधिक प्रगति हो सके। प्रदेश में पराली के प्रबंधन के लिए उठाए गए ये कदम न केवल किसानों की आय में इजाफा कर रहे हैं, बल्कि राज्य को जैविक ऊर्जा के क्षेत्र में अग्रणी बना रहे हैं। पराली से प्रदूषण की समस्या पर काबू पाने के साथ-साथ, इस जैव ऊर्जा मॉडल से ऊर्जा आत्मनिर्भरता और पर्यावरण संरक्षण के लक्ष्यों को भी प्राप्त किया जा रहा है।

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