इसके साथ ही बिजली कंपनी दक्षिणांचल व पूर्वाचल के निजीकरण पर बड़ा पेंच फंसता नजर आ रहा है। उपभोक्ता परिषद ने कहा जब दक्षिणांचल और पूर्वांचल की तरफ से भी वर्ष 2025-26 का बिजली दर प्रस्ताव दाखिल हो गया है, तो अब इस वित्तीय वर्ष में इस बिजली कंपनी को निजी हाथों में नहीं दिया जा सकता क्योंकि ऐसा करने पर 51 प्रतिशत शेयर निजी कंपनियों का होगा।